RTE :समस्तीपुर : शिक्षा के अधिकार के तहत नामांकित बच्चों की किताब और पोशाक के मद में निजी स्कूलों ने शिक्षा विभाग से करोड़ों रुपये की मांग की है. निजी स्कूलों की यह मांग विभाग के गले नहीं उतर पा रही है. आरटीई के तहत नामांकन में सामने आती रही गड़बड़ियों को देखते हुए अब किताब व पोशाक के नाम पर भी फर्जीवाड़े की आशंका है. ऐसे में अपर मुख्य सचिव एस. सिद्वार्थ ने निजी स्कूलों की मांग की जांच का निर्देश दिया है. पहली बार पोशाक और किताबों से संबंधित जांच कराई जा रही है. डीएम के निर्देश पर जांच अधिकारी निजी विद्यालय पहुंच जांच पड़ताल कर रहे हैं तो फर्जीवाड़ा की बू आने लगी है. अभिभावकों व छात्रों से पूछताछ करने के दौरान यह बात सामने आई है. कई अभिभावकों व बच्चों को मालूम ही नहीं कि उनके बच्चे का आरटीई के तहत नामांकन हुआ है. सरकार से मिलने वाली राशि विद्यालय चंपत कर चुके हैं. जांच रिपोर्ट के बाद विभाग गड़बड़ी करने वाले निजी विद्यालय से आरटीई के तहत ली गयी राशि भी वसूल करेगी.
वर्ष 2019 से 2024 तक के जांच का आदेश
निजी स्कूलों ने नामांकित बच्चों की फीस के साथ किताब, पोशाक की राशि का भी दावा किया है. अपर मुख्य सचिव ने समस्तीपुर समेत सूबे के सभी जिलों के डीएम को इसकी जांच का निर्देश दिया है. अपर मुख्य सचिव ने वर्ष 2019 से 2024 तक हर सत्र के लिए अलग-अलग जांच का आदेश दिया है. डीएम अपने स्तर से जांच करायेंगे. सिर्फ स्कूलों में जाकर ही जांच नहीं होगी, बल्कि बच्चों के अभिभावकों से भी मिलकर इसकी सत्यता जानेगी. आरटीई के तहत नामांकित बच्चों के लिए सरकार की ओर से निजी स्कूलों को प्रति बच्चा 11869 रुपये दिये जा रहे हैं. शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार यह राशि फीस, किताब और पोशाक के लिए रहती है. लेकिन, अधिकांश स्कूल केवल नि:शुल्क नामांकन ही इस राशि के तहत लेते हैं. अपर मुख्य सचिव ने आदेश दिया है कि ज्ञानदीप पोर्टल पर कुछ स्कूलों ने केवल फीस की राशि का दावा किया है.
– स्कूलों में नामांकित बच्चों की संख्या, ट्यूशन फीस व निःशुल्क पोशाक से संबंधित डिमांड की हो रही जांच
बड़ी संख्या में पोशाक और किताब की राशि मांगी गई है. इसमें सत्रवार जांच पदाधिकारी जांच करेंगे. छात्रों-अभिभावकों का बयान भी दर्ज करेगी. जांच पदाधिकारी की अनुशंसा पर ही राशि दी जायेगी. गड़बड़ी के संकेत वर्ष 2019-20 में विद्यालयों द्वारा ज्ञानदीप पोर्टल पर अपलोड किये गये आंकड़ों की समीक्षा के क्रम में मिले हैं. सूत्रों की माने तो जांच के लिए जिला स्तर पर गठित कमेटी द्वारा अगर बारीकी से जांच की जाती है तो इस मामले में बड़ी गड़बड़ी उजागर होगी. हालांकि इसे लेकर आये दिन कई सवाल उठते रहे हैं. ऐसे-ऐसे स्कूल भी बड़ी राशि का दावा करते हैं जिनके पास ढंग की सुविधाएं तक नहीं है. विभाग द्वारा जब राशि भेजी जाती है तो भुगतान करने के पहले सौदेबाजी भी होती है. जबकि निजी स्कूल संचालकों द्वारा दावा किया जाता है कि आरटीई के तहत मिलने वाली अनुदान राशि अब भी बकाया है, जिसका भुगतान नहीं किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है