Balan River: समस्तीपुर. गाद से भरी बलान नदी की उड़ाही का काम जल्द शुरू होनेवाला है. अगले माह से प्यासी और बीमार बलान नदी में गाद की उड़ाही होगी. इस योजना पर 122 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इससे समस्तीपुर की नदियों को नया जीवन मिलेगा और उनका प्रवाह बढ़ेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समस्तीपुर जिले की प्रगति यात्रा के दौरान इसकी घोषणा की थी. विगत माह प्रभात खबर अखबार में छपी बलान नदी की उड़ाही से संबंधित खबर का असर धरातल पर उतारने को बिहार सरकार की कैबिनेट से भी इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिल चुकी है.
कई स्थानों पर आज नदी का अस्तित्व खत्म
बलान नदी में गाद की उड़ाही की खबर को सुनते ही लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विगत दिन कैबिनेट मंत्री मंडल की बैठक में हरी झंडी दे दिया हैं. बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल दलसिंहसराय के मुसापुर समस्तीपुर से भीठ स्लूइस गेट नौला बेगूसराय तक बलान नदी के तल में जमे गाद की सफाई कार्य को बिहार सरकार ने कैबिनेट में स्वीकृति दे दिया है. नदी में गाद भर जाने से कई स्थानों पर नदी का अस्तित्व खत्म हो गया था. नदी में झाड़ियां उग आयी थीं. कई जगहों पर नदी एरिया में अतिक्रमण भी कर लिया गया हैं. बलान नदी की गाद की सफाई से बेगूसराय और समस्तीपुर जिले के लाखो किसानों को लाभ मिलेगा.
मछुआरे का रोजगार की तलाश में पलायन
भाजपा नेता ब्रजेश कुमार ने कहा कि बलान नदी को फिर से जीवित करने के लिए बिहार सरकार तत्परतापूर्वक लगी हुई है. गाद साफ होने से वर्षा का अतिरिक्त जल सीधे बलान नदी में जाने लगेगा. बलान नदी से भीठ स्लूईस गेट नौला होते हुए यह जल गंडक नदी में समाहित होती है. इस नदी का अस्तित्व फिर से वापस लौटने से इस इलाके में बाढ़ का खतरा खत्म हो जाएगा. नदी के जीवंत होने से हजारों एकड़ की खेती के लिए सिचाई सुविधा उपलब्ध होगी. इससे आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ जाएगी. आज नदी पर आश्रित लाखों मछुआरों की आजीविका चली गयी है. बलान नदी कछार के लाखों मछुआरे रोजगार की तलाश में पलायन कर रहे हैं.
तटीय 50 गांवों का जीवन त्रस्त
नौला भीट में स्लुइस गेट के कुप्रबंधन के कारण बलान में जल का आवागमन नहीं होता है. वहीं वैशाली जिले में भुरहा स्लुइस गेट से पानी नहीं आने से नदी में पानी नहीं रहता है. जलकुंभी की सफाई और नदी की उड़ाही नदी प्रबंधन की प्राथमिक शर्त है. नदी में पानी नहीं है और जो है उसमें सड़ांध है. बलान में नहाने से खुजली और चर्म रोग बहुत बड़ी समस्या है. बलान नदी जलकुंभी से भरी एक गंदे नाले में परिणत हो गयी है. नदी के किनारे का जल स्तर गिरता जा रहा है. सदियों से बहने वाली नदी में छठ पूजा का अर्घ संभव नहीं है. नदी पर आश्रित नदी तटीय 50 गांवों का जीवन त्रस्त है.
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