एक ही घर से उठीं तीन अर्थियां, पूरे गांव में मातम पसरा नवहट्टा. नवहट्टा नगर पंचायत में शुक्रवार की रात एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया. मो तस्सद्दु के 36 वर्षीय पुत्र इंतेखाब आलम अपने चार बच्चों व एक साले के बच्चे के साथ सुपौल जिले के झोलहनिया छठी का भौज खाने गये थे. खुशियों भरे पलों के बाद लौटते वक्त किसे पता था कि यही सफर उनकी जिंदगी का आख़िरी सफर बन जायेगा. सुपौल जिले के परसरमा बिहरा मार्ग पर उनकी गाड़ी अचानक नियंत्रण खो बैठी और पुलिया से नीचे जा गिरी. हादसा इतना भयावह था कि इंतेखाब उर्फ मीठे, उनकी पत्नी 32 वर्षीय शाहिदा खातून और चार वर्षीय बेटी सोफिया परवीन की मौके पर ही मौत हो गयी. वहीं गाड़ी में सवार चार अन्य बच्चे बाल-बाल बच गये. 10 वर्षीय समीर की बहादुरी बनी सहारा मृतक के साले के 12 वर्षीय लड़के समीर ने बताया कि जैसे ही गाड़ी पानी में गिरी, पीछे की डिक्की खुल गयी. उसने हिम्मत जुटाई और तीन बच्चों को बाहर निकाल लिया. खुद भी बाहर आया और सड़क पर पहुंचकर मदद के लिए पुकारा. उसकी सूझबूझ से तीन मासूमों की जान बच गयी, लेकिन मीठे, शाहिदा और नन्ही सोफिया की सांसें वहीं थम गयी. शव घर पहुंचते ही मचा कोहराम शनिवार की सुबह जब तीनों शव घर पहुंचा तो माहौल शोक से भर गया. मां की चीख, पिता का विलाप, बच्चों की सिसकी से हर किसी का दिल दहल उठा. पूरा गांव गम में डूब गया. किसी के चेहरे पर शब्द नहीं, बस आंसू थे. लोगों का कहना था कि नवहट्टा ने पहली बार एक ही घर से एक साथ तीन अर्थियां उठते देखी हैं. तीन अर्थियां, एक घर का सन्नाटा दोपहर में जब इंतेखाब, शाहिदा और मासूम सोफिया की अर्थियां एक साथ उठीं, तो पूरा गांव शोक में डूब गया. हर आंख नम थी, हर दिल भारी. रिश्तेदारों से लेकर मोहल्ले वालों तक सभी की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे. लोगों ने कहा एक साथ तीन जिंदगियां चली गईं, यह सिर्फ मौत नहीं, एक परिवार की कहानी का अंत है. मृतक मीठे के साले का 12 वर्षीय बेटा समीर भी उस हादसे का प्रत्यक्ष गवाह बना. समीर ने बताया कि वह हादसे के वक्त गाड़ी की डिक्की में पीछे की ओर बैठा था. अचानक गाड़ी अनियंत्रित होकर पानी में जा गिरी, जिससे कुछ ही क्षणों में चारों ओर अफरा-तफरी मच गयी. समीर ने बताया कि जैसे ही गाड़ी पानी में डूबी, संयोग से डिक्की अपने आप खुल गयी. उसने सूझ-बूझ दिखाते हुए पहले खुद को किसी तरह बाहर निकाला. इसके बाद उसने हिम्मत जुटाई और गाड़ी में फंसे तीन मासूम बच्चों को एक-एक कर बाहर निकालकर उनकी जान बचायी. उसकी इस बहादुरी से कई लोगों की सांसें थम गईं, लेकिन उम्र कम होने और ताकत न होने की वजह से वह आगे की सीट पर बैठे युवकों को नहीं निकाल सका. इस हादसे के बाद समीर की आंखों के सामने जो मंजर था, उसने पूरे गांव को भावुक कर दिया. लोगों ने कहा कि इतनी कम उम्र में समीर ने जो साहस दिखाया, वह किसी मिसाल से कम नहीं है. नेताओं ने पहुंचकर जताया शोक मौके पर प्रखंड प्रमुख शमीम अख्तर पप्पू ने पीड़ित परिवार के घर पहुंचकर शोक संवेदना व्यक्त की और दुख की इस घड़ी में परिवार को ढाढ़स बंधाया. वहीं पूर्व बीडीओ व राजद नेता गौतम कृष्ण ने मृतक के पिता मो तस्सद्दु से मुलाकात कर गहरी संवेदना जताई और कहा कि मीठे जैसे होनहार युवक का इस तरह जाना समाज की बड़ी क्षति है. लोजपा नेता अब्दुर्र रज्जाक ने भी मृतक के घर पहुंचकर परिजनों से मिलकर दुख साझा किया और हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया. पूरा नवहट्टा मातम में डूबा घटना के बाद से ही नवहट्टा का माहौल गमगीन है. हर गली, हर घर में बस एक ही चर्चा स्मत ने एक ही झटके में तीन जिंदगियां छीन लीं. परिजनों की आंखों में आंसू और दिल में टीस है. एक शांत, खुशहाल परिवार की हंसी अब सिसकियों में बदल चुकी है.
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