विदेशी हमलों के दौरान फिर बचाव का प्रशिक्षण देंगे सिविल डिफेंस के वॉलंटियर
लंबे अर्से के बाद फिर नागरिक सुरक्षा सेवा को एक्टिव किए जाने को ले हो रही पहल
पूर्णिया. इण्डो-पाक के बीच बढ़ते तनाव के साथ इमरजेंसी में बजने वाले सिविल डिफेंस के सायरन की जंग छुड़ाने की कवायद शुरू हो गयी है. बीच के कालखंड में सभी सायरन अनुपयोगी साबित हुए पर भारत-पाकिस्तान युद्ध के 54 वर्षों के बाद इसकी जरुरत महसूस की जा रही है. पूर्णिया में लगाए गये सभी चार सायरन 1971 में युद्ध के दौरान बजाए जाते थे और रोजाना शाम में शहर और आसपास के नागरिकों को अलर्ट किया जाता था. कहते हैं, उस समय पांच-सात किलोमीटर की रेंज में रहने वालों तक सायरन की आवाज पहुंचती थी और लोग घरों में दुबक जाते थे. समझा जाता है कि बहुत जल्द सिविल डिफेंस को लंबे अर्से के बाद फिर एक्टिव किया जाएगा.गौरतलब है कि सन. 1962 में चीन के हमले से मिली सबक के बाद गुह विशेष विभाग के तहत सीमावर्ती प्रमुख शहरों में सुरक्षा के उद्देश्य से सिविल डिफेंस यानी नागरिक सुरक्षा सेवा शुरू की गयी थी. जानकारों के अनुसार, शुरुआती दौर में देश पर शत्रुओं के आक्रमण के दौरान नागरिकों को जीवन रक्षा के लिए जागरुक करने और उन्हें प्रिशिक्षित करने के उद्देश्य से सिविल डिफेंस यानी नागरिक सुरक्षा सेवा की नींव डाली गयी थी. कालांतर में प्राकृतिक विपदा के समय लोगों कीसहायता और विभिन्न तरह के भ्रष्टाचार से निबटने की जिम्मेदारी भी इस विभाग को सौंपी गयी थी. पहले सीमाओं से सटे कुल 17 शहरों में इसकी शाखाएं शुरू की गयी थी पर बाद में कई शाखाएं बंद कर दी गईं. मगर, इधर भारत-पाक के बीच पैदा हुए तनाव को देखते हुए सिविल डिफेंस को सक्रिय किए जाने की पहल शुरू हो गयी है. कहते हैं, इसी नजरिये से सिविल डिफेंस के स्वयं सेवकों द्वारा बीते सात मई की शाम को सायरन बजने के बाद शहर में कई जगह मॉक ड्रिल भी कराया गया. विभागीय जानकारों ने बताया कि गृह विशेष विभाग द्वारा संचालित सिरिल डिफेंस को बाद में आपदा प्रबंधन में मर्ज कर दिया गया जिसकी फिर पुराने घर वापसी की की बातें चल रही हैं.
हमलों से बचाव को ले टिप्स देंगे वोलेंटियर
सिविल डिफेंस के प्रशिक्षित वोलेंटियर विदेशी हमलों के दौरान अभ्यास कर नागरिकों को बचाव का उपाय बताएंगे. इसके तहत सन. 1971 की तरह सिविल डिफेंस की टीम कभी मुहल्लों में जा कर तो कभी सार्वजनिक स्थलों पर नागरिकों को आस पास गड्ढा खोद कर रखने, घरों में बिना खिड़की वाले कमरे, सायरन सुनते ही लाइट ऑफ करने और जहां खड़े हैं वहीं लेट जाने और केहुनी के बल खिसकते हुए सुरक्षित स्थलों तक पहुंचने के टिप्स देंगे. इसके लिए मॉक ड्रिल किया जाएगा. याद रहे कि भारत पाक युद्ध के दौरान सन. इकहत्तर में सक्रिय नागरिक सुरक्षा सेवा की ओर से स्कूल कालेजों में भी इस तरह ट्रेनिंग दी जाती थी. रिटायर्ड बैंक अधिकारी रमेश मिश्र ने भी इस बाबत बताया कि उस समय वे कालेज के छात्र थे और बचाव के लिए विशेष रुप से प्रशिक्षित किया गया था. चूंकि एक बार फिर इतिहास दुहरा रहा है इसलिए माना जा रहा है कि फिर प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित होगी.वर्ष 2014 के बाद बंद हो गया प्रशिक्षण
उपलब्ध जानकारी के अनुसार सिविल डिफेंस में प्रशिक्षण का काम वर्ष 2014 के बाद बंद कर दिया गया था पर अब फिर शुरू होने की गुंजाइश बन गयी है. विभागीय जानकारों ने बताया कि सिविल डिफेंस का अपना ट्रनिंग सेंटर बिहटा में है जहां शीघ्र ही स्वयंसेवकों को भेजा जाएगा. इसके लिए आवेदन की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है. वैसे, बीच के कालखंड में इसका कार्यालय समाहरणालय परिसर स्थित एक गोदाम में चल रहा था पर 2019 में बिहार सरकार की पहल पर इसका अपना भवन हो गया पर व्यवस्था आपदा प्रबंधन के अन्तर्गत चली गयी. वैसे, अभी भी सुविधाओं का टोटा है. शहर में अलग-अलग स्थानों पर इसके चार सायरन हुआ करते थे पर उपयोग नहीं होने के कारण सभी खराब हो गये. जानकारों ने बताया कि यह व्यवस्था भी दुरुस्त की जाने वाली है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है