Samastipur News:विद्यापतिनगर : हौसला जीतता है हथियार नहीं. तेरी हस्ती है क्या जो मिटायेगा. यह चुनौती है 85 वर्षीय हिम्मत महतो की. जिसके आगे बाढ़ की विभीषिका को आखिरकार अपने पांव पीछे खींचने पड़ गये. कमरतोड़ मेहनत से बना आशियाना बाढ़ में सुरक्षित रहा. दुबहा गांव के लोग बढ़ते जलस्तर को लेकर घर वार छोड़ पलायन को मजबूर हुए थे. वहीं हिम्मत महतो के मजबूत इरादे ने अपने कमजोर आशियाना की रखवाली का हौसला देता रहा. आखिरकार हौसला जीता. जलस्तर वृद्धि में कमी आई और आशियाना सुरक्षित रहा. बताया जाता है कि दो बेटे बाढ़ के डर से घर छोड़ अन्यत्र चले गये. बेटों ने पिता हिम्मत से जान माल की सुरक्षा के लिए साथ चलने की जिद की थी. पर खून पसीने के बल बने झोपड़ीनुमा घर को त्याग हिम्मत जाने को राजी नहीं हुए. घर में जल भराव के बावजूद अकेले चौकी पर बैठ दिन रात जलीय जीव व आयी आपदा के सामना किया. पड़ोसी जो बाढ़ के कारण घर बार छोड़ ऊंचे जगहों पर शरणागत थे, हिम्मत के हौसला को देख सुन दांतों तले उंगली दबा रहे हैं.
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