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Samastipur News:प्रति विद्यालय कम से कम 70 पौधारोपण का मिला लक्ष्य

एक पेड़ मां के नाम अभियान की समीक्षोपरान्त बीईपी के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने डीईओ को पत्र भेजकर खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि अभियान की स्थिति उत्साहजनक नहीं मिली है.

Samastipur News:समस्तीपुर : एक पेड़ मां के नाम अभियान की समीक्षोपरान्त बीईपी के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने डीईओ को पत्र भेजकर खेद व्यक्त करते हुए कहा है कि अभियान की स्थिति उत्साहजनक नहीं मिली है. स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने डीईओ को नसीहत देते हुए कहा है कि अपने जिले की प्रगति का अवलोकन कर ईको क्लब का गठन करते हुए प्रति विद्यालय कम से कम 70 वृक्षारोपण का लक्ष्य प्राप्त करें. साथ ही ससमय लक्ष्य को हासिल करने वाले जिले को पुरस्कृत करने की भी बात कही. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने मामले को गंभीरतापूर्वक लेते हुए एक पेड़ मां के नाम अभियान को सफल बनाने का निर्देश सभी विद्यालयों को दिया है. डीईओ ने बताया कि “एक पेड़ मां के नाम ” एक प्रयास है जो हमारी मातृभूमि और प्रकृति के प्रति हमारे सम्मान और समर्पण को दर्शाता है. इस अभियान का उद्देश्य मां के नाम पर एक पेड़ लगाना और एक स्थायी स्मृति बनाना है, जो न केवल पर्यावरण की रक्षा करेगा बल्कि एक हरे और अधिक समृद्ध भविष्य के निर्माण में भी योगदान देगा. मां और प्रकृति दोनों ही जीवन का मूल आधार हैं और इस पहल के माध्यम से हम अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. “एक पेड़ मां के नाम ” का हिस्सा बनें और अपनी मां के लिए एक अविस्मरणीय स्मृति बनाने के लिए एक पेड़ लगाएं. पौधरोपण अभियान के दौरान छायादार पेड़ों के अलावा औषधीय पौधे भी लगाए जायेंगे. नीम, पीपल, बड़, जामुन, शीशम, पिलखन आदि पारंपरिक नैटिव पौधे लगाये जायेंगे व सौंझना, आंवला, अर्जुन आदि औषधीय पौधे भी रोपित किये जायेंगे. पौधे लगाने के बाद उनकी देखभाल के लिए भी इस बार विशेष प्लानिंग की जा रही है ताकि अधिक से अधिक पौधों को बड़े वृक्ष बनें और पर्यावरण संरक्षण में का उद्देश्य पूरा हो. डीईओ ने स्कूलों में विद्यार्थियों में रोपित किए जाने वाले पौधों की देखभाल को लेकर उन्हें प्रेरित करने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिये हैं.

एचएम में नहीं दिख रही रुचि

एक पेड़ मां के नाम 2.0 अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर पोषण वाटिका में वृक्षारोपण की गतिविधियां को अंजाम देना था. विभागीय निर्देश के आलोक में स्कूलों में अधिष्ठापित पोषण वाटिका में पपीता, केला, मोरिंगा, सहजन, कटहल आदि वृक्षों को प्राथमिकता देते हुए वृक्षारोपण का कार्य किया जाना था. इसके साथ ही अपने क्षेत्र में उगने वाले सब्जी/फल के पौधों को लगाने पर भी जोर दिया जा देने को कहा गया था. इससे कम लागत में उपलब्ध ताजी सब्जी फल का उपयोग मध्याह्न भोजन में किया जा सकता था, जिससे बच्चों का स्वास्थ्य एवं पोषण मूल्य की वृद्धि होती. इको क्लब फ़ॉर मिशन लाइफ के अंतर्गत एक पेड़ मां के नाम में स्कूल रुचि नहीं दिखा रहे हैं. विश्व पर्यावरण दिवस पर शुरू हुए ‘एक पेड़ मां के नाम 2.0 में जिले के सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापक को बच्चों से पौधे लगवाने के लिए निर्देश दिये गये थे. इस प्रक्रिया का फोटो और वीडियो अपलोड करने का निर्देश भी दिया गया था. फोटो अपलोड करने के बाद उन्हें भारत सरकार की ओर से प्रमाण पत्र दिया जाना है. प्रारंभ में तो शिक्षक और बच्चों ने सक्रियता दिखाई, लेकिन बाद में वे उदासीन हो गये. स्कूल के उदासीनता के कारण कुछ हजार पौधे लगा कर ही छोड़ दिया गया. सूत्र बताते हैं कि जो पौधे लगाये गये हैं उसकी उचित देख रेख भी नहीं हो रही है. बताते चलें कि स्कूलों द्वारा दी गयी रिपोर्ट में सबसे अधिक राज्य के वैशाली जिले में 5773 पौधे और रोहतास में 1615 पौधे लगाये गये हैं. वही समस्तीपुर में 445, मधुबनी में 110 व दरभंगा में 138 पौधे लगाये गये.

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