26 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Emergency‍‍@45 पर बोले सुशील मोदी, इमरजेंसी और जेपी की मौत के जिम्मेवार कांग्रेस की गोद में कुर्सी के लिए बैठ गये लालू

Emergency‍‍@45 : पटना : भाजपा की ओर से आयोजित 'आपातकालः भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय' विषय पर आयोजित वर्चुअल परिचर्चा को संबोधित करते हुए जेपी आंदोलन के प्रमुख सहभागी और इमरजेंसी में 19 महीने की जेल यातना झेलनेवाले बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दुख व्यक्त किया. साथ ही कहा कि खुद को जेपी और लोहिया का चेला बतानेवाले लालू प्रसाद यादव आज कुर्सी के लिए इमरजेंसी और जेपी की मौत की जिम्मेवार कांग्रेस की गोद में बैठ गये हैं. अपनी गद्दी बचाने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की आधी रात को संविधान का गला घोंट इमरजेंसी लागू कर पूरे देश पर अपनी तानाशाही थोपी थी.

पटना : भाजपा की ओर से आयोजित ‘आपातकालः भारतीय लोकतंत्र का काला अध्याय’ विषय पर आयोजित वर्चुअल परिचर्चा को संबोधित करते हुए जेपी आंदोलन के प्रमुख सहभागी और इमरजेंसी में 19 महीने की जेल यातना झेलनेवाले बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने दुख व्यक्त किया. साथ ही कहा कि खुद को जेपी और लोहिया का चेला बतानेवाले लालू प्रसाद यादव आज कुर्सी के लिए इमरजेंसी और जेपी की मौत की जिम्मेवार कांग्रेस की गोद में बैठ गये हैं. अपनी गद्दी बचाने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की आधी रात को संविधान का गला घोंट इमरजेंसी लागू कर पूरे देश पर अपनी तानाशाही थोपी थी.

डिप्टी सीएम मोदी ने कहा कि आजादी की दूसरी लड़ाई के प्रणेता 74 वर्षीय जेपी को आपातकाल के दौरान जेल में इंदिरा गांधी के क्रूर अत्याचार का शिकार नहीं होना पड़ता, जिससे उनकी किडनी फेल नहीं हुई होती, तो वे 10-12 वर्ष और हमलोगों के बीच रहते.

आपातकाल के काले दिनों को याद करते हुए कहा कि देश के सभी प्रमुख राजनेताओं सहित डेढ़ लाख से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल में बंद कर दिया गया था. उस दौर में अंग्रेजों से भी ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर अत्याचार किया गया.

देश के तथाकथित बुद्धिजीवी, न्यायपालिका और दो-तीन को छोड़ कर बाकी सभी अखबारों ने इंदिरा गांधी की तानाशाही के आगे घुटना टेक दिया था. पूरे देश में मरघट का सन्नाटा छा गया था. आतंक और खौफ इतना था कि कोई किसी से जेल में मिलने भी नहीं जाता था.

बिहार में जब एनडीए की सरकार बनी, तो जेपी सेनानियों को ‘सम्मान पेंशन’ देने का निर्णय किया गया. बिहार में 2,680 जेपी सेनानियों को पेंशन शुरू किया गया. इनमें छह माह से अधिक जेल में रहनेवाले 1,728 को 10 हजार और छह माह से कम रहनेवाले 952 लोगों को पांच हजार रुपये प्रति महीना पेंशन के तौर पर अब तक 170 करोड़ रुपये दिये गये हैं.

इंदिरा गांधी और कांग्रेस को इस देश की जनता ने जो सबक दी, उसके बाद अब कोई भी इमरजेंसी लगाने की सोच भी नहीं सकता है. आपातकाल एक ऐसा काला अध्याय है, जिसकी याद मात्र से सिहरन पैदा होती है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें