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अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा जीएमसीएच का पोस्टमार्टम हाउस

प्रतिमाह एक सौ से अधिक शवों का किया जाता है यहां अन्त्यपरीक्षण

प्रतिमाह एक सौ से अधिक शवों का किया जाता है यहां अन्त्यपरीक्षण

पूर्णिया. राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में अवस्थित पोस्टमार्टम हाउस की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है. लम्बे समय से यहां एक कोने में अवस्थित एक छोटे से कमरे में अन्त्यपरीक्षण के लिए आये मृतकों का पोस्मार्टम किया जाता है. हालांकि शव को सुरक्षित रखने के लिए इस भवन में फ्रीजर और एसी भी लगे हैं बावजूद इसके, स्थान की कमी आड़े आ रही है. लगभग बीस बाय बीस फीट के कमरे में लगी टेबल पर फोरेंसिक विभाग के चिकित्सक शव का अन्त्यपरीक्षण करते हैं. इस दौरान मेडिकल कॉलेज के छात्र भी यहां अध्ययन करने आते हैं. शवों के अन्त्यपरीक्षण के समय स्टडी के लिए ग्रुप बनाकर आने वाले छात्र छात्राओं की संख्या अमूमन 20 से 25 तक की होती है. पर्याप्त जगह की कमी की वजह से उन सभी को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. दूसरी ओर पोस्टमार्टम हाउस के आसपास साफ़ सफाई की भी कमी है यहां कमरे से सटे बरामदे के निकट ही झाड़ियों का अम्बार नजर आता है. वहीं बगल में ही अस्पताल के रद्दी हो गये बेड के कबाड़ भी जमा हैं. मिली जानकारी के अनुसार इस पोस्टमार्टम हाउस में अमूमन प्रतिमाह एक सौ से अधिक शवों का अन्त्यपरीक्षण किया जाता है.

आपात चिकित्सा के निकट प्रस्तावित है पोस्टमार्टम हाउस व शव गृह

राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में पोस्टमार्टम हाउस व शव गृह के लिए पूर्व से ही जगह चिन्हित हैं. जानकारी के मुताबिक़ इसके लिए जीएमसीएच में चल रहे आपात चिकित्सा सेवा के निकट वाले स्थान पर कार्य कराया जाना है बताया जाता है कि उक्त स्थल पर चिकित्सक कक्ष, स्टाफ कक्ष सहित अन्त्यपरीक्षण एवं शव गृह का 4 हजार स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में यह भवन बनाया जाना है. लेकिन अभी तक इसकी आधारशिला तक नहीं रखी जा सकी है. दूसरी ओर मेडिकल तृतीय वर्ष की कक्षाओं के शुरू हो जाने के बाद सभी छात्र छात्राओं को एकेडमिक ब्लाक की फोरेंसिक कक्षा के अलावा पोस्टमार्टम हाउस में भी जाकर अध्यन करना पड़ता है इसके लिए पुराने स्थान पर ही जाना उनकी मजबूरी बनी हुई है.

बोले प्राचार्य

अबतक नये भवन का निर्माण नहीं हो सका है. जीएमसीएच कैम्पस में पोस्टमार्टम कॉम्प्लेक्स प्रस्तावित है संभवतः फरवरी माह से कार्य शुरू हो जाय. फिलहाल पूरे क्लास के स्टूडेंट्स को तीन अलग अलग बैच में बांटकर बारी बारी से उपलब्ध सुविधाओं के बीच ही उनके लिए व्यवस्था की गयी है.

प्रो. डॉ हरिशंकर मिश्र, प्राचार्य जीएमसीएच

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