‘जलवायु परिवर्तन, न्यूनीकरण एवं अनुकूलन’ विषय पर सम्मेलन
संवाददाता, पटना
जलवायु परिवर्तन को वैश्विक संकट है. इसके दुष्प्रभाव से ग्लेशियरों का पिघलना, असमय वर्षा एवं फसल क्षति हो रही है, जो हम सभी के लिए चिंता का विषय है. बिहार के कई जिलों में असमय बारिश से मक्का जैसी फसलों को नुकसान हुआ. इसके लिए पेड़ों की कटाई, प्रदूषण जलवायु असंतुलन के मुख्य कारण हैं.स्वच्छ ऊर्जा और पर्यावरण जागरूकता समय की मांग है. ये बातें गुरुवार को बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से सरदार पटेल भवन के ऑडिटोरियम में ‘जलवायु परिवर्तन, न्यूनीकरण एवं अनुकूलन’ विषय पर एक दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री विजय कुमार मंडल ने कहीं. उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा, ताकि जलवायु परिवर्तन के वैश्विक संकट से बचा जा सके. सत्र के दौरान जलवायु न्यूनीकरण रणनीतियों, ओडिशा में किये जा रहे आपदा प्रबंधन के कार्यों एवं बाढ़ प्रतिरोधी गांवों के मॉडल पर विचार रखा गया.प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ उदय कांत ने कहा कि एनडीएम का प्रस्ताव उपयोगी है.
बिहार में बारहमासी बाढ़ समस्या है, इसका निदान जरूरी: राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कृष्ण एस वत्स ने कहा बिहार में बारहमासी बाढ़ समस्या है. इसके लिए बाढ़ प्रबंधन की जिम्मेदारी अब अधिकतर आपदा प्रबंधन इकाइयों की है. मौके पर सदस्य पीएन राय, यूपी राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र ढिमरी, पारस नाथ राय, कौशल किशोर मिश्र, नालंदा विश्वविद्यालय के सह आचार्य डॉ सत्यनारायण शास्त्री, सिक्किम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष प्रो विनोद कुमार शर्मा, बिहार राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड वैज्ञानिक सलाहकार एसएन जायसवाल सहित अन्य वक्ताओं ने अपनी बातों को रखा.
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