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शीतलहर का कहर, प्रशासनिक उदासीनता से ठिठुर रहे लोग

विगत पांच दिनों से लगातार चल रही शीतलहर और बर्फीली पछुआ हवाओं ने प्रखंड को कड़ाके की ठंड की चपेट में ले लिया है.

इस समय अलाव ही आम लोगों के लिए एकमात्र सहारा

सलखुआ. विगत पांच दिनों से लगातार चल रही शीतलहर और बर्फीली पछुआ हवाओं ने प्रखंड को कड़ाके की ठंड की चपेट में ले लिया है. ठंड का प्रकोप ऐसा है कि जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है. बुधवार को दिन भर चली सर्द पछुआ हवा और शीतलहर ने ठंड को और भी रौद्र बना दिया. हालात यह है कि कई दिनों से लोगों को सूर्यदेव के दर्शन तक नहीं हो पाये हैं. जिससे ठिठुरन और गलन लगातार बनी हुई है.

कंपकंपाती ठंड के बावजूद अब तक सरकारी स्तर पर चौक-चौराहों एवं सार्वजनिक स्थलों पर अलाव की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जा सकी है. मजबूरी में लोग रद्दी कागज, गत्ता और पुराने कपड़े जलाकर किसी तरह ठंड से बचने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं. अलाव ही इस समय आम लोगों के लिए एकमात्र सहारा बन गया है. दिन भर सर्द हवा और शीतलहर चलने के कारण लोग घरों में दुबके रहने को मजबूर हैं. काम से बाहर निकले लोग भी जल्दबाजी में अपने का कर शाम होने से पहले ही घर लौट जा रहे हैं. हाट-बाजार गये लोगों को भी ठंड से कांपते देखा गया, जिससे बाजारों में रौनक भी प्रभावित हुई है. इधर पंचायत जनप्रतिनिधियों ने अंचल प्रशासन से अस्पताल परिसर, प्रखंड कार्यालय के सामने, सलखुआ बाजार के स्कूल मोड़, शर्मा बाबा चौराहा, महावीर स्थान परिसर, रेलवे स्टेशन परिसर, कोसी तटबंध पर सितुआहा बांध, बहुआरवा चौक सहित अन्य सार्वजनिक स्थलों पर अविलंब अलाव जलाने तथा गरीब व बेसहारा लोगों के लिए कंबल एवं गर्म कपड़ों के वितरण की मांग की है.

ठंड को देखते हुए सभी राजस्व कर्मचारियों को हाट-बाजारों एवं सार्वजनिक स्थलों पर अलाव जलाने का निर्देश दिया गया है, लेकिन अब तक कहीं भी अलाव नहीं जल पाया है. वहीं अंचल नाजिर ने बताया कि जीएसटी वाली लकड़ी का रसीद उपलब्ध नहीं होने के कारण दिक्कत आ रही है. लकड़ी सिमरी बख्तियारपुर या सहरसा से मंगायी जा रही है.

पुष्पांजलि कुमारी, अंचलाधिकारी

ठंड से त्रस्त लोगों का कहना है कि जब तक जीएसटी वाली लकड़ी का वाउचर मिलेगा, तब तक अलाव जलने की उम्मीद कम ही है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि कागजी प्रक्रिया के फेर में आम जनता को आखिर कब तक ठंड की मार झेलनी पड़ेगी.

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