13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

कलम के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी, हिंदी साहित्य के पत्रकार और बिहार विधानसभा के सदस्य भी रह चुके थे

रामवृक्ष बेनीपुरी की काव्य की ओर बाल्यकाल से ही स्वाभाविक रुचि थी. इनका साहित्यिक जीवन 1921 ईस्वी से तरुण भारत के सहकारी संपादक के रूप में आरंभ हुआ. स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भाग लेने के कारण समय-समय पर उन्हें जेल यात्रा भी करनी पड़ी थी.

राम सिंहासन सिंह: राष्ट्र राष्ट्रभाषा तथा हिंदी पत्रकारिता की सेवा में अपना समग्र जीवन समाज को देने वाली विरल हस्ती का नाम है रामवृक्ष बेनीपुरी. उनकी भाषा शैली को देखकर आचार्य शिवपूजन सहाय ने कहा था-लेखनी है या जादू की छड़ी. सच्ची बात तो यह है रामवृक्ष बेनीपुरी का स्मरण होते हैं एक सदा कार्यशील, निष्ठावान, अध्ययन शील, सतत जागरूक तथा राष्ट्रभक्त व्यक्ति की छवि सामने आ जाती है. काव्य की ओर बाल्यकाल से ही इनकी स्वाभाविक रुचि थी. इनका साहित्यिक जीवन 1921 ईस्वी से तरुण भारत के सहकारी संपादक के रूप में आरंभ हुआ. स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भाग लेने के कारण समय-समय पर उन्हें जेल यात्रा भी करनी पड़ी थी.

हिंदी साहित्य के पत्रकार भी रहे

रामवृक्ष बेनीपुरी राजनीतिक पुरुष ही नहीं थे, बल्कि पक्के देशभक्त भी थे. वे हिंदी साहित्य के पत्रकार भी रहे और समाचार पत्र ‘युवक’ भी निकालते थे. इसके अलावा वह कई राष्ट्रवादी और स्वतंत्रता संग्राम संबंधी कार्यों में संलग्न रहे. सन 1930 में कारावास काल के अनुभव के आधार पर पतियों के देश में उपन्यास का सृजन हुआ. उनकी अनेक रचनाएं उनकी यस कलगी के समान हैं, उनमें जयप्रकाश, नेत्रदान, सीता की मां, विजेता, मील के पत्थर, गेहूं और गुलाब शामिल हैं. शेक्सपियर के गांव में और न्यू की ईंट इन लेखों में भी रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपने देश प्रेम, साहित्य प्रेम, त्याग की महत्ता और साहित्यकारों के प्रति सम्मान भाव दर्शाया है, जो अविस्मरणीय है.

Also Read: रामवृक्ष बेनीपुरी की जयंती आज, मुजफ्फरपुर में बागमती नदी के किनारे बनेगा स्मारक
1957 में बिहार विधानसभा के सदस्य भी चुने गये थे

रामवृक्ष बेनीपुरी बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार थे. उन्होंने जीवन मूल्यों को स्थापित किया है, आदर्श को संजोया है और अनुभूतियों को व्यक्त किया है. आरोप को स्वरूप और भाव को भाषा दिया है. बेनीपुरी जी की रचनाओं में जहां एक ओर जीवन के कठोर यथार्थ के चित्र मिलते हैं, वहीं दूसरी ओर आदर्शों की मनोरम छटा भी मिलती है. अंबपाली ,सीता की मां, संघमित्रा ,अमर ज्योति ,तथागत सिंघल, विजय शकुंतला, रामराज नेत्रदान आदि इनके प्रमुख नाटक हैं. वे सन 1957 में बिहार विधानसभा के सदस्य भी चुने गये थे.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel