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samastipur: अल्प अवधि व सुगंधित किस्मों का बिचड़ा 20 जून से 10 जुलाई तक गिरायें

किसानों को अल्प अवधि वाले धान की किस्म एवं सुगंधित धान का किस्म का बिचड़ा बीजस्थली में 20 जून से 10 जुलाई तक बाेने की सलाह दी गयी है.

समस्तीपुर . डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय,पूसा के द्वारा जारी समसमायिक सुझाव में किसानों को अल्प अवधि वाले धान की किस्म एवं सुगंधित धान का किस्म का बिचड़ा बीजस्थली में 20 जून से 10 जुलाई तक बाेने की सलाह दी गयी है. कहा गया है कि सुगंधित किस्मों का बिचडा़ बीजस्थली में पहले से गिराने से उसकी सुगंध खत्म हो जाती है. दूसरी ओर किसानों को अन्य धान का बिचड़ा नर्सरी में गिराने की सलाह दी गयी है. कहा गया है कि 10 जून तक लंबी अवधि वाले धान का बिचड़ा गिराने का उपयुक्त समय है. 10 से 25 जून तक मध्यम अवधि वाले धान का बिचड़ा बोने के लिये अनुकूल समय है. जो किसान धान की सीधी बोआई करना चाहते हैं, वे लंबी अवधि वाले धान की किस्म की बोआई अगले सप्ताह में कर सकते हैं, इसके लिये उनके पास सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिये. वैज्ञानिक ने सुझाव दिया है कि खरीफ मक्का की बोआई के लिये मौसम अनुकूल है. इसके लिये देवकी, शक्तिमान-1, शक्तिमान-2, शक्तिमान-5, राजेन्द्र संकर मक्का-3, गंगा-11 किस्मों की बोआई करें. बोआई के समय प्रति हेक्टयेर 30 किलो नेत्रजन, 60 किलो स्फुर एवं 50 किलो पाेटाश का व्यवहार करें. प्रति किलोग्राम 0 बीज को 2.5 ग्राम थीरम द्वारा उपचारित कर बोआई करें. बीज दर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टयेर रखें. भिंडी एवं बाेरा जैसे फल वाली सब्जियों में भी नेत्रजन का उपरिवेशन करें एवं कीट नियंत्रण के लिये मैलाथियान 2 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 7-10 दिनों के अन्तराल पर फल तोड़ने के बाद दो बार छिडक़ाव करें. कद्दु वर्गीय सब्जियों में चूर्णिल असिता के आक्रमण होने पर करोथेन 1.5 ग्राम प्रति लीटर या 25 किलोग्राम सल्फर पाउडर प्रति हेक्टयेर की दर भुरकाव करें. किसान लीची तोड़ने के बाद, खासकर बरसात शुरू होने से पहले (जून के अंत से जुलई के शुरू तक), बगीचे की जुताई करें और खाद-उवर्रकों प्रयोग करें. प्रति प्रौढ़ पडे़ 60 से 80 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, 2.5 किलोग्राम, 1.5 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट, 1.3 किलोग्राम म्युरेट ऑफ पाेटाश व 50 ग्राम सुहागा मिलाकर वृक्ष के चारों ओर समान रूप से मिट्टी में मिला दें.गरमा सब्जियों जैसे भिन्डी, नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू), और खीरा की फसल में निकाई गुड़ाई करें. कीट-व्याधियों से फसल की बराबर निगरानी करते रहें. प्रकोप दिखने पर अनुशंसित दवा का छिडक़ाव करें. खरीफ प्याज की खेती के लिये नर्सरी (बीजस्थली) की तैयारी करें. स्वस्थ पौध के लिये नर्सरी में गोबर की खाद अवश्य डालें. छोटी-छोटी उथली क्यारियों, जिसकी चौड़ाई एक मीटर एवं लंबाई सुविधानुसार रखें. खरीफ प्याज के लिए एन-53, एग्रीफाउण्ड र्डाक रेड, अर्का कल्याण, भीमा सुपर किस्में अनुशंसित है. बीज गिराने के पूर्व बीजाेपचार कर लें. बीज की दर 8 से 10 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें.

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