Samastipur News:समस्तीपुर : जिले के सभी सरकारी विद्यालयों में मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालित करने का निर्देश दिया गया था ताकि यह प्रभावी तरीके से लागू हो सके. लेकिन कुछेक विद्यालय को छोड़ कर अधिकांश विद्यालयों खानापूर्ति की जा रही है. प्रभात खबर ने जब इसकी पड़ताल को तो सच्चाई सामने आने लगी. मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम अंतर्गत सुरक्षित शनिवार की वार्षिक सारणी के अनुसार अप्रैल माह के प्रथम शनिवार, 5 अप्रैल को फोकल शिक्षकों व कक्षावार बाल प्रेरकों का चयन करने के लिए निर्देश जारी किया गया था. चयन प्रक्रिया नये सत्र 2025-26 के लिए किया जाना था. बताया गया कि पिछले सत्र के लिए चयनित फोकल शिक्षकों एवं बाल प्रेरकों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है. विद्यालय के प्रधानाध्यापक को निर्देशित किया गया था कि वे चयन प्रक्रिया को 5 अप्रैल तक अवश्य पूरा कर लें. ताकि, मुख्यमंत्री सुरक्षित शनिवार कार्यक्रम का संचालन शुरू किया जा सके. हकीकत यह है कि अधिकांश विद्यालयों में चयन प्रक्रिया कर लिए जाने की बात कह एचएम ने पल्ला झाड़ लिया. सभी विद्यालयों में हजार हंट प्रक्रिया जोखिम की पहचान करना था. विद्यालयों ने मुश्किल से करीब बीस से पच्चीस जोखिम पहचान की है. पड़ताल में यह बात सामने आयी कि इस कार्यक्रम के प्रति अधिकांश विद्यालय के एचएम दिलचस्पी नहीं दिखा रहे है. प्रत्येक शनिवार को वार्षिक सारणी के अनुसार सभी विद्यालयों में सुरक्षित शनिवार का आयोजन एवं मॉक ड्रिल करना है और ई शिक्षा कोष पर अपलोड भी करना है. इससे इतर डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय का कहना है कि सभी विद्यालयों में सुचारू रूप से यह संचालित किया जा रहा है.
गठित अनुश्रवण व मूल्यांकन समिति भी लाचार
विद्यालयों में मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत जिला स्तरीय अनुश्रवण एवं मूल्यांकन समिति का गठित है. लेकिन अनुश्रवण एवं मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी जिन्हे दी गयी है उनके पास समय का आभाव है. इसके अलावा सभी विद्यालयों में आपदा प्रबंधन समिति का भी गठित है. बावजूद इसके क्रियान्वयन में जिम्मेदार लापरवाही बरत रहे है. राज्य स्तर पर जारी दिशा निर्देशों में कहा गया है कि सभी विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं को सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से एवं बच्चों को आपदा जोखिम की पहचान एवं इसके बचाव के लिए मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है. सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में योजनाबद्ध तरीके से शिक्षा विभाग द्वारा सभी प्रकार के विद्यालयों में जहां छात्र पढ़ाई कर रहे हैं वहां इसे लागू किया जाना है. हर तीन महीने पर इसका प्रतिवेदन भारत सरकार को राज्य कार्यालय द्वारा भेजा जाता है. कुछ वर्ष पूर्व विभाग ने अपने पत्राचार में कहा था कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न जिलों से प्राप्त प्रतिवेदन के आलोक में देखा जा रहा है कि मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत स्कूलों में गतिविधियों का संचालन नहीं किया जा रहा है. इसके लिए निर्देश दिया गया है कि मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम सभी विद्यालयों में प्रभावी ढंग से संचालित किया जाए. सतत माॅनिटरिंग नहीं होने की वजह से अधिकांश विद्यालयों में इसकी खानापूर्ति की जा रही है. यह स्थिति तब है जब बिहार आपदा जोखिम न्यूनीकरण रोड मैप 2015-2030 में शिक्षा विभाग को यह दायित्व सौंपा कि वह मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम को निरंतरता प्रदान करते हुए प्रत्येक शनिवार को विद्यालयों में आयोजित करें.क्या है सुरक्षित शनिवार
मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम के तहत विद्यालयों में बच्चों को सुरक्षित शनिवार लागू कर हर शनिवार को आपदा प्रबंधन का पाठ पढ़ाया जाता है. बच्चों को इसमें प्रशिक्षक प्राकृतिक आपदा बारे में जानकारी देते हैं. जिसमें विशेष रूप से बाढ़, भूकंप, शीतलहर, चक्रवाती तूफान, अगलगी, ठनका, वज्रपात, सुखाड़, नदी या तालाब में डूबना, भगदड़, नाव दुर्घटना, रेल व सड़क दुर्घटना, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन, पेयजल, स्वच्छता, बच्चों को जागरूक करने के लिए गुड टच एवं बैड टच व सर्पदंश से बचाव की जानकारी दी जाती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है