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धनरोपनी के लिए अभी भी बारिश की बाट जोह रहे हैं किसान

पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से मानसून की बारिश नहीं होने से एक बार फिर किसानों के आगे बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है.

सहरसा. पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से मानसून की बारिश नहीं होने से एक बार फिर किसानों के आगे बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है. खेतों में लगाये गये धान के बिचड़े पीले पड़ने लगे हैं. वहीं धनरोपनी भी प्रभावित हो गयी है. आसमान से बादलों ने भी शायद अब अपना डेरा हटा लिया है. सावन में एक बार फिर चिलचिलाती धूप ने पहुंच बढ़ा दी है, जिससे तापमान में जहां काफी वृद्धि हो रही है. वहीं किसानों के हलक सूख रहे हैं. उन्हें अब धान रोपनी के लिए समस्या दिख रही है. किसानों ने किसी प्रकार धान के बिचड़े तो तैयार कर लिए हैं. लेकिन धान रोपनी के लिए पर्याप्त पानी की जरूरत है, जो उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. मानसून रूठा है एवं पंपसेट के सहारे धान की खेती कोसी के किसानों के बूते संभव नहीं है. कुछ संपन्न किसान पंप सेटों के सहारे धान की रोपनी तो कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भी अपने फसल को बचाने की चिंता सता रही है. जब तक मानसून की जमकर बारिश नहीं होगी, धान की फसल का उपजना मुश्किल है, जबकि जिले में 17 जून को मानसून ने प्रवेश किया है. इसके बावजूद भी खेती के लायक अब तक बारिश नहीं होने से किसानों के आगे समस्या खड़ी हो गयी है. जिससे आगामी धान की फसल पर असर पड़ता दिखने लगा है. जिले की मुख्य फसल धान की खेती ही है. जिले में लगभग 76 हजार हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य निर्धारित है. पूर्व में जहां जून माह के पहले सप्ताह में ही जिले में 25 प्रतिशत से अधिक धान की रोपनी हो जाया करती थी. लेकिन इस वर्ष इसकी शुरुआत जुलाई में तो हुई है. लेकिन अब तक 25 प्रतिशत भी जिले में धान की रोपनी नहीं हो पायी है. जबकि किसान खेतों की तैयारी कर चुके हैं एवं बारिश का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन अब तक बारिश ने किसानों को निराश किया है. पिछले वर्ष जहां जून महीने में व आधे जुलाई में तीन सौ एमएम से अधिक बारिश हुई थी. वहीं इस वर्ष जुलाई में एक सौ एमएम बारिश भी नहीं हुई है. जिससे किसान परेशान दिख रहे हैं. सिंचाई की अन्य व्यवस्था नहीं रहने से जिले के किसान मानसून की बारिश पर निर्भर रहते हैं. नहरें हैं, लेकिन उसमें पानी नहीं है. पंपसेट के सहारे धान की खेती किसानों से संभव नहीं है.

100 एमएम के लगभग हुई है बारिश

समय से थोडे विलंब से मानसून आने के बावजूद भी जिले में मानसून की बारिश का घोर अभाव है. किसान धान रोपनी के लिए मानसून की बारिश का इंतजार रहे हैं. लेकिन वर्षा खेती के लायक पानी देने में दगा दे रही है. इस बाबत पूछे जाने पर अगवानपुर कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम विभाग के तकनीकी पदाधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि हवा में नमी की मात्रा कम रहने के कारण बारिश नहीं हो पा रही है. अगले दो से तीन दिन हवा में नमी रहने की संभावना है. जिससे बारिश संभव हो सकेगी. उन्होंने बताया कि जुलाई महीने में अब तक 105 एमएम बारिश भी नहीं हुई है. जबकि पिछले वर्ष इस समय तक मानसून की लगभग तीन सौ एमएम बारिश हुई थी. उन्होंने कहा कि आगामी कुछ दिनों में बारिश की संभावना है. किसान धान रोपने के लिए थोड़ा इंतजार करें.

