पूर्णिया. चुनाव खत्म हो गया पर यहां न तो बहुत खुशी का आलम है और न ही मायूसी का मंजर ही नजर आ रहा है. हर कोई असमंजस की स्थिति में है और सबको भरोसा है कि हम ही जीत रहे हैं. इस भरोसा के पीछे सबका अलग-अलग तर्क है. आकलन है और सबकी बहस वोटों के विभाजन पर टिकी है. अलबत्ता यह बात साफ होने लगी है कि हार-जीत का फैसला काफी कम मतों के अंतर से होगा. पार्टी के चुनावी कार्यालयों और प्रत्याशियों के आवासों पर अलग-अलग भीड़ जुटने लगी है. इस भीड़ में जुटे लोग अपने-अपने तरीके से सम्बन्धित प्रत्याशी के पक्ष में डाले गये मतों का आकलन कर रहे हैं. एनडीए गठबंधन खेमे में इस बात पर बहस चल रही है कि मुस्लिम वोटों में किस हद तक विभाजन संभव हो पाया, कहीं विधानसभावार गणित जोड़ा जा रहा है तो कहीं बूथों पर लगी वोटरों की लंबी कतार के हिसाब से आकलन किया जा रहा है. इधर, महागठबंधन खेमा में भी चहल-पहल तेज है. चाहे वह कार्यालय हो या फिर प्रत्याशी का घर. पार्टी कार्यकर्ता आत्मविश्वास से लबरेज हैं. यहां हर विधानसभा क्षेत्र में से बढ़त लेने का दावा कर रहे हैं. यहां वोट के विभाजन की बात नहीं चल रही बल्कि इस बात का आकलन किया जा रहा है कौन सा वर्ग है जो उनके पक्ष में नहीं आ सका, यहां 11 नवंबर को डाले गये कुल वोट के प्रतिशत में महागठबंधन के हिस्से में आए वोटों का हिसाब जोड़ा जा रहा है. कुछ कार्यकर्ता इस गणित को हल करने जुटे हैं कि एनडीए गठबंधन के वोट बैंक में किस हद तक सेंधमारी हुई और किसने कितनी की. यहां भी जीत के प्रति हर कोई आशान्वित है. मंगलवार को मतदान हुआ और बुधवार की सुबह से प्रत्याशी के आवास पर समर्थक जुटने लगे हैं. कार्यकर्ता और समर्थक यह मान रहे हैं कि उन्हें सभी विधानसभा क्षेत्र में अच्छे वोट मिले हैं. कार्यकर्ताओं और समर्थकों की बातों में दिलचस्पी ले रहे वरिष्ठ नेता उनकी बातों पर मंथन कर रहे हैं. किसका कितना फीसदी वोट इधर से उधर उधर हुआ और किसके बोट बैंक में कौन किस हद तक सेंधमारी कर पाया? हर तरफ जीत और हार पर बहस छिड़ गई है और कयासों का दौर जारी है.
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