कोहरे का असर 4 से 5 किलोमीटर कोई सिग्नल नहीं रहने पर मेल एक्सप्रेस की अधिकतम स्पीड होगी 75 किलोमीटर प्रतिघंटा कोहरे के कारण लंबी दूरी की कई ट्रेन हो रही घंटे विलंब 12 घंटे विलंब से वैशाली पहुंची सहरसा जंक्शन रेल मंडल ने यात्रियों से सहयोग करने की अपील की मेल एक्सप्रेस पैसेंजर और माल ट्रेन डिवाइस फाग सिस्टम से लैस सहरसा . जाड़े के मौसम में कोहरे की चुनौती से निपटने के लिए पूर्व मध्य रेलवे के समस्तीपुर मंडल ने यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेनों की विश्वसनीय आवाजाही सुनिश्चित करने की लिए व्यापक व बहुस्तरीय तैयारियां की है. रेलवे के इस प्रयास के तहत परिचालन, संरक्षा और मानव संसाधन को एकीकृत रूप से सुदृढ़ किया जा रहा है. कोहरे के कारण सुपर फास्ट, मेल एक्सप्रेस, पैसेंजर और माल ट्रेनों को डिवाइस फॉक्स सिस्टम से लैस कर दिया गया है. सभी लोको पायलट को विशेष गाइडलाइन जारी किया गया है. इसके तहत घने कोहरे के कारण विजिबिलिटी कम होने पर सुरक्षा और संरक्षण को देखते हुए ट्रेनों की न्यूनतम और अधिकतम स्पीड उस ट्रेन के लोको पायलट तय करेंगे. यहां बता दे कि रेल मंडल द्वारा यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि मौसम कितना भी प्रतिकूल हो, यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता रहे. इस क्रम में सुरक्षा में मद्देनजर गाड़ियों को नियंत्रित करके चलाया जा सकता है. इसलिए रेलवे यात्रियों से यह भी अनुरोध करती है कि यात्रीगण गाड़ियों के विलंबित परिचालन के मद्देनजर विशेष तैयारी करके आएं तथा रेलवे का सहयोग करे. अधिकतम स्पीड 75 किलोमीटर प्रतिघंटा निर्धारित रेलवे के निर्देशानुसार अगर कोहरा अधिक हो स्टेशन से ट्रेन को निकलने पर अगर 4 से 5 किलोमीटर के रेंज में कोई सिग्नल नहीं हो तो लोको पायलट अधिकतम 75 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से ट्रेन को आगे ले जा सकते हैं. लेकिन सिग्नल आने से पहले सुरक्षा और संरक्षl को सुनिश्चित करना होगा. लोको पायलट सिर्फ डिवाइस पर नहीं रहे निर्भर रेलवे के गाइडलाइन के अनुसार कोई भी लोको पायलट डिवाइस लोक सिस्टम पर निर्भर नहीं रहेंगे. सिग्नल आने से पहले लोको पायलट को सुरक्षा और संरक्षl की व्यवस्था खुद तय करनी पड़ेगी. सिर्फ डिवाइस के भरोसे लोको पायलट नहीं रहेंगे. रेलवे की व्यवस्थाएं तकनीकी मजबूती : फॉग सेफ डिवाइस और आधुनिक संकेतक प्रणाली फॉग सेफ डिवाइस का उपयोग मंडल के इंजनों में तेज़ी से फॉग सेफ डिवाइस लगाए जा रहे हैं.: यह उन्नत तकनीक लोको पायलट को कम दृश्यता में भी सिग्नल, ट्रैक मार्किंग और महत्वपूर्ण लोकेशन की सटीक पहचान करने में सहायता प्रदान करती है. सिग्नलिंग सिस्टम का आधुनिकीकरण ऑटोमेटिक सिग्नलिंग को अपग्रेड किया गया है, जिससे अत्यधिक घने कोहरे के समय भी ट्रेनों का संचालन और अधिक सुरक्षित हो गया है. दृश्यता सुधारने के कदम : ट्रैक से लेकर टेल लैंप तक प्रमुख ट्रैक पॉइंट्स पर चूने से विजिबिलिटी मार्किंग की गई है सिग्नल साइटिंग बोर्डों की सफाई कर दृश्यता में सुधार सुनिश्चित किया गया है लेवल क्रॉसिंग गेटों पर लूमिनस पट्टियां लगाई गई हैं ताकि रात व कोहरे में स्पष्ट पहचान बनी रहे ट्रेनों के अंतिम डिब्बों में एलईडी आधारित फ्लैशर टेल लैंप लगाए गए हैं, जो पीछे आने वाली ट्रेनों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करते हैं रेट्रो-रिफ्लेक्टिव स्टॉप बोर्ड सहित अन्य उपकरणों की नियमित निरीक्षण की व्यवस्था की गई है सुरक्षित परिचालन व मानव संसाधन प्रबंधन कम विजिबिलिटी की अवधि में भीड़भाड़ कम करने व सुरक्षित परिचालन के लिए ट्रेन मूवमेंट का पुनर्निधारण किया जाएगा विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम एमएल लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट और गार्डों के लिए जोनल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट एवं अन्य केंद्रों में रिफ्रेशर प्रशिक्षण को गति दी गई है, जिसमें कोहरे की स्थिति में सुरक्षित परिचालन पर केंद्रित व्यावहारिक अभ्यास शामिल है. आवश्यकता पड़ने पर फॉग सिग्नलमैन, डेटोनेटर लगाने तथा अन्य सुरक्षा उपाय तुरंत लागू किए जायेंगे. कोहरे का असर लंबी दूरी की ट्रेन घंटे विलंब कोहरे का असर शाम होते ही अब दिखने लगी है. सुबह में विजिबिलिटी भी 5 से 10 रह गई है. ऐसे में लंबी दूरी की ट्रेन काफी विलंब से चल रही है. मंगलवार को भी कई ट्रेन घंटे विलंब से चली. 15566 नई दिल्ली सहरसा वैशाली एक्सप्रेस 11 घंटे से अधिक विलंब 15280 आनंद विहार सहरसा पुरवइया एक्सप्रेस 2 से 3 घंटे विलंब
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

