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टिकट को लेकर मारा-मारी

डेहरी पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार ज्योति रश्मि डेहरी से विजयी हुई थीं. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के बड़े नेता मोहम्मद इलियास हुसैन को 9815 मतों के अंतर से हराया था. जदयू समर्थित भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार अवधेश नारायण सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार की परिस्थितियां अलग हैं. माना जा रहा […]

डेहरी

पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार ज्योति रश्मि डेहरी से विजयी हुई थीं. उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के बड़े नेता मोहम्मद इलियास हुसैन को 9815 मतों के अंतर से हराया था. जदयू समर्थित भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार अवधेश नारायण सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे. इस बार की परिस्थितियां अलग हैं. माना जा रहा है कि इस बार वर्तमान विधायक ज्योति रश्मि के पति प्रदीप जोशी चुनाव मैदान में होंगे. वहीं मो इलियास हुसैन की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है. भाजपा भी उम्मीदवार दे सकती है. हालांकि लोकसभा चुनाव में रालोसपा ने अपना उम्मीदवार दिया था और उसे इस विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा वोट मिले थे. भाजपा से टिकट के दावेदारों में सत्यनारायण यादव का नाम चर्चा में ज्यादा है. यादव पहले राजद में थे और उसके टिकट पर यहां से विधायक रहे हैं. हालांकि पार्टी के कुछ नेता टिकट की उम्मीद लगाये बैठे हैं. जदयू और राजद में भी कई नेता सीट और टिकट पाने का भरोसा कर रहे हैं.

अब तक

डेहरी में राजद के पूर्व विधायक सत्यनारायण सिंह यादव ने पाला बदल लिया है. अब वह भाजपा से पार्टी टिकट के प्रमुख दावेदार हैं

इन दिनों

जदयू कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ है. घर-घर दस्तक अभियान चला रहा. मौजूदा विधायक ‘दारू छोड़ो, दूध से नाता जोड़ो’ अभियान चला रही हैं.

समीकरण : यह चुनाव क्षेत्र कुशवाहा बहुल माना जाता है. पर, यहां यादवों के मतों की भी अनदेखी नहीं की जा सकती. वे भी काफी महत्वपूर्ण हैं.

किस दल से कौन होगा चेहरा

काराकाट

काराकाट विधान सभा क्षेत्र में कुल 261872 मतदाता है. यहां के वर्तमान विधायक राजेश्वर राज हैं. उन्होंने जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ा था और 9815 मतों के अंतर से राजद के मुन्ना राय को हराया था. राज को 49751 और राय को 38336 मत मिले थे. यहां तीसरे स्थान पर माले के अरुण कुमार सिंह रहे थे. सिंह के साथ खास बात यह रही है कि वह पहले तीन बार विधायक रहे चुके हैं. पिछले चुनाव में बसपा ने भी उम्मीदवार दिया था, मगर उसे केवल 2.90 फीसदी ही वोट मिले थे और जमानत भी नहीं बची थी. राजद लोकसभा चुनाव में भी दूसरे स्थान पर रहा. उसके वोट प्रतिशत में बढ़ेतरी भी हुई. इस बार राजद और जदयू मिलकर चुनाव लड़ेंगे. महागंठबंधन में जदयू के सीटिंग को ही टिकट मिलने की ज्यादा उम्मीद है. हालांकि टिकट के दावेदारों की सूची में कई नाम बताये जाते हैं. राजग की तरफ से अभी कोई चेहरा सामने नहीं आया है, लेकिन वहां भी उम्मीदवारी मिलने के विश्वास वाले कई नाम हैं.

अब तक

यहां से जदयू के सीटिंग विधायक ने पाला बदल लिया है. माना जा रहा है कि वह भाजपा में अपने लिए जगह तलाशरहे हैं.

इन दिनों

जदयू घर-घर दस्तक कार्यक्रम चला रहा है. पार्टी से दूर जा चुके विधायक अपने बूते तरह-तरह के कार्यक्रम लगातार कर रहे हैं.

समीकरण : वैसे यह क्षेत्र ब्राह्मण बहुल रहा है, पर परिसीमन से स्थिति बदल गयी है. अब यहां राजपूत, यादव, कुशवाहा और पासवान वोट मायने रखते हैं.

काम से ज्यादा कद का भरोसा

नोखा

नोखा विधान सभा क्षेत्र में 230538 मतदाता हैं. यहां से भाजपा के रामेश्वर प्रसाद चौरसिया वर्तमान विधायक हैं. चौरसिया ने पिछली बार 39020 मत ला कर जीत हासिल की थी. दूसरे स्थान पर रहने वाली पूर्व केंद्रीय मंत्री राजद की कांति सिंह को 27297 मत मिले थे. तीसरे नंबर पर आये भाकपा के कैशर निहाल को 9295 व बसपा के बबन कुशवहा को 8900 मत प्राप्त हुए थे. राजद के बागी उम्मीदवार व पूर्व मंत्री आनंद मोहन सिंह को 6000 तथा कांग्रेस के आशुतोष रंजन पांडेय को 5842 मत प्राप्त हुए थे. सीटिंग विधायक चौरसिया के साथ खास यह है कि भाजपा में उनका कद काफी बढ़ गया है. इसका असर क्षेत्र की जनता की मानसिकता पर भी दिखता है. लोग उन्हें दूसरों की तुलना में अब काफी बड़ा नेता मानते हैं. नासरीगंज-दाउदनगर के बीच सोन पर पुल और नासरीगंज से सकला-करथ ा जाने वाली सड़क की फोर लेनिंग को भी वह व उनकी पार्टी भुनाने में कोर-कसर नहीं छोड़नेवाले. वहीं दूसरे दल केंद्र सरकारी की नीतियों की खामियां और विधायक की कमियों को गिनाने में लगे हैं.

