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माता पद्मावती व बाबा भैरव की पूजा कर मांगी सुख, शांति व समृद्धि

दो दिवसीय वार्षिकोत्सव सम्पन्न

असीम आस्था के माहौल में जैन मंदिर का दो दिवसीय वार्षिकोत्सव सम्पन्न

मंत्रोच्चार के साथ विधिकारक ने कराया पार्श्वनाथ भगवान का पूजन अनुष्ठान

माता पद्मावती और बाबा भैरव के जयघोष से गूंज उठा पूर्णिया सिटी

समापन पर एकाकार हो गये सभी मतों को मानने वाले जैन धर्मावलम्बी

पूर्णिया. अंग्रेजों के जमाने का मुख्य शहर और आज का एक कस्बाई इलाका पूर्णिया सिटी रविवार को आध्यात्मिक नगरी में तब्दील था. हर तरफ भक्ति व आस्था का सैलाब! भगवान पार्श्वनाथ, माता पद्मावती और बाबा भैरव के जयघोष के साथ हर कदम समागम स्थल की ओर बढ़ रहे थे. भगवान के दर्शन व महाप्रसाद ग्रहण करने को हर कोई लालायित दिख रहा था. सुबह से देर शाम तक श्रद्धालु लोगों का तांता लगा रहा. पड़ोसी राज्य बंगाल व पड़ोसी जिलों से आए सभी मतों को मानने वाले जैन धर्मावलम्बी एकाकार हो गये और सुख, शांति व समृद्धि के लिए मन्नतें मांगी. यह अवसर था श्री जैन श्वेताम्बर पाश्र्वनाथ मंदिर के दो दिवसीय वार्षिकोत्सव का जिसमें श्रद्धा व आस्था के साथ आध्यात्मिक अनुष्ठान किया गया था. वार्षिक उत्सव के दूसरे दिन रविवार को सुबह से ही यहां जैन धर्मावलम्बियों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था. करीब 9 बजे सत्रहवेदी पूजन से अनुष्ठान शुरू हुआ. फिर क्रमवार रुप से ध्वजारोहण, शांतिकलश स्थापना के बाद श्री भैरवजी महाराज का सवामणी भोग लगाया गया. इस दौरान श्री पार्श्वनाथाय नम: और श्री शान्तिनाथाय: नम: जैसे मंत्र पूर्णिया सिटी की फिजां में गूंजते रहे. पंडित दुर्गेश झा विधिवत अनुष्ठान करा रहे थे. पूरी निष्ठा और आस्था के साथ यह पूजा करीब तीन घंटे तक चली.

उतारी गयी भव्य आरती, मंत्रोच्चार के साथ हुआ हवन

पूजन के अगले चरण में भव्य आरती उतारी गई और फिर मंत्रोच्चार के साथ हवन किया गया. पूजन के बाद तमाम श्रद्धालुओं ने भगवान पार्श्वनाथ, माता पद्मावती और अधिष्ठनायक श्री भैरव जी महाराज से सुख, शांति और समृद्धि के लिए समवेत् स्वर में प्रार्थना की. इस दौरान एक तरफ जहां पूजन का अनुष्ठान चल रहा था तो दूसरी ओर भजन भी हो रहे थे जिससे चहुंओर आस्था और भक्ति का माहौल बन गया था. इस अवसर पर अध्यक्ष सचिव संजय कुमार जी संचेती, राकेश राय, गुलाब चंद जी दुग्गड़, विजय कुमार जी संचेती, प्रेम चंद जी भाटिया,विनोद जी सुराना, रोहित भूरा, अनिल संचेती, डालचंद जी संचेती,राजेन्द्र जी संचेती, धर्मचंद श्रीमाल, कंवरलाल जैन आदि समेत जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

जैन धर्मावलम्बियों का हुआ समागम

जैन श्वेताम्बर पार्श्वनाथ मंदिर के वार्षिकोत्सव के अवसर पर सहधर्मी वात्सल्य के साथ जैन धर्म को मानने वाले सभी लोगों का समागम हुआ. जानकारों ने बताया कि जैन धर्म में कई अलग-अलग पंथ होते हैं. कहीं श्वेताम्बर हैं तो कहीं दिगम्बर. कहीं कोई मंदिरमार्गी हैं तो कोई तेरापंथी. इस मंदिर में हर साल जैन धर्म से जुड़े सभी पंथियों का समागम किया जाता है और सहधर्मी वात्सल्य इसके लिए एक माध्यम बनाया गया है. उद्देश्य एक ही है कि तमाम जैन समाज आज के दिन एकजुट हो जाएं और इस धार्मिक एवं ऐतिहासिक धरोहर को अक्षुण्ण बनाए रखें. रविवार को आयोजित सहधर्मी वात्सल्य में विभिन्न शहरों से आए पूरे समाज के लोगों ने भागीदारी निभायी.

माता को चढ़ा चुनरी का चढ़ावा

जैन श्वेताम्बर पार्श्वनाथ मंदिर के वार्षिकोत्सव के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शक्ति स्वरुपा माता पद्मावती को चुनरी का चढ़ावा चढ़ाया. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में असीम श्रद्धा के साथ मत्था टेकने पर मन की मुरादें पूरी होती हैं. इस अनुष्ठान के दौरान ऐसे भक्तों की भी भीड़ देखी गई जिन्होंने मनौती मांगी थी जो पूरी हो गई. इसके लिए किसी ने माता को चुनरी चढ़ाई तो किसी ने बाबा भैरव को चढ़ावा चढ़ाया. वैसे चुनरी चढ़ाने वालों में होड़ लगी रही. ऐसे भक्तों ने माता से चुनरी स्वीकार करने की गुहार भी लगायी.फोटो- 23 पूर्णिया 8- पूजन कार्यक्रम में परिक्रमा करती महिलाएं

9- कार्यक्रम में पहुंची महिला श्रद्धालु

10-श्री भैरव जी महाराज मंदिर में पूजा करते लोग

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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