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कोसी इलाके के समग्र विकास पर सरकार की नहीं है नजर

सरकार भी क्षेत्र अधारित उधोग लगाने पर नहीं दे रही ध्यान सहरसा : कोसी क्षेत्र का बड़ा भू भाग हर साल बाढ़ व सुखाड़ की मार से त्रस्त रहता है. यहां के लोग बेरोजगारी व गरीबी की मार झेलने को मजबूर हैं. इस क्षेत्र के पिछड़ेपन के कारण लाखों परिवार आज भी दो जून रोटी […]

सरकार भी क्षेत्र अधारित उधोग लगाने पर नहीं दे रही ध्यान

सहरसा : कोसी क्षेत्र का बड़ा भू भाग हर साल बाढ़ व सुखाड़ की मार से त्रस्त रहता है. यहां के लोग बेरोजगारी व गरीबी की मार झेलने को मजबूर हैं. इस क्षेत्र के पिछड़ेपन के कारण लाखों परिवार आज भी दो जून रोटी की जुगाड़ करने में दिन रात लगे रहते हैं. इसलिए हर साल रोजगार की तलाश में सबसे अधिक पलायन इसी क्षेत्र से होता है.
रोजगार से मिटेगी गरीब
कोसी क्षेत्र से भूख व गरीबी को मिटाने के लिए जब तक क्षेत्र अधारित कोई उधोग नहीं लग जाता है, तब तक यहां से गरीबी को मिटा पाना संभव नहीं होगा. रोजगार की तलाश में हो रहा पलायन अनवरत जारी रहेगा. कोसी क्षेत्र के लोगों के समुचित विकास के लिए कभी कोई सरकार ने क्षेत्र के पिछड़ेपन को उबारने के लिए नहीं सोचा. जबकि कोसी की विभीषिका झेलने के बावजूद इस क्षेत्र में विकास के लिए कई संभावनाएं हैं. रोजगार के अवसर के लिए सरकार यदि क्षेत्र अधारित मक्का, माछ, मखाना उद्योग लगाने पर थोड़ा सा भी ध्यान दे दे तो इस इलाके में भी बेरोजगारों को रोजगार के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा.
यहां के किसानों को भी उसकी फसल की उचित कीमत मिलनी शुरू हो जायेगी. इन उद्योगों को लगाने के लिए काफी संभावनाएं भी यहां मौजूद हैं. हर साल कोसी इलाके से सिर्फ लाखों टन मक्का बंगलादेश सहित कई अन्य प्रदेशों में जाता है. लेकिन यहां के किसानों को इसकी सही कीमत भी नहीं मिल पाती है. कोसी क्षेत्र का बहुत बड़ा भू भाग तटबंध का पूर्वी भाग सिपेज के कारण साल भर जलमग्न रहता है. यदि इस भू भाग पर सरकार मछली पालन व मखाना अधारित उद्योग पर नजर दे तो लाखों हाथ को रोजगार मिल सकता है. फिर कोसी की विभीषिका को यहां के लोग खुशहाली में बदल कर अपनी जिंदगी बिता सकते हैं. इसके लिए सरकार व जन प्रतिनिधियों को कोसी क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर को उन्नत करने के लिए स्थानीय आधार पर उद्योग लगाने पर विचार करने की मांग कब से की जा रही है. लेकिन आज तक सही मायने में इस पिछड़े इलाके के विकास पर सरकार या जनप्रतिनिधियों की नजर नहीं जा पायी है. जबकि माछ, मखान व मक्का आधारित उद्योग लगने से जहां हजारों बेरोजगारों को रोजगार मिल सकता है. वहीं कोसी क्षेत्र में विकास की रफ्तार में तेजी आ सकती है. इन रोजगारों के लिए यहां संभावना भी काफी हैं.
कोसी की मार से टूट चुके हैं गरीब लोग
कोसी की विभीषिका के कारण गरीबी इस क्षेत्र के लोगों का साथ नहीं छोड़ना चाहती है. कोसी नदी की धारा को बांधने के बावजूद तब से लेकर आज तक कई बार कोसी नदी स्वतंत्र हुई. जिस कारण इस क्षेत्र के लोगों की जिंदगी बाढ़ की विभीषिका के कारण बदतर ही रही. हर साल कोसी की तबाही से मार खाकर लोग टूटने के बावजूद उठकर खड़ा होने के लिए अपने परिवार के आत्मबल के सहारे परिवार को संजोने की पीड़ा उठाते आ रहे हैं. कोसी पीड़ितों की जिंदगी बस कुछ रिलीफ तक ही सीमित है. बाकी इनकी जिंदगी को उंचा उठाने व गरीबी को दूर करने की दिशा में कभी भी कोई सार्थक पहल की कोशिश किसी ने भी सही मायने में नहीं की है. राजनीतिक दृष्टिकोण से भी यह इलाका हमेशा से ही उपेक्षित समझा जाता रहा है.

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