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बेटे ने पैसा भेजा, नहीं निकाल पा रहे हुजूर ….

बेटे ने पैसा भेजा, नहीं निकाल पा रहे हुजूर ....

वर्ष 2023 में बाढ़ आपदा राशि में फर्जीवाड़ा के बाद बिना जांच के हजारों खाता को सीओ के निर्देश पर किया गया था फ्रीज एक वर्ष के मनरेगा में की मजदूरी निकालने पर भी अधिकारियों ने लगा दिया है ग्रहण अकाउंट अनफ्रिज कराने के लिए दर बदर की ठोकर खा रहे किसान व मजदूर सहित वृद्धा पेंशन के लाभुक राजेश डेनजील, नवहट्टा वर्ष 2023 में एक सप्ताह के लिए आयी प्रलयकारी बाढ़ के कारण किसान, मजदूर सहित पेंशनधारी लाभुक व गरीब तबके के लोग दो साल बीत जाने के बाद भी दंश झलने को मजबूर हैं. बाढ़ में तो किसी अधिकारियों ने दरवाजे पर जाकर उनके दुख का हाल नहीं पूछा. लेकिन मेहनत मजदूरी कर खाते में जमा कर रख्री गयी राशि पर ग्रहण लगा दिया है. बतातें चले कि बाढ़ आपदा के बाद सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ित परिवारों को आपदा राशि मुहैया करायी गयी थी. जिसकी इंट्री में या यूं कहे अधिकारियों की लापरवाही व बिचौलिए के डाटा ऑपरेटर से मिलीभगत से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र से अलग सहरसा, दरभंगा व अन्य जगहों के फर्जी लाभुकों की इंट्री कर दी गयी और बाढ़ आपदा राशि का लाभ दे दिया गया. स्थानीय जनप्रतिनिधि के हस्तक्षेप के बाद जांच शुरू हुई, लेकिन तत्कालीन सीओ सहित कर्मी के विरुद्ध डीएम के निर्देश पर प्राथमिकी दर्ज हुई, लेकिन अब तक ना ही शत प्रतिशत कार्रवाई हो पायी, ना ही फर्जी लाभुकों से शत प्रतिशत राशि की रिकवरी हो पायी. अधिकारियों ने अपने ऊपर से दोष हटाने के लिए तटबंध के अंदर बसे बाढ़ प्रभावित पीड़ित सात पंचायत के लगभग पांच सौ से अधिक बाढ़ पीड़ित लाभुकों के खाता को फ्रिज करवा दिया है. अपने ही पैसे निकालने के लिए दर बदर की ठोकर खा रहे अरूण नवहट्टा प्रखंड के बकुनिया वार्ड नंबर 03 निवासी अरुण कुमार एक साल मुंबई से कमाकर अपने घर लौटा. लेकिन जब वे अपने घर पहुंचा तो उसे अपने ही पैसे निकालने के लिए दर बदर की ठोकरें खाना पड़ रहा है. बकुनिया निवासी पवन देवी ने लगभग एक सौ दिन से अधिक मनरेगा में मजदूरी की है. उनके खाते में विभाग द्वारा पेमेंट भी कर दी गयी है. लेकिन वे अपने ही पैसे नहीं निकाल पा रही है. बैंक जाती है तो अधिकारी कहते हैं कि जिला प्रशासन के निर्देश पर आपके खाते को फ्रिज किया गया है. जब तक उन्हें अंचल व जिला प्रशासन का पत्र नहीं मिलेगा, वे खाता अनफ्रिज नहीं करेंगे. तटबंध के अंदर नही है कोई सड़क मार्ग, पैदल जाकर खाली हाथ लौट जाते हैं पीड़ित तटबंध के अंदर से एक दिन में प्रखंड या जिला मुख्यालय कार्यालय जाकर काम कराकर घर लौटना संभव नहीं है. लेकिन जब अंचल या कार्यालय जाते हैं तो उनकी अधिकारी से मुलाकात नहीं हो पाती है. जिस कारण लोगो को फिर नदी की तीन धारा पार कर पैदल घर लौटना पड़ रहा है. किन्हीं के घर में बेटी की शादी है तो किन्हीं घर में बच्चे का मुंडन. या किसी के परिवार का कोई सदस्य बीमार है. लेकिन वे अपने खाता से पैसा नहीं निकाल पा रहे है. अब सवाल यह है कि तटबंध के अंदर के निवासित लोग जब बाढ़ आपदा राशि के योग्य लाभुक हैं तो उनका खाता फ्रिज क्यों कराया गया. जब जांच के क्रम में अधिकारियों ने खाता फ्रिज कराया तो साल भर बीत जाने के बाद भी वास्तविक लाभुक के खाते को अनफ्रिज क्यों नहीं कराया.

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