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असाध्य रोगों का इलाज प्राकृतिक देव स्थल पर
नौहट्टा : प्रखंड क्षेत्र का अति प्राचीन महादेव खोह गुफा मंदिर के जल को श्रावण मास भर ग्रहण करने से कई बीमारियों से निजात मिलती है. बुजुर्गों की माने तो यहां का जल पीने से भोजन तत्काल पच जाता है व भूख लगी की लगी रहती है. इसका मुख्य कारण मंदिर के ऊपर गिरने वाले […]
नौहट्टा : प्रखंड क्षेत्र का अति प्राचीन महादेव खोह गुफा मंदिर के जल को श्रावण मास भर ग्रहण करने से कई बीमारियों से निजात मिलती है. बुजुर्गों की माने तो यहां का जल पीने से भोजन तत्काल पच जाता है व भूख लगी की लगी रहती है.
इसका मुख्य कारण मंदिर के ऊपर गिरने वाले जल के मार्ग में सैकड़ों जड़ी-बूटी का मिश्रण होना बताया जाता है . जिसमें मुख्य रूप से गिलोय, गुडमार, तुलसी, संजीवनी, जामुन, बरगद, पीपल, जोंगी ,हर्रे-बहेड़ा, आंवला, टेन, चिरौंजी आदी के पौधे नदी के किनारे मौजूद है.
नदी के किनारे हजारों फुट ऊंचा सपाट पहाड़ी होने से उससे सालों भर गिरने वाले काले रंग के शिलाजीत आकर नदी के पानी में मिश्रित होते रहते है .एक तरफ औषधीय गुण वाले पानी व अति प्राचीन शिव लिंग व गुफा सैलानियों के लिए उनकी आस्था में चार चांद लगा देते है. जिसके कारण झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ आदि जगहों से आने वाले भक्तों का सालों भर तांता लगा रहता है. प्रखंड के लोग भी बीमारी से बचने व रोग से निजात पाने के लिए वहां का जल घर लाकर कई कई दिनों तक पीते रहते है.
जनश्रुति के अनुसार सैकड़ों वर्षों से असाध्य रोग से पीड़ित लोग महादेव खोह गुफा मंदिर में पूरे सावन माह रह कर पूजा अर्चना करते और यहां का जल ग्रहण कर स्वास्थ्य लाभ उठाते रहते है. लोगों को यह विश्वास है कि यहां आने वाले भक्तों का भोलेनाथ सभी कष्ट दूर कर देते है. इसलिए पूरे माह यहां भक्तों का तांता लगा रहता है .
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