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उल्लंघन. मकान बनाने में नगरपालिका अधिनियम का नहीं किया जा रहा पालन

नियमों को ताक पर रख बन रहे मकान शहर में नियमों को ताक पर रख कर मकान बनाने से गली-नाली की समस्या उत्पन्न होने लगी है. पानी का निकास बाधित होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, विकास योजना के तहत नगर पंचायत को गलियों व नालियों का निर्माण […]

नियमों को ताक पर रख बन रहे मकान

शहर में नियमों को ताक पर रख कर मकान बनाने से गली-नाली की समस्या उत्पन्न होने लगी है. पानी का निकास बाधित होने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, विकास योजना के तहत नगर पंचायत को गलियों व नालियों का निर्माण कर पाना मुश्किल हो गया है.
बिक्रमगंज (कार्यालय) : स्थानीय शहर को नगर पंचायत से नगर पर्षद का दर्जा मिला. लेकिन, अब तक शहर में मकान निर्माण के लिए कोई मानक नहीं बन सका है. अगर मानक है भी तो कोई मानता नहीं है. विडंबना यह है कि गली-नाली तक नहीं बन रही हैं. बगैर नियम के पूरा मुहल्ला बस जा रहा है. नियमों को ताक पर रख कर मकान बनाने से गली-नाली की समस्या उत्पन्न होने लगी है. पानी का निकास बाधित होने से जहां लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है वहीं, विकास योजना के तहत नगर पंचायत को गलियों और नालियों का निर्माण कर पाना भारी मुश्किल हो गया है.
स्थानीय शहर को नगर विकास विभाग के द्वारा नगर पंचायत से नगर पर्षद बनाने की घोषणा की गयी है. इसके साथ ही नगर पर्षद में मकान बनाने के नियमावली बनायी गयी है. लेकिन, मकान बनाने में न कोई नगरपालिका अधिनियम का पालन करता है और न ही अधिकारी इसके प्रति गंभीर दिखते हैं. शहर की लगातार आबादी बढ़ती जा रही है.
लोग शहर से बाहर खेतों में मकान बनाना शुरू कर दिये हैं, जितने भी नये मकान बन रहे हैं उसमें से अधिकतर मकान बिना नक्शा पास कराये बन रहे हैं. पहले मकान बनते हैं और बाद में अपनी सुविधा के अनुसार नक्शा पास करा लिया जाता है. भू-स्वामी जिस प्रकार से अपने जमीन की बिक्री करनी चाही बेच दी और खरीदार उसके अनुसार अपना मकान भी बना लिए. न तो गली का निर्धारण हुआ और न ही नाली का.
परिणाम स्वरूप पानी की निकासी एक गंभीर समस्या बन गयी. यह स्थिति एक मुहल्ले की नहीं बल्कि सभी मुहल्ले की है. नगर पंचायत के अधिकारी भी इसके प्रति गंभीर नहीं दिखते है. बिना नक्शा पास कराये बन रहे मकान के पास कर्मचारी जाते जरूर है. लेकिन, मकान के निर्माण पर कभी भी रोक नहीं लगाते है. मकान मालिक अपने सुविधा के अनुसार मकान तो बना लेता है, लेकिन, आसपास के लोगों को आने-जाने या पानी के निकास की समस्या उत्पन्न हो जाती है.
बताया जाता है कि जमीन की अधिक कीमत होने के कारण अधिकतर लोग अपने मकान के आगे या चारों ओर जमीन नहीं छोड़ते है. मकान धरातल से ऊंचा होता है जिससे मकान में जाने के लिए सीढ़ी की आवश्यकता होती है. मकान के आगे सीढ़ी के लिए जमीन नहीं छोड़ने के कारण वे गली में सीढ़ी बना लेते हैं, जिसके कारण गली काफी संक्रिण हो जाता है. लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
क्या है नगर में मकान बनाने का नियम : मकान बनाने के पहले अधिकृत आर्किटेक या अभियंता से मकान का नक्शा बनाना होता है और उस नक्शे को नगर पंचायत से पास कराना अनिवार्य है. मकान के चारों ओर एक-एक फीट जमीन छोड़ना होता है. साथ ही नाली का निकास निर्धारित नाले की ओर होनी चाहिए. मकान के धरातल की ऊचाई भी सामान्य से अधिक नहीं होनी चाहिए.
बगैर नक्शा के बनाये जा रहे मकान : शहर निवासी धर्मेंद्र कुमार बताते है कि शहर में बन रहे अधिकतर मकान बिना नक्शा पास कराये बन रहे हैं, जिससे पानी की निकास की समस्या उत्पन्न हो रही है.
बरसात के मौसम में गली में जल का भारी जमाव होने से घर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है. शहर के सीलौटा निवासी मनोज कुमार बताते हैं कि मकान बनाते समय लोग पानी का निकास निर्धारित नाले की ओर नहीं करते है, जिससे नाले के निर्माण में भी परेशानी होती है. वार्ड पार्षद रामजी प्रसाद कहते है कि बिना प्लॉटिंग के मकान बन जाने से गली-नाले के निर्माण में परेशानी होती है.

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