राशि गबन की नीयत से अंडरग्राउंड हो गये डॉ मंजयफोटो नंबर-13, थाना पर जांच करने पहुंचे सुपौल इंस्पेक्टर इंद्रजीत बैठा व सब इंस्पेक्टर नीरज निराला. जांच के बाद सुपौल इंस्पेक्टर ने किया खुलासानगर, रून्नीसैदपुर व औराइ थाना पर पहुंच कर जांच में जुटी सुपौल पुलिसप्रभात इम्पैक्ट के तहत सीतामढ़ी में सील हुआ था क्लिनिकप्रभात खबर टोली, सीतामढ़ी/सुपौलसुपौल में फर्जी डिग्री के आधार पर शिशु रोग विशेषज्ञ का क्लिनिक चला रहे डॉ मंजय कुमार रविवार की रात सुपौल से लापता हो गये है. उनके लापता होने की शिकायत सुपौल थाना में दर्ज करायी गयी है. सीतामढ़ी में क्लिनिक सील होने के बाद उन्होंने सुपौल में क्लिनिक खोल लिया था. उनकी टोह में मंगलवार को सुपौल इंस्पेक्टर इंद्रजीत बैठा व सब इंस्पेक्टर नीरज कुमार निराला सशस्त्र बलों के साथ सोमवार की रात नगर थाना, सीतामढ़ी पहुंचे. वहां उन्होंने डॉ मंजय पर आपराधिक मुकदमा हैं या नहीं, इसके बाबत जानकारी ली. इसके बाद शहर के विभिन्न स्थानों के अलावा खासतौर पर हॉस्पिटल रोड में उन्होंने कई लोगों से पूछताछ की. जांच के दौरान कुछ लोगों ने डॉ मंजय के यहां रुपये बकाया रहने की शिकायत भी की है. इलाज के दौरान बच्चे की मौत पर हुआ था हंगामानगर थाना क्षेत्र में जांच-पड़ताल करने के बाद सुपौल पुलिस सीधे रून्नीसैदपुर थाना पहुंची. वहां जांच के दौरान सामने आया कि वर्ष-2011 में पोस्ट ऑफिस रोड में डॉ मंजय का क्लिनिक संचालित था. इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत के बाद लोगों ने हंगामा किया था, जिसके बाद क्लिनिक बंद हो गया था. इसी प्रकार आपराधिक मामलों की जांच के दौरान किसी तरह की प्राथमिकी स्थानीय थाना में दर्ज नहीं पायी गयी. वहां से सुपौल पुलिस जांच के लिए मुजफ्फरपुर जिला के औराइ थाना चली गयी.22 अप्रैल को हो गया था क्लिनिक सीलअप्रैल 2015 में प्रभात खबर ने फर्जी तरीके से संचालित नर्सिंग होम व जांच घरों के खिलाफ तथ्य के साथ एक अभियान चला कर प्रमुखता के खबर प्रकाशित करना आरंभ किया था. खबर का असर हुआ और प्रशासन ने एक टीम बना कर नर्सिंग होम व जांच घरों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी थी. इस दौरान कागजात प्रस्तुत नहीं करने पर 22 अप्रैल 2015 को डॉ मंजय के क्लिनिक को भी सील कर दिया गया. उसके बाद से क्लिनिक कभी खुला ही नहीं. अंदाजा लगाया जा रहा है कि सीतामढ़ी में क्लिनिक सील होने के बाद वे सुपौल चले गये.डॉ मंजय के खिलाफ आपराधिक मुकदमा व रुपये के लेने-देन की जांच के लिए वे आये थे. जांच के दौरान सामने आया है कि कई लोगों का रुपया डॉ मंजय के यहां बकाया था. राशि गबन करने की नीयत से वे अंडरग्राउंड हो गये हैं.इंद्रजीत बैठा, इंस्पेक्टर, सुपौलडॉक्टर की बरामदगी पहली प्राथमिकता : डीआइजी सोमवार को डाॅ मंजय के लापता होने की सूचना के बाद से इस मामले पर नजर रख रहे डीआइजी एनपी सिंह ने कहा कि पुलिस की पहली प्राथमिकता डाॅक्टर की सकुशल बरामदगी है. मंगलवार को सर्किट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान डीआइजी श्री सिंह ने बताया कि उन्होंने स्वयं डॉक्टर के निजी क्लिनिक व आवास पर जा कर जांच की. इस दौरान उनके अपहरण की पुष्टि नहीं हुई और न ही कहीं से फिरौती मांगे जाने की सूचना प्राप्त हुई है. उन्होंने बताया कि चिकित्सक की बरामदगी के लिए पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में अलग-अलग पांच टीमों का गठन किया गया है. एक टीम उनके घर भेजी गयी है, जबकि दूसरी टीम को उनके साथ दवा कंपनी के फ्रेंचाइजी में काम करनेवाले सदस्यों से पूछताछ के लिए भेजा गया है. तीन अन्य टीमें विभिन्न कोणों से इस मामले की जांच कर रही हैं. अभिनव कुमार द्वारा दिये गये आवेदन के आलोक में सदर थाने में प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. शीघ्र ही इस मामले का उद्भेदन कर लिया जायेगा. मौके पर एसपी डाॅ कुमार एकले, एएसपी शैलेश कुमार, एसडीपीओ वीणा कुमारी, सदर थानाध्यक्ष राम इकबाल यादव आदि मौजूद थे.
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राशि गबन की नीयत से अंडरग्राउंड हो गये डॉ मंजय
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