फोटो संख्या : 24 प्रतिनिधि, पूसा राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के संचार केंद्र में सीमीट के तत्वावधान में वर्कशॉप का आयोजन हुआ. इसमें अंतरराष्ट्रीय पौधा पोषण संस्थान के माध्यम से रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करने का सुझाव दिया गया. अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ आरके मित्तल ने कहा कि मृदा के स्वास्थ्य के लिए मिट्टी जांच एवं रासायनिक खाद के मात्रा निर्धारित क रने के लिए नयी तकनीक को जमीन पर उतारने की आवश्यकता है. इससे भूमि की उर्वरा शक्ति के क्षीण होने से बचाया जा सके. निर्धारित मात्रा से ज्यादा रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करना चाहिए. निदेशक अनुसंधान डॉ मिथलेश कुमार ने कहा कि धान, गेहूं व मक्का के फसलों में नयी विकसित तकनीक के उपयोग से भूमि के साथ किसानों के बेहतर भविष्य की कामना की जा सकती है. कृषि विश्वविद्यालय के माध्यम से इस तरह के अनुसंधान मुजफ्फरपुर एवं समस्तीपुर जिले में चल रहा है. वर्कशॉप आइपीएनआइ के उपनिदेशक डॉ एसके दत्ता के नेतृत्व में चलाये जा रहे हैं. मौके पर सभी कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक के साथ मृदा विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ एसएस प्रसाद, डॉ एसपी सिंह, डॉ जनार्दन प्रसाद, डॉ एनके मल्लिक, डॉ आरसी यादव, डॉ रविनंदन, डॉ पंकज सिंह मौजूद थे.
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उर्वरा शक्ति को क्षीण होने से बचायें किसान : कुलपति
फोटो संख्या : 24 प्रतिनिधि, पूसा राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के संचार केंद्र में सीमीट के तत्वावधान में वर्कशॉप का आयोजन हुआ. इसमें अंतरराष्ट्रीय पौधा पोषण संस्थान के माध्यम से रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करने का सुझाव दिया गया. अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ आरके मित्तल ने कहा कि मृदा के स्वास्थ्य के लिए मिट्टी […]
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