पूर्णिया. जिले में एक ऐसा सरकारी स्कूल है, जहां शिक्षकों ने अपना ‘ड्रेस कोड’ बनाया है. ऐसा करने वाला जिले का इकलौता सरकारी विद्यालय है. पिछले शनिवार को जब विद्यालय परिसर में सभी शिक्षक-शिक्षिका सफेद पोशाक और गहरे नीले दुपट्टे या शॉल में एक समान वेशभूषा में खड़े दिखायी दिये, तो यह दृश्य केवल सुंदरता ही नहीं बढ़ा रहा था, बल्कि विद्यालय की संस्कृति और सामूहिकता की भावना को भी मजबूत कर रहा था. यह सादगीपूर्ण संयोजन न सिर्फ आंखों को आकर्षित करता है, बल्कि यह अनुशासन, समानता और समर्पण का भी प्रतीक है. विद्यालय की शिक्षिका पूजा बोस की मानें तो विद्यालय में हर छोटी परंपरा और हर पहल बच्चे के जीवन में गहरे प्रभाव छोड़ती है. इसी क्रम में विद्यालय के शिक्षकों द्वारा शनिवार से यूनिफॉर्म पहनने की शुरूआत की. शिक्षिका पूजा बोस ने बताया कि शिक्षक के यूनिफॉर्म पहनने की यह परंपरा केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह विद्यालय के समर्पण, अनुशासन और सामूहिक संस्कृति का प्रतिबिंब है. यह पहल विद्यालय को एक ऐसी जगह बनाने में मदद करती है, जहां न केवल शिक्षा दी जाती है, बल्कि जीवन मूल्यों को भी जिया जाता है. ऐसी छोटी-छोटी परंपराएं ही विद्यालय को सिर्फ स्कूल नहीं, बल्कि सीखने और जीने का घर बनाती हैं. उन्होंने बताया कि जब शिक्षक एक समान वेश में छात्रों के सामने उपस्थित होते हैं, तो बच्चे समझते हैं कि अनुशासन केवल आदेश देने की चीज नहीं, बल्कि उसे स्वयं निभाकर दिखाने का नाम भी है. यह यूनिफॉर्म केवल कपड़ों का मेल नहीं है, बल्कि यह शिक्षकों के बीच पारस्परिक एकता, सौहार्द और सहयोग की भावना का रूपक है.
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