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सरकारी नौकरी नहीं, सरकार बनाने की है ख्वाहिश

सरकारी नौकरी नहीं, सरकार बनाने की है ख्वाहिश नौकरी से त्यागपत्र देकर बने महिषी विधानसभा में उम्मीदवारएक दलगत तो दूसरे ने निर्दलीय लड़ने का लिया फैसलापूर्व बीडीओ गौतम कृष्ण जाप से व एमसीडी में कार्यरत विमलकांत झा निर्दलीय है मैदान मेंकुमार आशीष, सहरसा नगरजिले के महिषी विधानसभा में दलगत प्रत्याशियों के अलावा दो ऐसे भी […]

सरकारी नौकरी नहीं, सरकार बनाने की है ख्वाहिश नौकरी से त्यागपत्र देकर बने महिषी विधानसभा में उम्मीदवारएक दलगत तो दूसरे ने निर्दलीय लड़ने का लिया फैसलापूर्व बीडीओ गौतम कृष्ण जाप से व एमसीडी में कार्यरत विमलकांत झा निर्दलीय है मैदान मेंकुमार आशीष, सहरसा नगरजिले के महिषी विधानसभा में दलगत प्रत्याशियों के अलावा दो ऐसे भी उम्मीदवार है, जिन्होंने सरकारी नौकरी से त्याग पत्र देकर चुनाव में अपनी उम्मीदवारी दे दी है. इन दिनों बीडीओ के पद से त्यागपत्र देकर चुनाव मैदान में उतरे गौतम कृष्ण व दिल्ली की एमसीडी में लेखा पदाधिकारी का पद छोड़ चुके विमलकांत झा चर्चा का विषय बने हुए हैं. पूर्व बीडीओ श्रीकृष्ण, पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी से प्रत्याशी बन किस्मत आजमा रहे है तो श्री झा बतौर निर्दलीय लोकतंत्र के अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं. पूर्व के दिनों में सरकार को अपनी सेवा दे चुके प्रत्याशियों के द्वारा जनता के बीच सरकार बना सिस्टम को दुरुस्त करने की बात कही जा रही है. सिस्टम में बदलाव लाने का है दावानवहट्टा के पूर्व बीडीओ गौतम कृष्ण ने कार्यकाल के दौरान हुई लोकप्रियता को सामने रखते अपनी सेवा विभाग को वापस कर दी. श्रीकृष्ण द्वारा डीएम को दिये गये त्यागपत्र में विधानसभा चुनाव लड़ने का उल्लेख किया गया था. जिसमें उन्होंने आम आदमी के हित में सिस्टम को बदलने की बात कही थी. प्रत्याशी बन चुके गौतम कहते है कि सरकार द्वारा प्रतिनियुक्त एक पद के सहारे पूरी व्यवस्था में बदलाव असंभव है. उन्होंने कहा कि अब फैसला लेने का समय है. हम सरकार का गठन कर या उसका अंग बन विधायिका के जरिये व्यवस्था को सुदृढ़ कर सकते है. नौकरी से ज्यादा समाज की है जरूरतदिल्ली के एमसीडी में वर्षो तक बतौर लेखा पदाधिकारी काम कर रहे जिले के एकाढ़ निवासी विमलकांत झा ने चुनाव से साल भर पूर्व ही नौकरी छोड़ समाजसेवा की राह पकड़ ली थी. विधानसभा चुनाव से पूर्व दिल्ली सरकार को अपना इस्तीफा सौंप क्षेत्र में आये श्री झा ने सबसे पहले जीतनराम मांझी के हम की बागडौर संभाली. हम से उम्मीदवारी नहीं मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जनता के बीच जाने का फैसला लिया. श्री झा कहते है कि नौकरी के बाद पेंशन से परिवार का गुजारा संभव है. लेकिन समाज सेवा करने के लिए पद का होना आवश्यक है. वह बताते हैं कि चुनाव में दल से ज्यादा पब्लिक सपोर्ट जरूरी होता है. फोटो- गौतम कृष्ण 1- गौतम कृष्णफोटो- विमलकांत 2- विमलकांत झा

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