अब तक

यहां कमोबेश सभी नेता अपने-अपने दलों में भी भविष्य खोज रहे हैं. यहां से टिकट पाने की इच्छा रखनेवालों की तादाद हर दल में बढ़ती जा रही है.

इन दिनों

जदयू की तरफ से पर्चा पर चर्चा कार्यक्रम हुआ है. घर-घर दस्तक भी. भाजपा सरकार की विफलताएं गिनारही है.

समीकरण : इस विधानसभा क्षेत्र में अति पिछड़ा समूह के मतदाता अधिक हैं. वैसे, कुशवाहा मतदाता भी कम नहीं हैं. चुनाव में सब इनका ध्यान रखते हैं.

कोई काम दिखा रहा, कोई कमी

करगहर

करगहर विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 258665 है. इनमें से 149740 मतदाताओं ने 2010 में वोट डाले थे. यहां से वर्तमान विधायक रामधनी सिंह हैं, जो बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री हैं. सिंह जदयू से विधायक चुने गये थे. 54190 मत लाकर उन्होंने लोजपा के शिवशंकर कुशवाहा को पराजित किया था. शिवशंकर कुशवाहा को तब 40993 मत प्राप्त हुए थे. कोचस प्रखंड में पावर ग्रिड एवं करगहर पावर सब स्टेशन के निर्माण, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 54 सड़कों एवं मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना और आइएपी के तहत सड़कों के हुए निर्माण, कई प्राथमिक विद्यालयों के मध्य विद्यालय में अपग्रेडेशन तथा कोचस को नगर पंचायत का दर्जा आदि को जदयू अपने फेवर में मान कर चल रहा है. भाजपा और दूसरे दल भी लगातार मुद्दे उछाल रहे हैं. वे सरकारी योजनाओं में खामियां और दूसरी कमियां गिनाने में लगे हैं. स्थानीय समस्याएं इस बार भी चुनावी मुद्दा बनेंगी.

अब तक

किसी बड़े नेता ने दल-बदल नहीं किया है, लेकिन टिकट से वंचित होने की आशंका में कई नेता अलग खिचड़ी पकाने में जुटे हैं.

इन दिनों

जदयू के लोग घर-घर दस्तक व पर्चा पर चर्चा कार्यक्रम चला रहे हैं. भाजपाई बैठक कर अपने समर्थकों में जोश भर रहे हैं.

समीकरण : इस चुनाव क्षेत्र में कुर्मी, राजपूत और ब्राह्मण मतदाताओं की तादाद बड़ी है. इसी वजह से सभी दल टिकट देते वक्त इनका भी ध्यान रखते हैं.

दावेदारों की लंबी फेहरिश्त

दिनारा

दिनारा विधानसभा सीट पर अभी जदयू का कब्जा है. इसके विधायक जय कुमार सिंह बिहार सरकार में सहकारिता मंत्री हैं. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 237760 है. पिछले चुनाव में जय कुमार सिंह ने राजद की सीता सुंदरी देवी को 16610 मतों से हराया था. सिंह को 47176 एवं सीता सुंदरी देवी को 30566 मत प्राप्त हुए थे. इस क्षेत्र से पहली बार 1951 में कांग्रेस जीती थी, लेकिन उसके बाद से लगातार तीन बार प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ बाला जी जीतते रहे. वर्तमान में राजद-जदयू गंठबंधन के बाद ओबीसी मतों के ध्रुवीकरण की ज्यादा संभावना है. बीजेपी के दावेदारोंकी सूची केंद्रीय कमेटी को भेजी गयी है. प्रमुख दावेदारों में राजद से भाजपा में आये पूर्व मंत्री अखलाक अहमद भी हैं. हाल में जदयू के टिकट पर रोहतास-कैमूर विधान परिषद का चुनाव हार चुके अनिल यादव भी जदयू के दावेदारों में शामिल बताये जा रहे हैं. उनकी उम्मीदवारी से जदयू खेमे में मामला दिलचस्प हो सकता है. बीएसपी ने तो हरिद्वार यादव को प्रत्याशी घोषित भी कर दिया है.

अब तक

यहां सबसे प्रमुख दल-बदल राजद से राजद में हुआ है. उसके नेता व पूर्व मंत्री अखलाक अहमद अब भाजपा में हैं और उम्मीदवारी की रेस में हैं.

