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शहर में कई तालाबों को भर कर बने मकान, अब पानी के लिए पड़े लाले

चापाकल व बोरिंग पर पड़ा पानी का लेयर कम होने का असर सासाराम नगर : शहर में पेयजल के लिए लोगों में हाहाकार मचा है. भू-जलस्तर लगातार नीचे खिसकता जा रहा है. शहर के दक्षिणी इलाके में सभी चापाकल बंद हो गये हैं. नियमित बिजली पूर्ति नहीं होने से पानी की सप्लाई पर भी असर […]

चापाकल व बोरिंग पर पड़ा पानी का लेयर कम होने का असर

सासाराम नगर : शहर में पेयजल के लिए लोगों में हाहाकार मचा है. भू-जलस्तर लगातार नीचे खिसकता जा रहा है. शहर के दक्षिणी इलाके में सभी चापाकल बंद हो गये हैं. नियमित बिजली पूर्ति नहीं होने से पानी की सप्लाई पर भी असर पड़ा है. लोग दूर-दराज से ठेला व अन्य साधनों से पानी ला रहे हैं. जिन घरों में बोरिंग है, उनको तो राहत है, लेकिन पड़ोस के घरों का चापाकल इनके बोरिंग के कारण बंद हो गया है. जिस चापाकल से थोड़ा बहुत पानी आ रहा था लाइन रहने पर वह चापाकल भी बंद हो जाता है. शहर के दक्षिणी क्षेत्रों में दर्जन भर बड़े तालाब थे, लेकिन इधर के 20 वर्षों में लोगों ने कई तालाबों का अतिक्रमण कर लिया है, जिससे भू-जल स्तर प्रभावित हुआ है. जानकार बताते हैं कि पहले 40 फुट पर चापाकल सालों भर पानी देता था और अब 120 फुट पर लगा चापाकल अप्रैल में ही बंद हो जा रहा है.
संकट के लिए लोग खुद जिम्मेदार
20 वर्षों से शहर में लगातार जल स्तर खिसकते जा रहा है. अगर यही स्थिति रही तो आनेवाले पांच वर्षों बाद शहर में पेयजल बड़ी समस्या बनेगी. ऐसा नहीं है कि समस्या अचानक खड़ी हुई है. प्रकृति से खिलवाड़ हमीं कर रहे हैं. सासाराम प्राचीन व ऐतिहासिक शहरों में से है. यहां दर्जनों बड़े-बड़े तालाब थे. आज स्थिति यह है कि रौजा तालाब ही सुरक्षित बचा है, लेकिन तालाब का पानी पूरी तरह प्रदूषित हो गया है. शहर में सरकारी व निजी तालाबों की भरमार थी. जमीन की बढ़ती कीमतों ने निजी तालाबों के अस्तित्व को समाप्त कर दिया है. पूर्वजों द्वारा बनाये गये तालाबों को उनकी अगली पीढ़ी ने बेच दिया. आज उसी तालाब की भूमि पर अलीशान मकान खड़े हैं. सरकारी तालाब की भूमि पर आलिशान मकान खड़े हैं. सरकारी तालाबों की भूमि की तो शहर में लूट मची है. यही कारण है कि शहर में भू-जलस्तर लगातार खिसकता जा रहा है. जिसके लिए लोग स्वयं दोषी हैं और व्यवस्था को बेवजह कोस रहे हैं.
20 वर्षों में अधिकतर तालाबों का हुआ अतिक्रमण
शहर के दक्षिणी क्षेत्र में स्थिति बदतर
शहर के दक्षिणी इलाके की स्थिति बदतर है. उतरी इलाके से भू-जलस्तर काफी नीचे होने के कारण मार्च समाप्त होते ही लगभग चापाकल बंद हो जाता है. सप्लाइ पानी पर लोगों की निर्भरता बढ़ जाती है. इधर, एक सप्ताह से नियमित बिजली आपूर्ति नहीं होने से पानी सप्लाई पर इसका बुरा असर पड़ा है. लोग दूर दराज से पानी ला रहे हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि लोगों को इस समय कितनी परेशानी हो रही है.
बाेले लोग
पेयजल के लिए तो परेशानी सभी को हो रही है. जो सक्षम हैं, अपने घरों में बोरिंग लगा लेते हैं. लेकिन हमारे जैसे गरीबों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. चापाकल बंद हो गया है व पानी सप्लाई की भी स्थिति ठीक नहीं रह रही है.
राजुद्दीन, सब्जी सराय
प्रशासन जब तक बोरिंग लगाने पर प्रतिबंध नहीं लगायेगी, स्थिति में सुधार नहीं हो सकता है. हम लोग पानी के एक-एक बूंद के लिए तरस रहे हैं और अमीरों के घर हजारों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है.
रामप्रसाद, मोची टोला
पीने के लिए पानी किसी तरह व्यवस्था हो जाता है, लेकिन नहाने व कपड़ा धोने के लिए बहुत परेशानी होती है. पहले रौजा तालाब में कपड़ा धोने व नहाने की सुविधा थी. लेकिन अब प्रतिबंध लगा दिया है.
अनिता साहू, इंद्रटोली
किसी को परेशानी नहीं होने दी जायेगी
शहर में पेयजल की समस्या है. नियमित पेयजलापूर्ति के लिए नगर पर्षद प्रयासरत है. जिस इलाके में अधिक समस्या होगी, वहां टैंकर से पानी उपलब्ध कराया जायेगा. पानी के लिए किसी को परेशानी नहीं होने दी जायेगी.
कुमारी हिमानी, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर पर्षद सासाराम
घर के सभी लोग काम छोड़ कर सुबह से शाम दो घंटे पानी ढोते हैं. ठेला पर गैलन रख दो किलोमीटर दूर खेतों में लगे बोरिंग से पानी लाया जाता है. प्रशासन इन क्षेत्रों में पानी टैंकर की व्यवस्था करती तो बेहतर होता.
अंजु कुंवर, गुरुद्वारा रोड

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