संवाददाता, पटना विधान परिषद के एक कंप्यूटर से संदिग्ध रूप से डाटा डिलिट करने के मामले ने नया मोड़ ले लिया है. आर्थिक अपराध इकाई ने इस मामले में रविवार को प्राथमिकी दर्ज कर संदिग्ध कर्मचारियों से से पूछताछ शुरू कर दी है. यह कार्रवाई विधान परिषद के उप सचिव संजय कुमार के पत्र के आधार पर की गयी है. मामले में विधान परिषद के अवर सचिव से लेकर कार्यालय परिचारी तक के नौ कर्मचारी-अधिकारी शक के दायरे में हैं. इओयू तकनीकी विश्लेषण के बाद यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस डाटा को किसने, क्यों और किस उद्देश्य से डिलिट किया. आर्थिक अपराध इकाई से मिली जानकारी के अनुसार, बिहार विधान परिषद के विस्तारित भवन स्थित नीति विषयक (गोपनीय) शाखा के एक कंप्यूटर से महत्वपूर्ण और गोपनीय डाटा को अनधिकृत रूप से डिलिट कर दिये जाने की शिकायत छह जून को उप सचिव संजय कुमार द्वारा दी गयी थी. इओयू के एडीजी को संबोधित शिकायत में उप सचिव संजय कुमार ने जानकारी दी कि महत्वपूर्ण एवं गोपनीय डाटा की चोरी कर नष्ट कर दिया गया है. यह कार्य किसी व्यक्ति द्वारा अनाधिकृत और अवैध रूप से प्रवेश कर, कंप्यूटर प्रणाली को अपने नियंत्रण में लेकर, बेईमानी एवं गलत मंशा से किया गया है.पत्र में इओयू को उन नौ कर्मचारी-अधिकारियों के नाम भी दिये गये हैं, जो इस शाखा में कार्यरत हैं. इनमें अवर सचिव नवीन कुमार, प्रशाखा पदाधिकारी चंद्रिका उरांव, सहायक प्रशाखा पदाधिकारीगण प्रतीक नाथ, सुधीर कुमार मिश्र, बंदना कुमारी, मानवेंद्र कुमार झा, उच्च वर्गीय लिपिक सैफी अली, प्रतिवेदक रवि शेखर और कार्यालय परिचारी कैलाश कुमार के नाम हैं. इस पत्र के आधार पर इओयू की साइबर विशेषज्ञों की टीम तत्काल विधान परिषद पहुंची थी. तकनीकी प्रोटोकॉल के अनुसार आवश्यक साइबर सुरक्षा जांच शुरू की थी. प्रारंभिक जांच में किसी भी प्रकार के मालवेयर, रैनसमवेयर या डाटा चोरी की पुष्टि तो नहीं हुई थी, लेकिन यह पाया गया था कि कंप्यूटर में संग्रहीत डाटा डिलिट है.
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