14.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

हरियाली पर लग रहा ग्रहण !

गांवों में लगाये गये पौधों की नहीं हो रही देखभाल, कई पेड़ सूखे डेहरी ऑन सोन : मनरेगा के तहत गांवों में हरियाली लाने का सरकारी प्रयास सार्थक होता नहीं दिख रहा है. सिर्फ डेहरी प्रखंड में चयनित आठ पंचायतों में पौधारोपण पर कुल 62 लाख खर्च किये गये, लेकिन अब जो नतीजा सामने निकल […]

गांवों में लगाये गये पौधों की नहीं हो रही देखभाल, कई पेड़ सूखे
डेहरी ऑन सोन : मनरेगा के तहत गांवों में हरियाली लाने का सरकारी प्रयास सार्थक होता नहीं दिख रहा है. सिर्फ डेहरी प्रखंड में चयनित आठ पंचायतों में पौधारोपण पर कुल 62 लाख खर्च किये गये, लेकिन अब जो नतीजा सामने निकल कर आ रहा है, उसके मुताबिक पर्यावरण सुरक्षा व प्रदूषण मुक्त बिहार का सपना शायद ही पूरा हो सकेगा.
इस कार्यक्रम से जुड़े मनरेगा पदाधिकारी की मानें, तो पौधरोपन के बाद अब 60 से 70 प्रतिशत पौधे ही बचे हैं, जिनको बचाने की कोशिश जारी है. हालांकि, पौधों को बचाने के लिए वनपोषकों की नियुक्ति की गया है, लेकिन मजदूरी नहीं मिलने के कारण वनपोषक पौधों की सुरक्षा को छोड़ दूसरे कार्यो में लग गये हैं. अधर, ग्रामीण कु छ और ही बात कह रहे हैं. उनका कहना है कि अधिकारियों द्वारा पौधरोपण के बाद पौधों की जो संख्या बतायी जा रही है, दरअसल वह कागजी है. हकीकत में उतने पौधे रोपे ही नहीं गये. ऐसे में मामला जो भी हो, लेकिन गांवों की हरियाली को ग्रहण लग चुका है.
कहां-कहां लगे कितने पौधे: डेहरी प्रखंड क्षेत्र में मनरेगा कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक, आठ पंचायतों में प्रति यूनिट दो सौ पौधों के हिसाब से कुल 10,600 पौधे रोपे गये. पतपुरा पंचायत में 2200, मङिायांव में 1800, गंगौली पंचायत में 2400, चकन्हा पंचायत में 1000, मथूरी पंचायत में 1000,भलुआड़ी में 1000, दहाउर में 1200 पौधे रोपे गये, लेकिन जमूहार पंचायत में एक भी पौधे नहीं रोपे गये.
वनपोषक करते हैं रखवाली: पौधारोपण के बाद दो सौ पौधों की एक यूनिट मान कर इसकी रखवाली व पोषण के लिये एक वन पोषक की नियुक्ति की गयी. पौधों की संख्या के आधार पर मनरेगा मजदूरों की नियुक्ति हुई, ताकि ग्रामीणों को पांच साल तक रोजगार मुहैया हो सके. वर्ष 2014 के नवंबर तक प्रतिदिन मजदूरी के तौर पर 162 रुपये तथा इसके बाद से मजदूरी बढ़ा कर 177 रुपये कर दी गयी.
वेंडर मुहैया कराते हैं पौधे : इस कार्यक्रम के तहत पौधा मुहैया कराने के लिए वेंडर की नियुक्ति की जाती है. वेंडर को प्रति पौधा औसतन 12-13 रुपये की दर से मुहैया कराता है. सभी पौधे वित्तीय वर्ष 2012-13 के ही लगे हैं.वित्तीय वर्ष 2013-14 व 2014-15 में पौधारोपण नहीं हुआ है.
मजदूरी देने के लिए पैसे नहीं
पौधों की रखवाली करने के लिए मजदूरों का अभाव है. रुपये के अभाव में वनपोषकों को कुछ माह से मजदूरी नहीं मिली है. सड़क किनारे के पौधों को जानवरों ने नष्ट कर दिया है, तो कुछ गरमी से झुलस कर सूख गये हैं. फिर भी 60-70 प्रतिशत पौधे सुरक्षित व संरक्षित हैं.
दिनेश कुमार, कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel