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एसडीओ साहब, प्रेशर हॉर्न व डीजे से परेशान हैं शहर के लोग

अब शुरू होगा डीजे का कोलाहल शादी विवाह के मौसम में बढ़ती है संख्या सहरसा : दोपहिया वाहन एवं छोटे-बड़े वाहनों द्वारा लगातार किये जा रहे प्रेशर हॉर्न के उपयोग से शहरवासी काफी परेशान हैं. परिवहन विभाग द्वारा वाहनों में हॉर्न उपयोग के लिए निश्चित डेसिबल हॉर्न का मानक तय किया गया है. राज्य सरकार […]

अब शुरू होगा डीजे का कोलाहल
शादी विवाह के मौसम में बढ़ती है संख्या
सहरसा : दोपहिया वाहन एवं छोटे-बड़े वाहनों द्वारा लगातार किये जा रहे प्रेशर हॉर्न के उपयोग से शहरवासी काफी परेशान हैं. परिवहन विभाग द्वारा वाहनों में हॉर्न उपयोग के लिए निश्चित डेसिबल हॉर्न का मानक तय किया गया है. राज्य सरकार का भी इसे लेकर स्पष्ट निर्देश हैं. बावजूद दो-पहिया से लेकर छोटे-बड़े वाहनों में तेज हॉर्न वाले यंत्र लगाये जाते रहे हैं. इससे क्षेत्र के लोगों के साथ विद्यार्थियों, बीमार व्यक्ति को काफी परेशानी होती है. इससे पूरा दिन कामकाज करने के बाद रात को नींद लेकर हर व्यक्ति अपनी थकान को दूर करना चाहता है, लेकिन क्षेत्र के कुछ लोग उनकी नींद के दुश्मन बने हुए हैं.
जो कि न दिन देखते हैं न रात. ट्रैक्टर व अन्य वाहनों पर तेज आवाज में म्यूजिक चलाते हैं. ऐसे लोगों के प्रति पुलिस प्रशासन भी कार्रवाई करने में परहेज करती नजर आ रही है. इससे क्षेत्र के लोगों में प्रशासन व पुलिस के प्रति गहरा रोष व्याप्त होता जा रहा है. इस परेशानी से निजात के लिए नवनियुक्त सदर एसडीओ प्रशांत कुमार से क्षेत्र के लोगों की उम्मीद बढ़ गयी है.
बुलेट बाइक से छूटते पटाखे, लोगों के दिलों में बैठता भय: क्षेत्र में बुलेट बाइक पर नियमों से अधिक युवा सवार होकर शहर की गलियों व मुख्य स्थानों पर घूमते हैं. जिससे क्षेत्र वासियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. स्कूल व कॉलेज आदि की छुट्टी होते ही कॉलेज के सामने व बस स्टैंड आदि मुख्य स्थानों पर बुलेट बाइक पर नियमों के विरुद्ध छात्र बैठकर नियमों का उल्लंघन करते रहते हैं. इनसे छूटने वाले पटाखे लोगों के दिल व दिमाग पर बुरा प्रभाव डालते हैं.
क्या कहते हैं लोग: इस समस्या के बारे में श्रवण कुमार का कहना है कि इस प्रकार ट्रैक्टरों पर खुलेआम गाने बजाने का कोई नियम नहीं है. इससे सभी को परेशानी होती है. गलियों से गुजरते समय भी गाने चलाये जाते हैं जो कि अच्छे नहीं लगते. प्रशासन को इन पर शिकंजा कसना चाहिए. वहीं इस समस्या को लेकर सोनू का कहना है कि कई बार ट्रैक्टरों पर तेज आवाज में गाने चलाने वालों को समझाने पर झगड़ा करने को उतारू हो जाते हैं. किसी भी बड़े-छोटे के समझाने से नहीं मानते है. पुलिस को ही ऐसे लोगों पर नकेल कसनी चाहिए. बुजुर्ग रमेश चंद्र सिंह कहते हैं कि हमने तो ऐसे गाने कभी नहीं सुने थे. जो आजकल डीजे में बजाये जाते हैं. बहुत गलत व द्विअर्थी गीत बजाये जाते हैं. लोगों ने कहा कि इस तरफ पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए.
हृदय रोगियों की बढ़ जाती है परेशानी
ट्रैक्टर बना डीजे सिस्टम
क्षेत्र में खुले आम ट्रैक्टरों पर डीजे सिस्टम लगवाये जा रहे हैं. जिनमें तेज आवाज में सरेआम अश्लीलता पूर्ण गाने बजाये जाते हैं. इनकी आवाज इतनी तेज होती है कि उनके आसपास कुछ सुनाई देना बिल्कुल मुनासिब नहीं होता. जिस प्रकार शादी में डीजे बजाया जाता है. उससे भी तेज आवाज में दिन-रात ट्रैक्टरों पर डीजे सिस्टम बजाया जाना आम बात हो गयी है.
भारी वाहनों के प्रेशर हॉर्न से परेशानी
शहर के मुख्य मार्गों के साथ-साथ अन्य सड़कों पर भी भारी वाहनों में प्रयोग होने वाले प्रेशर हॉर्न भी छोटे वाहन चालकों व दुकानदारों के साथ आम आदमी के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं. छोटे वाहन चालक अपने वाहनों पर सवार होकर जाते हैं तो पीछे से बेलगाम दौड़ते आने वाले वाहनों के हॉर्न की इतनी तेज आवाज होती है कि छोटे वाहन चालक उनकी आवाज से एकाएक संतुलन खो जाते हैं. इससे कई बार दुर्घटना का भी शिकार हो जाते हैं. ये प्रेशर हॉर्न ट्रक, ट्रैक्टर, बस, सवारी गाड़ी व मैजिक आदि पर प्रयोग किए जा रहे हैं. दुकानदार व अन्य लोगों का कहना है कि ऐसे प्रेशर हॉर्न उनकी स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं. इसका असर सीधा दिमाग व कानों के पर्दों पर पड़ता है. ऐसे में यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने के अलावा लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

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