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बिहार में वाटर लेबल को रिचार्ज करने के लिए बनी रणनीति

बिहार में पानी साल दर-साल नीचे जा रहा है. भविष्य में वाटर लेबल गंभीर चुनौती बनेगी. इसे लेकर बिहार में कवायद शुरू कर दी गयी है.

संवाददाता, पटना बिहार में पानी साल दर-साल नीचे जा रहा है. भविष्य में वाटर लेबल गंभीर चुनौती बनेगी. इसे लेकर बिहार में कवायद शुरू कर दी गयी है. बिहार में चल रहे जल-जीवन-हरियाली अभियान में 2025-26 में वाटर लेबल रिचार्ज करने को प्राथमिकता में रखा गया है. इसे फोकस करते हुए राज्यभर में कुल 1976 सार्वजनिक तालाब व पोखरों का जीर्णोद्धार किया जायेगा. 1011 सार्वजनिक आहरों व 1542 पइनों का जीर्णोद्धार होगा, जबकि सार्वजनिक चापाकलों के पास 25 हजार सोख्ता बनाये जायेंगे. राज्यभर में 7335 सार्वजनिक तालाबों पर अतिक्रमण किया गया था. इनमें 7293 तालाबों से अतिक्रमण हटा लिया गया है. नालंदा, गया, मधेपुरा, अररिया, भागलपुर, दरभंगा, भोजपुर, पटना, शिवहर, बांका, गोपालगंज, मुंगेर और पश्चिम चंपारण से अतिक्रमण हटाये गये गये. वहीं, पटना में 373 और 691 सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है. राज्यभर में जमुई, भागलपुर व बांका में अधिक संख्या में तालाबों व पोखरों का जीर्णोद्धार होगा. पूर्वी चंपारण में 98, समस्तीपुर में 90 तालाबों का जीर्णोद्धार होगा. गोपालगंज, सीवान, कैमूर, नवादा, और नालंदा में 80 से अधिक तालाबों का जीर्णोद्धार होगा.

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