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शहर की सड़कों के किनारे डंप हो रहा चालीस फीसदी कचरा

पूर्णिया : शहर का चालीस फीसदी कचरा सिक्सलेन व अन्य सड़कों के बगल में डंप हो रहा है. निगम के सफाईकर्मी यह काम ट्रैक्टर का डीजल बचाने और निजी जमीन मालिकों का गड्ढा भरने के लिए यह काम कर रहे हैं. यह अलग बात है कि कचरों की सड़ांध से सड़क से गुजरने वाले लोग […]

पूर्णिया : शहर का चालीस फीसदी कचरा सिक्सलेन व अन्य सड़कों के बगल में डंप हो रहा है. निगम के सफाईकर्मी यह काम ट्रैक्टर का डीजल बचाने और निजी जमीन मालिकों का गड्ढा भरने के लिए यह काम कर रहे हैं. यह अलग बात है कि कचरों की सड़ांध से सड़क से गुजरने वाले लोग परेशान रहते हैं.

जानकारों का कहना है कि यह लोगों की सेहत के लिए खराब है. इससे महामारी की आशंका भी बनी हुई है. इस पर निगम के अधिकारियों की नजर नहीं है जबकि इससे आम जनजीवन बेहाल है. गौरतलब है कि कप्तान पुल से पूरब पैट्रोल पंप के समीप जहां सड़क किनारे कूड़ा डंप किया जा रहा है, वहां न केवल समीप में लोगों की आबादी बसी हुई है बल्कि उधर से आम शहरवासियों की आवाजाही भी होती है. इन कचरों से निकलने वाले बदबू से लोगों का जीना अभी से मुहाल हो गया है.
बारिश हो जाने के बाद जिस तरह उससे दुर्गंध निकलता है उससे कई तरह की बीमारी भी फैल सकती है. आसपास के दुकानदार बताते हैं कि यहां रोजाना 20 से 25 ट्रैक्टर कचरा गिराया जा रहा है. उनका कहना है कि शहर से दूर हटकर कचरा गिराने में डीजल की खपत अधिक हो जाती है जिसे वे लोग बचाना चाहते हैं.
दूसरी बड़ी वजह यह बतायी जा रही है कि वहां की जमीन फ‌िलहाल गड्ढे में है और खास आर्डर पर उन गड्ढों को भरने के लिए ही कचरे गिराए जाते हैं. आम नागरिकों ने सवालिया लहजे में कहा कि गड्ढे तो कचरे से भर जायेंगे पर उसकी सड़ांध से अगर बीमारी फैल गयी तो क्या इलाज की जिम्मेदारी नगर निगम लेगा?
नागरिकों का कहना है कि अभी कचरे गिराए जा रहे हैं. बरसात के बाद उसमें आग लगायी जायेगी और उससे निकलने वाला धुआं भी महामारी का सबब बनेगा. डाक्टरों की मानें तो केमिकल और ऑर्गेनिक पॉल्यूशन इस इलाके के लोगों के स्वास्थ्य पर दूरगामी असर डालेगा. यह कचरा सिर्फ कप्तानपुल के समीप ही नहीं गिराया जा रहा है.
एक तरफ बायपास रोड और दूसरी तरफ सिटी में अररिया जाने वाली सड़क के किनारे भी गिराया जा रहा है जबकि दोनों ही मुख्य सड़कें हैं और दिन-रात आवाजाही होती रहती है. आम लोगों का कहना है कि इस जगह से निकलने वाली बदबू और धूल से भले ही लोगों को शुरुआती समय में ज्यादा दिक्कत नहीं हो हो, लेकिन कुछ सालों में ये टीबी, दमा, सहित श्वसन नली एवं फेफड़े से जुड़ी अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है.
दुर्गंध से निकल रहा दम
खुश्कीबाग, सिटी और गुलाबबाग से पूर्णिया शहरी क्षेत्र में आनो वाले राहगीरों का कहना हैं कि मुख्य सड़कों के किनारे निगम के ट्रैक्टर से रोज काफी मात्रा में कूड़ा डंप होता है. अमूमन पूरे शहर का काफी कूड़ा यहां पहुंचता है. मना करने पर कोई मानता नहीं है.
लगातार कूड़ा डंप होने व उसमें आग लगाये जाने से इलाके की स्थिति नारकीय हो जाती है. सड़क पर इधर से गुजरने के दौरान उन्हें खुले में सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है. मजबूरी के कारण लोग मुंह पर गमछा लपेट कर चलते हैं.
ट्रैक्टर चालकों पर आदेश का असर नहीं
नगर निगम की ओर से कई बार यत्र-तत्र कचरा डंप नहीं करने का आदेश दिया तो जाता है पर इसका कोई असर नहीं होता. हाल के महीनों में कप्तान पुल से पश्चिम रामबाग जाने वाली सड़क के कोने पर कचरा गिराया जा रहा था. उसमें आग भी लगा दी गयी थी जिससे निकलने वाला धुआं जब परेशान करने लगा तो विरोध में अवाज उठायी गयी.
निगम ने इसे गंभीरता से लेते हुए वहां कचरा डंप करने पर रोक लगा दी तो निगम के ट्रैक्टर ने वहीं थोड़ा हटकर सौरा नदी के किनारे डंप करना शुरू कर दिया. जब इस पर रोक लगायी गयी तो पेट्रोल पंप के समीप एवं सिटी के समीप डंपिंग शुरू कर दी गयी.

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