Samastipur News:समस्तीपुर : बच्चों की दुनिया बड़ों से थोड़ी अलग होती है. बाल मन भरा होता है ढेरों उत्सुकताओं, जिज्ञासाओं और ख्वाबों से. कोई इंजीनियर तो कोई डॉक्टर बनना चाहता है. लेकिन एक अच्छा इंसान बनने के लिए जरूरी है बाल मन को संवेदनाओं व अहसासों से भरना. आर्ट और क्राफ्ट के माध्यम से बच्चों में एकाग्रता, रंगों व अक्षरों की समझ के साथ-साथ रचनात्मकता भी बढ़ती है. 4-5 साल से 10-12 साल तक के बच्चे जब पर्यावरण संबंधी कोई चित्र या पेंटिंग बनाते हैं, तो उनकी प्रकृति को लेकर समझ और संवेदनशीलता तो बढ़ती ही है. साथ ही सोचने का नया नजरिया भी मिलता है, जो उनके भविष्य के लिए मददगार होता है. इसी उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने प्रारंभिक स्कूलों में रंगों व अक्षरों की समझ के साथ-साथ रचनात्मकता भी बढ़ायेगी. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्हें कला के प्रति जागरूक करना बहुत जरूरी है. उन्हें बचपन से ही आर्ट, पेंटिंग और क्राफ्ट जैसी सृजनात्मक कलाएं सिखाएं, ताकि वे इनके जरिए भविष्य के लिए तैयार हो सकें. जब बच्चे कोई पेंटिंग या चित्र बनाते हैं तब उनमें उस विधा को लेकर रुचि तो उत्पन्न होती ही है साथ ही ध्यान भी केंद्रित होता है. वे यदि किसी चित्र को बनाते हैं या पेपर कटिंग करते हैं या फिर क्ले मॉडलिंग करते हैं तो वे उसे मनचाहा रूप देने के लिए सजग रहते हैं.
कला बढ़ेगा नन्हों का ज्ञान
चित्र कला एक ऐसी दिव्य अनुभूति है, जिसे रंग, रूप, रेखाओं के जरिये सहज ही अभिव्यक्त किया जा सकता है. कला विशेष रूप से बालक-बालिकाओं के मानसिक विकास पर सकारात्मक असर डालती है. वैसे तो सीखने की कोई उम्र नहीं होती, किंतु बालकों को प्रारंभिक शिक्षा के साथ कला संस्कार भी दिए जाएं तो वे मनोविकारों से मुक्त रह कर प्रतिभा संपन्न बन सकते हैं. डीपीओ एसएसए जमालुद्दीन बताते हैं कि बच्चों की मासूमियत और चंचलता हम सभी को लुभाती है, लेकिन ऐसा भी न हो कि बच्चों की चंचलता इतनी भी न बढ़ जाए कि पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान ही न दे पाएं. सभी पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ाई में सबसे आगे रहे, जिसके लिए बहुत जरूरी है कि बच्चा पूरी तरह एकाग्र होकर पढ़ाई करें, क्योंकि एकाग्र हुए बिना अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता. सफलता के लिए एकाग्रता आवश्यक है. आर्ट और क्राफ्ट के माध्यम से एकाग्रता, रचनात्मकता, योजना बनाने की समझ, प्रयोग करने की इच्छा, अक्षरों की पहचान व बच्चों की पर्यावरण को लेकर समझ व सामाजिक ज्ञान भी कला के माध्यम से बढ़ाया जायेगा.
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