अकीदत के साथ अता की गई अलविदा की नमाज, मांगी गयीं दुआएं
नमाज से पहले उलेमाओं ने जकात और फितरा के बारे में दी तकरीर
पूर्णिया. अलविदा जुमे की नमाज के मौके पर शुक्रवार को पूर्णिया की मस्जिदें नमाजियों से खचाखच भर गईं. इमामों ने मुल्क की तरक्की और अमन-चैन के लिए दुआएं मांगी. मस्जिदों में अजान के बाद नमाजी बड़ी संख्या में पहुंचे. नमाज से पहले उलेमाओं ने जकात और फितरा के बारे में तकरीर की. इससे पहले अलविदा की नमाज अदा करने के लिये खजांची हाट स्थित बड़ी जामा मस्जिद में नमाजियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ. वजू बनाने के बाद जगह लेकर लोग बैठ गये और अल्लाहताला की जिक्र में मशगूल हो गये. इस बीच जामा मस्जिद के इमाम हजरत मौलाना साहब मस्जिद में तशरीफ लाते हैं. सभी लोग उनके सम्मान में खड़े हो जाते हैं. उसके बाद जुमे के खतुबे की अजान होती है. फिर खुतबा पढते हैं और उसके बाद फर्ज नमाज होती है. लाइनबाजार स्थित ऐतिहासिक खजांची हाट जामा मस्जिद में शुक्रवार को लोगों की भारी भीड मौजूद थीं. नमाज शुरू होने के एक घंटा पहले से लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है. बुजुर्ग, बच्चे और जवान सब एक साथ नमाज अता करते हैं. अमूमन यही नजारा शहर और आसपास की सभी मस्जिदों व खानकाहो में भी दिखा. शुक्रवार की सुबह से ही लोग अलविदा की नमाज की तैयारियों में जुट गए थे. लोगों के हर कदम मस्जिदों और खानकाहो की ओर उठ रहे थे. दोपहर एक बजे से अलग अलग मस्जिदों में नमाज अदा की गई. खजांची बड़ी जामा मस्जिद, मधुबनी बड़ी मस्जिद, सिपाही टोला, मौलवी टोला, ओली टोला, पुलिस लाइन, महबूब खान टोला, राजाबाड़ी, मदरसा अंजुमन इस्लामिया, खुश्कीबाग, पूर्णिया सिटी एवं गुलाबबाग समेत सभी मस्जिदों व खानकाहो में लोगों की भारी तादाद मौजूद थी. हर जगह मस्जिदों और ईदगाहो में भीड उमड़ पड़ी. सबने अकीदत के साथ नमाज अता कर जीवन की बेहतरी और अमन चैन के लिए दुआएं मांगी. ———————–तकरीर : ईद की नमाज से पहले फितरा अनिवार्य
एक माह के रोजे के दौरान दिन भर भूखे पेट रहने, दिन रात अल्लाहताला की इबादत में गुजारने और अपनी सभी इच्छाओं को काबू में रखने की लंबी आजमाइश से गुजरने के बाद खुशियों का खजाना लेते हुए ईद का दिन आता है. ये खुशियां गरीब, अमीर बेबस और लाचार सबको नसीब न हो तो फिर सब बेकार. यही वजह है कि ईद के मौके पर फितरा की अहमियत बयां की गई है. कहा गया है कि ईद की खुशियों के मौके पर अगर पड़ोसी संसाधनों की कमी से खुशी न मना पाए तो आपके लिए ईद का कोई मतलब नहीं. इसलिए इस्लाम ने तमाम मुसलमानों को मिल जुल कर खुशियां मनाने के लिए फितरा की व्यवस्था की. फितरा वह रकम है जो तमाम सुखी मुसलमानों को अदा करना अनिवार्य है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