इन दिनों

भाजपा लगातार ग्रास रूट पर कार्यकर्ताओं की बैठकें कर जमीन मजबूत करने में लगी है. जदयू का घर-घर दस्तक कार्यक्रम चल रहा है.

समीकरण : दिनारा में राजपूत मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. यादव व ब्राह्मण इनके बाद हैं. भुमिहार व कुशवाहा मत भी यहां मायने रखते हैं.

सीट और टिकट के दावेदार बढ़े

सासाराम

सासाराम विधानसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्र्टी के जवाहर प्रसाद लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. इससे पहले भी वह दो बार विधायक रहे चुके हैं. वह पांच बार इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. 2000 में राष्ट्रीय जनता दल के डॉ अशोक कुमार ने उन्हें एक बार हराया था. 2010 के चुनाव में उन्हें 50856 और राजद के डॉ अशोक कुमार को 45445 मत मिले थे. हालांकि उनकी जीत का अंतर 5411 ही था. यह विधानसभा क्षेत्र कुशवाहा बहुल है. प्रसाद व कुमार दोनों इसी समाज से आते हैं. 2015 के विधानसभा चुनाव के लिए समीकरण बदल चूका है. जदयू की तरफ से जहां ईश्वरचंद कुशवाहा व डॉ सचिन कुमार प्रमुख दावेदार के रूप में दिख रहे हैं. वहीं राजद की तरफ से डॉ अशोक कुमार दावेदार माने जा रहे हैं. सासाराम समाजवादियों का गढ़ रहा है, लेकिन भाजपा के जवाहर प्रसाद ने बार-बार यहां से चुनाव जीत कर इसे अपनी पार्टी के गढ़ के रूप में तब्दील किया है. इस विधानसभा क्षेत्र में तिलौथू और सासाराम, दो ब्लॉक आते हैं और राजनीतिक-सामाजिक संरचना के जानकारों के मुताबिक, दोनों इलाकों में भाजपा की पकड़ मजबूत है. हालांकि महागंठबंधन भी विधानसभा चुनाव अपनी खोयी जमीन पाने के लिए कमर कस चुका है. अब देखना यह होगा कि गंठबंधन की चुनावी राजनीति में यह सीट किस पार्टी को मिलती है और कौन किसे अपना उम्मीदवार बनाता है. फिलवक्त सीट और टिकट को लेकर दावेदारी चल रही है.

अब तक

भाजपा व राजद की तुलना में जदयू में नये चेहरे ज्यादा दिख रहे हैं. वे गंठबंधन के तहत जदयू को सीट मिलने पर खुद के लिए मौका चाहते हैं.

इन दिनों

जदयू का घर-घर दस्तक कार्यक्रम चला है. कार्यकर्ता सम्मेलन भी हो चुका है. भाजपाई बैठक और संपर्क अभियान चला रहे हैं.

समीकरण : सासाराम कुशवाहा बहुल क्षेत्र है. इनके मतों को सभी दल अहमियत देते हैं. इसका ध्यान रख कर ही प्रत्याशी भी तय करते हैं.

काम गिनाने पर सब दे रहे जोर

चेनारी (अजा)

रोहतास जिले में एससी के लिए सुरक्षित चेनारी विधान सभा क्षेत्र पर फिलहाल जदयू का कब्जा है. जदयू के श्याम बिहारी राम ने पिछली बार राजद के ललन पासवान को 2901 मतों के अंतर से पराजित किया था. श्याम बिहारी राम को 44586 एवं ललन पासवान को 41685 मत मिले थे. यहां कुल 237704 मत पड़े थे. श्याम बिहारी राम को दुर्गावती जलाशय परियोजना पर हुए काम का लाभ मिलने का विश्वास है. यह रोहतास के साथ ही पड़ोसी कैमूर जिले के लिए भी खासा महत्व रखनेवाली परियोजना है. इससे निकली नहरों से चेनारी विधान सभा क्षेत्र के कई गांवों के खेतों में पानी पहुंचने लगा है. इससे सिंचाई संकट काफी कम हुआ है. नीतीश सरकार में स्कूल भवनों के निर्माण और मरम्मत, स्वास्थ्य सेवाओं और बिजली व्यवस्था में हुए सुधार को भी जदयू अपने हक में मान रहा है, जबकि भाजपा इन उपलब्धियों को उस काल का बता रही है, जब वह भी सरकार में शामिल थी. हालांकि अभी टिकट को लेकर तसवीर साफ नहीं है.

अब तक

राजद में रहे ललन पासवान अब रालोसपा के साथ हैं. जदयू से भाजपा में आये सांसद छेदी पासवान के बेटे भी रेस में माने जा रहे हैं.

इन दिनों

जदयू ने घर-घर दस्तक व पर्चा पर चर्चा कार्यक्रम चला रखा है. कार्यकर्ता सम्मेलन भी हुआ है. भाजपा के लोग भी छोटी छोटी बैठकें कर रहे हैं.

समीकरण : जिले की दूसरी विधानसभा सीटों की तरह यहां भी ओबीसी व अजा की बहुलता है. ऊंची जातियों में ब्राह्मणों का वोट मायने रखता है.

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