कवि डॉ निखिलेश्वर वर्मा के नवीन कविता संग्रह ‘कोई राह बाहर निकलती है’ का विमोचन संवाददाता, पटना कवि डॉ निखिलेश्वर वर्मा के नवीन कविता संग्रह ‘कोई राह बाहर निकलती है’ का विमोचन रविवार को जेडी वीमेंस कॉलेज सभागार में हुआ. इस अवसर पर वरिष्ठ आलोचक सफदर इमाम कादरी ने कहा कि निखिलेश्वर वर्मा निर्बोध भावभूमि के कवि हैं. उनकी कविताएं बचपन, प्रकृति और अहिंसा के माध्यम से वर्तमान और भविष्य का गहन चित्रण करती हैं. प्रसिद्ध कवि डॉ. विनय कुमार ने उन्हें जीवन के सूक्ष्म अनुभवों का कवि बताते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में प्रेम की गहराई और करुणा की स्पष्ट झलक मिलती है. प्रो. वीणा अमृत ने संग्रह को समकालीन भावनाओं का सशक्त दस्तावेज कहा. उन्होंने कवि के यथार्थपरक विवरण की सराहना की. लोकप्रिय साहित्यकार गोरख प्रसाद मस्ताना ने निखिलेश्वर की साहित्यिक समझ को पारिवारिक रंगमंचीय पृष्ठभूमि से उपजा बताया. प्रो. जयमंगल देव ने इस संग्रह को आशा की कविता की संज्ञा दी. वहीं प्रो. राजीव रंजन ने इसे समाज और भाषा की भावनात्मक प्रस्तुति बताया. वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कवि की सकारात्मक दृष्टि और जिजीविषा को उनकी विशिष्टता बतायी. कवयित्री भावना शेखर ने कहा कि कवि की दृष्टि से जीवन का कोई भी पक्ष अछूता नहीं रहता. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कवि ने ‘चारमीनार का चूड़ी बाजार’, ‘तेरह साल की बच्ची’, ‘गंगा किनारे’ जैसी कविताओं का पाठ कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया. संचालन शायर संजय कुमार कुंदन ने किया.
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