Operation Sindoor, अरूण कुमार, पूर्णिया: इतिहास गवाह है कि पूर्णिया की धरती वीर सपूतों की धरती रही है. कालखंड चाहे जो हो, देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान करने वालों की यहां लंबी श्रृंखला रही है. सीमाओं पर भी तैनात पूर्णिया के बेटों ने कई-कई बार अपने जिले की माटी को गौरवान्वित किया है. पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए नृशंस आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत चल रहे हवाई अभियानों की निगरानी कर बड़ी कामयाबी हासिल कर पूर्णिया के निवासी एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती ने न केवल भारतवासियों के दिलों को सुकून पहुंचाया है बल्कि अपने पुराने शहर पूर्णिया को भी गौरवान्वित किया है. पूरे पूर्णिया प्रमंडल वासियों की ओर से एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती को सेल्यूट !!
परिवार के बारे में जानिए
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत चल रहे हवाई अभियानों की निगरानी बिहारी अधिकारी एयर मार्शल अवधेश कुमार भारती कर रहे थे जो महानिदेशक वायु संचालन (डीजीएओ) हैं. एयर मार्शल भारती पूर्णिया जिले के कृत्यानंदनगर प्रखंड अन्तर्गत झुन्नी कलां गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता जीवछलाल यादव कोशी परियोजना के सेवानिवृत्त लेखाकार हैं और उनकी माता उर्मिला देवी का घर श्रीनगर हाता, पूर्णिया में है. एयर मार्शल भारती के दो भाई हैं जो पूर्णिया में काम करते हैं. एयर मार्शल भारती ने अपनी स्कूली शिक्षा सैनिक स्कूल तिलैया से प्राप्त की, जहां से वे एनडीए, पुणे गए और जून 1987 में भारतीय वायुसेना के फाइटर स्ट्रीम में शामिल हुए.
स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से हुए सम्मानित
एयर मार्शल भारती का पेशेवर इतिहास बहुत ही शानदार रहा है, जिसमें उन्होंने पाठ्यक्रम में शीर्ष स्थान प्राप्त किया था और उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया गया था.कई महत्वपूर्ण दायित्व का किया निर्वाहउन्होंने वेलिंगटन में प्रतिष्ठित स्टाफ कोर्स और नई दिल्ली में एनडीसी भी किया. एयर मार्शल भारती ने एक फ्रंटलाइन फाइटर बेस की कमान संभाली और भारत के भीतर और बाहर कई महत्वपूर्ण कार्यभार संभाले.
अपने दादाजी का सपना किया पूरा
एयर मार्शल भारती के 85 वर्षीय पिता जीवछलाल यादव बताते हैं कि उनके बाबूजी विशुद्ध रूप से खेती किसानी से जुड़े हुए थे. वे जब भी आसमान में किसी जहाज को गुजरते देखते थे तो अक्सर कहा करते थे कि देखना मेरा यह बड़ा पोता एक दिन जरुर हवाई जहाज उडाएगा और उनके पोते ने एयरफ़ोर्स ज्वाइन कर अपने दादा का सपना पूर्ण कर दिया. यादव ने यह भी बताया कि बचपन से ही भारती मेधावी रहे हैं.
परीक्षा के परिणाम इतने अच्छे थे कि डिफेन्स में उनके समक्ष किसी भी सेवा में जाने का ऑप्शन था बावजूद इसके उन्होंने एयरफोर्स का ही चयन किया जबकि उन्होंने स्वयं भी उनसे, नेवी में जाने की पेशकश की थी लेकिन पोते के मन में अपने दादाजी की बातें इस कदर गहरी बैठ चुकी थी कि उन्होंने एयरफोर्स में जाना तय किया और वर्ष 1987 में इसे जॉइन कर लिया. हालांकि भारती के दादाजी स्व. अनूपलाल यादव का उसी वर्ष निधन हो गया लेकिन एयरमार्शल भारती ने उन्हें अपने ग्लायडर प्रशिक्षण के बारे में जानकारी दे दी थी.
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बेटे की उपलब्धि पर पिता को गर्व
उन्होंने कहा कि बेटे की उपलब्धि पर उन्हें बेहद गर्व महसूस हो रहा है. इस बात से ख़ुशी है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के इतने बड़े अभियान में मेरा बेटा भी लगा हुआ है और फतह हासिल कर रहा है. पिता की बूढ़ी हो चुकी आंखों में बेटे की उपलब्धि की ख़ुशी के साथ साथ नज़रों से दूर रहने का अफ़सोस भी साफ़ दिखता है. उन्होंने बताया कि फोन पर तो बात हो जाया करती है लेकिन सामने से देखना कम ही नसीब हो पाता है. फिर कुछ याद करते हुए कहते हैं एक साल पूर्व प्रयागराज में उनसे मुलाकात हुई है और उससे पूर्व कोलकाता में रहने के समय में भी पूर्णिया आगमन हुआ था.
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पारिवारिक विशिष्ट अवसरों व उत्सवों में आते हैं पूर्णिया
उनके अनुज और मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े मिथिलेश कुमार बताते हैं कि उनके बड़े भाई एयरमार्शल अवधेश भारती अक्सर पारिवारिक उत्सवों के मौके पर पूर्णिया आते हैं खासकर अपने गांव में जाकर जानने वालों से बिलकुल सादगी के साथ मिलना बतियाना उन्हें बेहद पसंद है. आगे कहते हैं भारत के ऑपरेशन सिन्दूर मिशन में वे शरीक हैं इस बात का परिवार के लोगों को जरा भी भान नहीं था. मीडिया में आने के बाद जानकारी मिली तो हमसभी को बेहद गर्व का एहसास हुआ. उन्होंने बताया कि उनकी भाभी यानि एयरमार्शल भारती की पत्नी संगीता मल्ला खुद भी एयरफोर्स में शार्ट टर्म कमीशंड पायलट के रूप में अपनी सेवा दे चुकी हैं.
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अंकल को टीवी पर देखकर गर्व होता है
एयरमार्शल अवधेश भारती की लगभग 10 वर्षीया भतीजी और मिथिलेश कुमार की पुत्री स्नेहा एक स्थानीय इंगिलश मीडियम स्कूल की छात्रा हैं कहती हैं कि अंकल को टीवी पर बोलते देख बेहद गर्व का एहसास होता है. वे जब भी फोन करते हैं तो पूछ्ते हैं क्या कर रही हो. बोलते हैं पढ़ाई के साथ साथ कुछ अलग हॉबी भी रखा करो.