हाल गंगजला चौक से रेलवे ढाला तक की सड़क का
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जानलेवा है गंगजला-रेलवे ढाले की सड़क
हाल गंगजला चौक से रेलवे ढाला तक की सड़क का बीते सितंबर में जलजमाव से ध्वस्त हो गई थी सड़क सहरसा : गांव-गांव, गली-गली, हर टोला-मुहल्ला सड़कें बनाने की बातें कही जा रही है. लेकिन प्रमंडलीय मुख्यालय की बदहाली पर संज्ञान लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है. लिहाजा जीर्ण-शीर्ण, उबड़-खाबड़ और पूरी तरह […]
बीते सितंबर में जलजमाव से ध्वस्त हो गई थी सड़क
सहरसा : गांव-गांव, गली-गली, हर टोला-मुहल्ला सड़कें बनाने की बातें कही जा रही है. लेकिन प्रमंडलीय मुख्यालय की बदहाली पर संज्ञान लेने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है. लिहाजा जीर्ण-शीर्ण, उबड़-खाबड़ और पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी सड़कें ही शहर की पहचान बनती जा रही है. लोगों को बचते-बचाते इन्हीं सड़कों को पार करने की मजबूरी बनी है.
लोग रोज होते हैं चोटिल: गंगजला चौक से पश्चिम की ओर जाने वाली सड़क काफी खतरनाक बन गयी है. सड़क की ऊपरी परतें पूरी तरह समाप्त हो जाने के कारण सिर्फ पत्थर ही बचे हैं. इस सड़क के दोनों किनारे कई दुकानें हैं, तो सड़क पर बस, ट्रक, ट्रैक्टर सहित अन्य सभी गाड़ियों का परिचालन होता रहता है. गाड़ियों के चक्के से टकराकर बड़े-बड़े पत्थर उड़ते हैं और बगल से गुजर रहे किसी बाइक सवार अथवा राहगीर को चोटें लगती रहती है.
कई बार ये पत्थर उड़कर दुकानों में खरीदारी कर रहे लोगों को लगती है और वे मरहम-पट्टी के लिए सीधे अस्पताल का रूख करते हैं. इसी सड़क के किनारे चाय की दुकान चलाने वाले भूपेंद्र बताते हैं कि सड़क से उड़कर लगे पत्थरों से उनकर काउंटर पर रखे तेरह ग्लास फूट चुके हैं. जबकि दर्जनों लोगों को सिर में चोट लग चुकी है. वहीं स्थानीय निवासी शंभु झा, रत्नेश झा, गौतम भगत, लड्डन, व अन्य ने कहा कि बस मार्ग होने के अलावे पूर्वी व पश्चिमी भाग को जोड़ने वाली यह प्रमुख सड़क है. प्रशासन को यथाशीघ्र ध्वस्त हो चुकी इस सड़क का निर्माण कराना चाहिए.
छह माह बाद भी संज्ञान नहीं
दरअसल बीते वर्ष सितंबर महीने में जमकर हुई बारिश में शहर की सभी प्रमुख सड़कों पर जलजमाव हो गया था. यह स्थिति महीने भर से भी अधिक समय तक बनी रही थी. जलजमाव से अधिकतर सड़कें पूरी तरह ध्वस्त हो गयी थी. पानी हटने के बाद इन सड़कों पर पैदल चलना भी दूभर हो गया था. उम्मीद की जा रही थी कि बारिश की अवधि बीतने के बाद प्रशासन ध्वस्त हो चुकी सड़कों का नये सिरे से निर्माण करायेगी. लेकिन छह माह बीतने को हैं. मरम्मत करने तक का संज्ञान लेने वाला कोई नहीं है. जबकि इन सड़कों पर राज्य सरकार के मंत्री से लेकर जिला प्रशासन के डीएम व एसडीओ रोज गुजरते हैं.
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