प्रह्लाद कुमार, पटना बिहार में नियम के विरुद्ध खुलेआम ग्रामीण और शहरी इलाकों में चालान कटी गाड़ियों का प्रदूषण प्रमाण पत्र एवं इंश्योरेंस बनाया जा रहा है. बस इसके लिये जहां प्रदूषण के लिये लोगों को 80 रुपये देने पड़ते हैं. उसके एवज में उन्हें 200 देना पड़ रहे हैं. जैसे ही गाड़ी मालिक पैसा साइबर कैफे वाले देना है. वह आराम से गाड़ी की तस्वीर को मोबाइल से खींच कर आगे बढ़ा देता है. 10 मिनट के बाद प्रदूषण बनकर आ जाता है. एक घंटे में वह एम परिवहन पर अपलोड हो जाता है, जिसे खोलकर कोई भी व्यक्ति देख सकता हैं. ऐसे प्रमाणपत्र बनाने का चल रहा है पूरा खेल. वहीं, इंश्योरेंस सहित अन्य कार्य बड़े आराम से हो रहे हैं. विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक अब भी लगभग पटना में छह हजार से अधिक चालान नहीं वाहन चालकों ने नहीं जमा किया है. प्रदूषण प्रमाणपत्र बनाने वाले साइबर कैफे में जाने पर सबसे पहले गाड़ी का चालान देखा जाता है कि कितना चालान कटा हुआ है. एक चालान रहने पर सर्टिफिकेट बनाकर 200 रेट है. वहीं, ग्रामीण इलाकों में इसका रेट 300 और कहीं-कहीं 400 भी है, लेकिन जैसे दो चालान कटा रहेगा. यह राशि डबल हो जायेगी. प्रदूषण प्रमाणपत्र अब यूपी, ओडिशा, राजस्थान तक से बना कर उसे एम परिवहन पर अपलोड किया जा रहा है. 90 दिनों के बाद गाड़ियों को करना था ब्लैक लिस्ट: बिहार में यातायात नियम तोड़ने पर ऑनलाइन और ऑफलाइन चालान काटा जाता हैं. वहीं, विभाग ने सख्ती करने के लिए चालान की राशि 90 दिनों के भीतर जमा करने का आदेश दिया है. ऐसा नहीं करने पर 90 दिनों के बाद उस वाहन को ब्लैक लिस्ट कर दिया जायेगा. यानी वाहन का फिटनेस, प्रदूषण, ऑनरशिप ट्रांसफर आदि नहीं करवा सकेंगे, लेकिन बिहार में खुलआम चालान कट जाने के बाद भी गाड़ियों के प्रदूषण प्रमाणपत्र, इंश्योरेंस,फिटनेस सहित अन्य काम हो रहे हैं. दूसरे राज्यों से बन रहा है प्रदूषण प्रमाण पत्र: विभाग की सख्ती के बाद चालान कटने के बाद गाड़ियों का प्रदूषण प्रमाणपत्र दूसरे राज्यों से आसानी से बन रहा है. इसके लिए बाइक चालकों को 200 और कार चालकों को 400 रुपये देने पड़ रहे हैं, लेकिन साइबर कैफे में बैठे लोग आराम से प्रदूषण बनवा रहे हैं, ग्रामीण इलाकों में यह धंधा और तेजी से चल रहा है. इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के जरिये यातायात उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आठ प्रकार के यातायात नियमों के उल्लंघन करने पर इ-चालान काटा जा रहा है. बिना हेलमेट-सीटबेल्ट, ओवर स्पीडिंग, स्टॉप लाइन वॉयलेशन, रॉग साइड ड्राइविंग, टिपल राइडिंग, वाहन चलाते मोबाइल पर बात, ट्रैफिक सिग्नल को तोड़ने वाले चालकों का ई चालान विशेष रूप से काटा जा रहा है. राज्यभर में लगभग शहरी इलाकों में ऑनलाइन चालान काटे जा रहे हैं,लेकिन चालान जमा किया गया या नहीं. इसकी निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण से अब दूसरे राज्यों से खुलेआम प्रदूषण प्रमाण पत्र बनाया जा रहा है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