76 हजार हेक्टेयर में धान रोपनी का है लक्ष्य

जिले के किसानों का मुख्य फसल धान उत्पादन की है. इसको लेकर किसानों की तैयारी पूर्व से ही रहती है. समय पर जहां खेतों को किसान तैयार करते हैं. वहीं समय पर खेतों में किसान धान के बिचड़े डालते हैं. जबकि समय के अनुसार ही धान की रोपनी भी शुरू करते हैं. लेकिन इस वर्ष अब तक मानसून की खेती लायक बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं. वे मानसून की जमकर बारिश का इंतजार कर रहे हैं. जिला कृषि पदाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि जिले में 75 हजार 934 हेक्टेयर में धान की फसल का लक्ष्य है. जिसकी तैयारी भी किसानों द्वारा की जा रही है. उन्होंने बताया कि शत प्रतिशत बिचड़े का आच्छादन जिले में किया गया है. उन्होंने बताया कि मानसून की बारिश नहीं होने से जिले में रोपनी का कार्य ठीक से प्रारंभ नहीं हो पाया है. कुछ जगहों पर किसानों द्वारा थोड़े कुछ जमीन में रोपनी किये जाने की जानकारी मिली है.

नहरों में नहीं है पानी

जिले के कुछ भागों में नहरों की सुविधा तो है लेकिन उसमें भी पानी की घोर कमी है. जिससे इसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. नहरों के मेंटेनेंस नहीं होने से ये किसी काम के नहीं हैं. समय से पूर्व नहरों की मरम्मति सिंचाई विभाग द्वारा सही तरीके से की गयी होती तो नहरों के सहारे कुछ धान की खेती संभव थी, लेकिन नहरों के जीर्णोद्धार नहीं होने से किसान लाभ से वंचित हैं. जो थोडे नहर काम के लायक भी हैं उनमें पानी नहीं आने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. खेतों की तरह ही नहरें भी सूखी है. किसान हलकान व परेशान हैं.

भीषण गर्मी में बिजली दे रही दगा

इस भीषण गर्मी में बिजली विभाग का खेल भी बदस्तूर जारी है. जिससे भी धान रोपनी पर असर पड़ रहा है. सरकार की योजना हर खेत में बिजली के पंपसेट से पानी भी कोसी क्षेत्र में आधा अधूरा ही सफल हो पाया है. जिन खेतों के निकट यह सुविधा है भी तो बिजली कटौती से लाभ नहीं मिल पाता है. दिन में घंटों बिजली गुल रहती है. जिससे रोपनी कार्य प्रभावित हो रहा है. खेती के लिए दिन में बिजली उपलब्ध कराने की जरूरत है. जिससे किसानों को लाभ मिल सकता है. लेकिन दिन में ही लगातार घंटों बिजली कटौती की जा रही है. जिससे किसानों को धान रोपनी में परेशानियों का सामना करना पड रहा है. दिन तो दिन रात में भी घंटों बिजली गायब रहने से लोग रातजगा करने पर भी विवश हैं. सरकार के 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का वादा नकारा साबित हो रहा है.

बढ़ती गर्मी व उमस से हो रही परेशानी

मौसम विभाग द्वारा मानसून की झमाझम बारिश की संभावना व्यक्त की जा रही है. लेकिन सभी संभावनाएं टांय-टांय फिस्स हो रही है. कभी आसमान में बादल छा रहे हैं तो कभी तेज धूप व उमस से लोग परेशान दिख रहे हैं. मौसम विभाग द्वारा अगले चार दिन झमाझम बारिश की संभावना व्यक्त की गयी है. लेकिन बारिश तो शायद रूठ के बैठी है. इस बीच तेज धूप व उमस से जनजीवन प्रभावित हो रहा है. किसानों से लेकर शहरवासी भी इस तेज धूप व उमस से बचने के लिए वर्षा का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन लोगों को तेज गर्मी से राहत नहीं मिल पा रही है. दिनों दिन हालात बदतर हो रहे हैं. तापमान में वृद्धि हो रही है. मंगलवार को तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा है. जो सुखाड़ की संभावना दिखा रहा है. गर्मी व उमस से लोगों को कहीं राहत महसूस नहीं हो रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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