लाचारी. शहर में पुराने किले के खंडहर में लगता है सब्जी बाजार
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कभी शान था, अब है खतरनाक
लाचारी. शहर में पुराने किले के खंडहर में लगता है सब्जी बाजार खंडहर बन चुके पुराने किले में लगने वाले सब्जी बाजार में कभी भी कोई घटना हो सकती है़ खंडहरनुमा किले में निकले पत्थर कभी गिर सकते हैं. यहां लगने वाले सब्जी बाजार से नगर पर्षद टैक्स की वसूली करता है. लेकिन, सुविधा के […]
खंडहर बन चुके पुराने किले में लगने वाले सब्जी बाजार में कभी भी कोई घटना हो सकती है़ खंडहरनुमा किले में निकले पत्थर कभी गिर सकते हैं. यहां लगने वाले सब्जी बाजार से नगर पर्षद टैक्स की वसूली करता है. लेकिन, सुविधा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है.
सासाराम (शहर) : शहर के बीच में पुराना किला है, जिसकी कभी शान बघारी जाती होगी, लेकिन अब यह बदहाल है. हैरान करनेवाली बात यह है कि खंडहर हो चुके इस किले के अंदर सब्जी बाजार लगता है. यहां रोज लाखों का व्यापार होता है. पर, हादसे की अपेक्षा लोगों को सता रही होती है. सुबह से शाम तक इस खंडहरनुमा किले में बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना होता है. खंडहर में बने गोदाम में कई व्यापारी रात में भी रहते हैं.
पहली बार बाजार में आने वाले खरीदारों के किले की खंडहर की स्थिति देख कदम ठिठक जाता हैं. किले के गुंबद व दीवारों में लटके पत्थर के टुकड़े कब गिर जाये कहा नहीं जा सकता. इसके बावजूद व्यापारियों का ठहराव व खरीदारों का आना-जाना बदस्तूर जारी है. जर्जर हो चुके किले में कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. किले की दीवारों में बड़े-बड़े दरार उभर आये हैं. पत्थर अपने स्थान से अगल हो गये हैं. ऐसे में वहां व्यापार करना मौत को आंमत्रण देने जैसा है. बवजूद इसके सब्जी विक्रेता वर्षों से उक्त स्थान पर दुकान लगाते आ रहे हैं. व्यापारी किले के अंदरूनी भागों में कोने कोने तक फैले हुए हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी लोग किले का इस्तेमाल कर रहे हैं. दुकानदार आरिफ ने बताया कि हमारे पूर्वज भी इस किले में रहकर व्यापार करते थे.
पीढ़ी दर पीढ़ी आढ़तियों का ठिकाना
अभी हमारी उम्र कम है. अपने अभिभावक को देख कर ही मैंने भी इसी स्थान से व्यापार करना शुरू किया है. इस ओर कभी ध्यान ही नहीं दिया कि किला जर्जर हो चुका है. परंपरागत व्यवसाय चलाने में ही खुश हूं. अपने आस पास कई व्यापारियों को यहां व्यापार करते प्रतिदिन देखता हूं. इस लिए मुझे भी डर नहीं लगता है.
जावेद, सब्जी व्यापारी
दो जून की रोटी के लिए सब कुछ करना पड़ता है. इस छोटे से कारोबार से ही पूरे परिवार का भरण पोषण करना है. सुरक्षित रहना सभी चाहते हैं. परंतु कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण यहां दुकान लगाना मजबूरी है. प्रशासन द्वारा यदि सारे दुकानदारों के लिए मार्केट बना दिया जाये, तो उचित किराया देकर अधिकतर दुकानदार अपना व्यापार उक्त स्थाल से ही करना चाहेंगे.
गुड्डू, सब्जी विक्रेता
किला की स्थिति जरूर जर्जर हो चुकी है. परंतु, इसके नीचे बैठ कर दर्जनों व्यापारी अपने परिवार का खर्च चलाते हैं. लोगों का विश्वास है कि यहां कोई अप्रिय घटना नहीं होगी.
संजय कुमार
नगर पर्षद लेती है टैक्स
खंडहर बन चुके किले में लगने वाले बाजार से नगर पर्षद टैक्स वसूल करती आ रही है. वर्तमान में भी नगर पर्षद के कर्मचारी प्रतिदिन सब्जी बेचने वालों से टैक्स वसूलते हैं. बावजूद इसके दुर्घटना का न्योता दे रहे खंडहर में सुरक्षा का कोई इंतजाम नगर पर्षद द्वारा नहीं किया जा रहा है. जबकि, इओ मनीष कुमार ने बताया कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है.
देखने में लगता है, कभी भी गिर सकता है किला
किले को देखने भर से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कभी भी ध्वस्त हो सकता है. अगर ऐसा हुआ तो सैकड़ों लोग इसमें दब जायेंगे. इन सबके इतर व्यापारी बेखौफ है. करीब पांच दर्जन से अधिक व्यापारी प्रतिदिन सुबह अपनी दुकान यहां लगा देते हैं और शाम तक किले के अंदर डटे रहते हैं. इनके अलावा खरीदारी करने पहुंचे सैकड़ों ग्राहकों की दिन भर आवाजाही रहती है. दुकानदार सोनू ने बताया कि हम वर्षों से यहां सब्जी की दुकान लगाते आ रहे हैं.
हमें बिल्कुल डर नहीं लगता है. कई बार भूकंप के झटके किला झेल चुका है. हालांकि, नगर पर्षद द्वारा हमलोगों के लिए कोई अलग व्यवस्था नहीं कराये जाने के कारण भी यहां व्यवसाय करने की मजबूरी है. छोटे-छोटे स्थानों के लिए बाजार के बीच अधिक किराया देना पड़ता है.
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