एक गंभीर सामाजिक व सुरक्षा समस्या का रूप लेती जा रही है लॉज संस्कृति अधिकांश मकान मालिक किरायेदारों का कोई भी पुलिस या प्रशासनिक सत्यापन नहीं कराते सहरसा. शहर में शिक्षा के नाम पर विकसित हो रही लॉज संस्कृति अब एक गंभीर सामाजिक और सुरक्षा समस्या का रूप लेती जा रही है. शहर में सैकड़ों की संख्या में लॉज संचालित हो रहे हैं. जहां दूर-दराज़ से पढ़ाई करने वाले हजारों छात्र कमरा भाड़े पर लेकर पढ़ाई करते हैं. लेकिन इसी लॉज व्यवस्था की आड़ में असामाजिक तत्व भी सक्रिय हो गये हैं. जो छात्र बताकर लॉज में किराए पर रह रहते हैं और शहर में घटित हो रही आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं. चिंताजनक बात यह है कि अधिकांश मकान मालिक अपने किरायेदारों का कोई भी पुलिस या प्रशासनिक सत्यापन नहीं कराते, जिससे अपराधियों को सुरक्षित ठिकाना मिल जाता है. शहर के सराही, बटराहा, गांधी पथ, नया बाजार, शिवपुरी, गंगजला, आजाद चौक, लक्ष्मिनिया, पूरब बाजार, हटिया गाछी, पंचवटी चौक आदि जगहों में कॉलेज, कोचिंग संस्थान, तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र और निजी शिक्षण संस्थानों की भरमार है. जिसके कारण यहां बाहर से आने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ी है. छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए लोगों ने अपने घरों के कमरों को लॉज का रूप दे दिया. कई मकान मालिकों ने पूरा मकान ही लॉज में तब्दील कर दिया है. जहां 10 से 50 तक छात्र रह रहे हैं. शुरुआत में यह व्यवस्था छात्रों के लिए सहूलियत के लिए थी, लेकिन समय के साथ इसका दुरुपयोग शुरू हो गया. लॉज की आड़ में छिपे असामाजिक तत्व लोगों ने बताया कि कई लॉजों में रहने वाले सभी लोग छात्र नहीं हैं. कुछ लोग फर्जी पहचान के सहारे खुद को छात्र बताकर लॉज में रह रहे हैं. ये लोग दिन में इधर-उधर घूमते हैं और रात के अंधेरे में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देते हैं. चोरी, छिनतई, मोबाइल लूट, बाइक चोरी, नशे का कारोबार और यहां तक कि गंभीर अपराधों में भी लॉज में रहने वाले संदिग्ध लोगों की भूमिका सामने आती रही है. हाल के वर्षों में शहर में हुई कई आपराधिक घटनाओं के तार लॉजों से जुड़े पाये गये हैं. पूछताछ के दौरान कई आरोपियों ने स्वीकार किया कि वे लॉज में किराए पर रह रहे थे और वहीं से अपराध की योजना बनाते थे. इसके बावजूद लॉज संचालकों और मकान मालिकों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी. किरायेदार सत्यापन की करते हैं अनदेखी किसी भी मकान मालिक को किरायेदार रखने से पहले उसका पुलिस सत्यापन कराना अनिवार्य है. बावजूद इसके अधिकांश मकान मालिक नियम की अनदेखी कर रहे हैं. कुछ मकान मालिक यह भी मानते हैं कि किराया समय पर मिल जाये, यही उनके लिए पर्याप्त है. समय-समय पर पुलिस द्वारा किरायेदार के सत्यापन कराने की अपील मकान मालिक से की जाती है. लेकिन मकान मालिक द्वारा इसे अनदेखी किया जाता है. छात्रों की सुरक्षा भी खतरे में इन कारण्ध लॉजों में रह रहे वास्तविक छात्र भी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं. कई छात्रों ने बताया कि उनके साथ रहने वाले कुछ लोग संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त रहते हैं. देर रात तक शोर-शराबा, नशे का सेवन और बाहरी लोगों का आना-जाना आम बात हो गयी है. इससे पढ़ाई का माहौल खराब होता है और छात्रों में डर का माहौल बना रहता है. मोहल्लों का बिगड़ता है माहौल रिहायशी इलाकों में लॉजों की अधिकता से रिहायशी इलाकों का माहौल भी प्रभावित हो रहा है. स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाहरी लोगों की आवाजाही बढ़ने से मोहल्लों में अपराध का खतरा बढ़ गया है. महिलाएं और बुजुर्ग खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे हैं. रात के समय अजनबी लोगों का घूमना, बाइक से संदिग्ध गतिविधियां और झगड़ा आम बात हो गयी है. शहर में चल रहे लाॅज पर पुलिस द्वारा पैनी नजर रखी जा रही है. पुलिस द्वारा लाॅज में रहने वाले आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त अपराधियों पर ड्राइव चला कर कार्रवाई की जायेगी. लाॅज व मकान मालिकों से अपील करते हैं कि किराये पर कमरा देने से पहले छात्रों का वेरिफिकेशन करें व थाने से सत्यापन करायें. लाॅज में रहने वाले लोगों की गतिविधि संदिग्ध दिखाई देने पर पुलिस को सूचित करें. मकान में असंवैधानिक गतिविधि पाये जाने पर मकान मालिक व लाॅज संचालकों पर कार्रवाई की जा सकती है. -आलोक कुमार, सदर एसडीपीओ
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