परेशानी. शहरवासियों में नप की कार्यशैली को लेकर रोष
Advertisement
शहर की सड़कों पर उड़ती है धूल
परेशानी. शहरवासियों में नप की कार्यशैली को लेकर रोष नप सहरसा शहर के विकास के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करता है. इसके बावजूद शहरवासियों की परेशानी दूर नहीं हो रही है. शहर में हर जगह विकास नहीं दिखता है. सहरसा बस्ती में लोग कच्ची सड़क से आवागमन को बाध्य हैं. इससे लोगों […]
नप सहरसा शहर के विकास के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करता है. इसके बावजूद शहरवासियों की परेशानी दूर नहीं हो रही है. शहर में हर जगह विकास नहीं दिखता है. सहरसा बस्ती में लोग कच्ची सड़क से आवागमन को बाध्य हैं. इससे लोगों में रोष है.
सहरसा : शहर के विकास के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये नप द्वारा खर्च किये जाते हैं. कई ऐसी समस्याएं आज भी बरकरार हैं जो बीते तीस-चालीस साल से है. कुछ जगहों पर काम भी हुए हैं, लेकिन नगर परिषद के सभी वार्डों में बेहतर कार्य नहीं होने से आम लोगों में आक्रोश व्याप्त है. हम शहर के चालीस वार्ड की ऐसी ही समस्याओं को लोगों के सामने लाने की कोशिश कर रहे हैं. आने वाले चुनाव में ये समस्याएं चुनावी मुद्दा बन सकते हैं. लोगों में समस्याओं के निदान नहीं होने का मलाल है, तो प्रतिनिधियों व विभाग के प्रति आक्रोश भी.
भेदभाव करता है नप प्रशासन
वार्ड पार्षद मिथिलेश झा ने कहा कि नप प्रशासन उनके साथ भेद भाव करता है. इस वार्ड से नगर परिषद प्रशासन पिछले पांच वर्षों में उदासीन रहा है. यहां न तो नाला का निर्माण हुआ और न ही जरूरत के अनुसार वैपर लाइट ही लग सकी. ऐसे में विकास कहां से होगा. कई पार्षदों ने कहा कि शहर के सभी वार्ड में अगर नाला का निर्माण नहीं हुआ, तो आने वाले समय में या तो कई मोहल्ला डूब जायेगा अथवा आपस में ही लोग झगड़ने लगेंगे. लोग बताते हैं कि शहर के सभी मोहल्ले में पीसीसी सड़क व चापाकल स्थानीय सांसद पप्पू यादव व भाजपा के पूर्व विधायक डॉ आलोक रंजन के कोष से हुए हैं. नप राजनीति के कारण वार्ड की उपेक्षा हुई है.
मुश्किल में है वार्ड 22 के लोग
वार्ड नंबर 22 के लोगों ने बताया है कि वार्ड की मुख्य समस्या नाला का निर्माण नहीं होना है. यह समस्या बीते तीस सालों से अधिक है. जिस कारण यहां के लोगों के घरों में न सिर्फ बारिश में पानी घुसा रहता है. बल्कि सूखे के दिनों में भी लोगों के सामने जल जमाव की समस्या रहती है. तीस साल में इस वार्ड में नाले का निर्माण या पानी के निकासी का इंतजाम नहीं हो सका है. स्थानीय लोग बताते हैं कि इसके अलावे पीसीसी सड़क नहीं बनने, चापाकल का अभाव, कोतवाली चौक पर बने पुलिए के टूट जाने के कारण होने वाली दुर्घटना सहित कई मामले सामने आये. साथ वार्ड में ऐसी भी बुजुर्ग महिला मिली, जिन्हें घर नहीं है पर उन्हें इंदिरा आवास नहीं मिला है. झोपड़ी में किसी तरह जिंदगी बसर कर रही है.
बोलने लगी है जनता
स्थानीय वार्ड नंबर 21 के निवासी रवि भूषण कहते हैं कि बीपीएल परिवार से है. वर्षों से दौड़ रहा हूं पर आज तक आवास नहीं मिला. कई बार आवेदन वार्ड पार्षद के माध्यम से दे चुका हूं. पर अभी तक घर नहीं मिला. नगर परिषद द्वारा कहा जाता है कि जमीन का पर्चा नहीं रहने के कारण आवास नहीं मिलेगा तो फिर होल्डिंग टैक्स नगर परिषद कैसे लेती है. वार्ड नंबर 20 के श्याम कहते हैं कि मारुफगंज की सड़क निर्माण के कुछ दिन बाद ही जानलेवा बन गयी है. उन्होंने बताया कि सड़क बनते ही टूट जाती है. नगर परिषद द्वारा सड़क बनाने वाले संवेदक पर कोई कार्रवाई नहीं करने के कारण नप प्रशासन भी संदेह के घेरे में है. उन्होंने कहा कि इस सड़क के जर्जर होने के कारण कई दुर्घटनाएं हो चुकी है. कृष्णा नगर निवासी सौरव ने कहा कि इस मोहल्ले के सबसे पूरब वाले सड़क का निर्माण नहीं होने एवं नाला नहीं रहने के कारण इस सड़क पर 12 महीने पानी जमा रहता है. वार्ड नंबर 24 के विशंभर मेहता ने कहा कि वार्ड में कभी साफ सफाई नहीं होती है. जो नाला बना हुआ है वह जाम रहने के कारण मोहल्ले में पानी जमा रहता है. नप के मजदूर वार्ड पार्षद के घर के आसपास साफ सफाई कर चले जाते हैं.
कॉलोनी का हुआ विस्तार पर सुविधाएं नदारद
वार्ड नंबर 38 रिहायशी इलाकों में शुमार होता है. साल दर साल इस वार्ड में भवनों की संख्या बढ़ती गयी है. पर सुविधा कम होती गयी. आलम यह है कि मुख्यालय के इस वार्ड में सुदूर ग्रामीण इलाकों की तरह ही सड़क कच्ची है. पीसीसी भी नहीं बनी है. जिस कारण आज भी इस कॉलोनी की सड़कों पर धूल उड़ते रहते हैं.
फंड के अनुरूप हुआ है कार्य
नप के कार्यपालक पदाधिकारी दिनेश राम ने कहा कि नप प्रशासन के फंड के अनुरूप हर वार्ड में कार्य हुआ है. वार्ड पार्षद की सजगता भी इस मामले में मायने रखती है. जो अपने वार्ड के लिए कामों की मांग रखते हैं. उसके अनुरूप कार्य होते हैं.
चालक की सीट पर बैठ कर यात्रा करते हैं लोग
Advertisement