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आखिर कंचन को मिला पति का कंधा

संवेदनशीलता Â प्रशासन की मेहनत लायी रंग, मृतक बीबी गुलशन उर्फ कंचन मामले का पटाक्षेप काफी मशक्कत के बाद प्रशासन की मेहनत रंग लायी और बीते कुछ दिनों से पहेली बनी एक महिला के शव से परदा हटा और उसे पति का कंधा नसीब हुआ. सहरसा : रविवार की देर रात लगभग एक बजे भभुआ […]

संवेदनशीलता Â प्रशासन की मेहनत लायी रंग, मृतक बीबी गुलशन उर्फ कंचन मामले का पटाक्षेप

काफी मशक्कत के बाद प्रशासन की मेहनत रंग लायी और बीते कुछ दिनों से पहेली बनी एक महिला के शव से परदा हटा और उसे पति का कंधा नसीब हुआ.
सहरसा : रविवार की देर रात लगभग एक बजे भभुआ पुलिस के साथ पति राजेश रजवार सदर थाना पहुंचा. जहां
उसे कानूनी तरीके से भभुआ पुलिस की मौजूदगी में सदर थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह ने शव पति को सौपा. पत्नी का शव देखते ही राकेश फफक-फफक कर रोने लगा. मौजूद पुलिसकर्मी व भभुआ से आये परिजनों ने उसे ढ़ाढ़स बंधाया. जिसके बाद प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराये गये एम्बुलेंस से शव को भभुआ के लिये विदा किया गया.
वही राकेश अपना कहानी बताते बताते रो पड़ते थे. मालूम हो कि बीते 31 अगस्त को कंचन अपने आप को बीबी गुलशन, पति मो परवेज व घर करजाइन सुपौल बता प्रसव के लिये भरती हुई थी. जहां उसने एक स्वस्थ पुत्र को भी जन्म दी. जिसके कुछ देर के बाद उसकी हालत नाजुक होते चला गया तो मामले की नजाकता को देख तथाकथित प्रेमी घर से पैसा लाने की बात कह फरार हो गया. प्रसव के 72 घंटे बाद कंचन ने सदर अस्पताल के इमरजेंसी में अंतिम सांस ली.
माता-पिता ने शव लेने से किया इनकार, पहले पति ने भरी हामी
नवजात सौंपा जाएगा दत्तक ग्रहण संस्थान को
प्रसव के 72 घंटे बाद कंचन ने सदर अस्पताल में अंतिम सांस ली
सहरसा स्टेशन पर पर्स हो गयी थी चोरी
बीते एक सितम्बर की देर शाम रिक्शा से उतर कर गुलशन व उसके पति मो परवेज अस्पताल गेट पर रो रही थी. दोनों को रोता देख कांग्रेस नेता मंजीत सिंह ने उससे परेशानी का कारण पूछ उसे अस्पताल में भरती कराया. इमरजेंसी में उसने पुत्र रत्न को जन्म दी. उस दौरान दोनों पति- पत्नी ने बताया था कि वह जालंधर जाने के लिए सहरसा आया था. लेकिन स्टेशन पर चोरों ने उसका पर्स चोरी कर लिया. पुत्र के जन्म लेने के बाद से ही बीबी गुलशन की हालत खराब होने लगी थी. सदर अस्पताल के चिकित्सक, कर्मी व लोगों ने दोनो की स्थिति देख भरपुर मदद किया. इसी दौरान पति मो परवेज पैसा लाने की बात कह फरार हो गया. दो सितम्बर को प्रसव वार्ड में प्रसूता नवजात को ही मारना शुरू कर दिया, किसी तरह लोगों ने मामले की जानकारी अस्पताल उपाधीक्षक व प्रबंधक को दी. कुछ देर बाद उसकी हालत और खराब हो गयी. अस्पताल कर्मियों ने उसे प्रसव वार्ड से इमरजेंसी में भरती कराकर बचाने का भरपूर प्रयास किया. लेकिन तीन सितम्बर की अहले सुबह उसने अंतिम सांस ली थी.

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