Patna Zoo : संजय गांधी जैविक उद्यान, यानी पटना जू, ने पहली बार एक ऐसा कदम उठाया है जो शिक्षा और संरक्षण के बीच की दूरी को पाटता है. कालेजमें पढ़ने वाले जूलॉजी, बॉटनी और यहां तक कि स्टैटिस्टिक्स के छात्र-छात्राओं के लिए शुरू हुई यह इंटर्नशिप न सिर्फ जानवरों को करीब से जानने का मौका दे रही है, बल्कि वाइल्डलाइफ को करियर के तौर पर देखने की नई खिड़की भी खोल रही है.
लाइब्रेरी से निकला आइडिया, जू तक पहुंचा प्रयोग
इस इंटर्नशिप प्रोग्राम की शुरुआत किसी बड़े प्रस्ताव या योजना से नहीं, बल्कि जू की लाइब्रेरी में आने वाले छात्रों की जिज्ञासा से हुई. छात्रों ने जू प्रशासन से पूछा कि क्या यहां इंटर्नशिप की जा सकती है.
इसी सवाल ने प्रशासन को सोचने पर मजबूर किया और तय हुआ कि अगर छात्र जानवरों को पढ़ना चाहते हैं, तो उन्हें यह मौका मिलना ही चाहिए. इसके बाद एक व्यवस्थित इंटर्नशिप प्रोग्राम तैयार किया गया.
44 एंक्लोजर, हर दिन दो घंटे की जिम्मेदारी
इंटर्नशिप के दौरान छात्रों को पटना जू के 44 एंक्लोजर में मौजूद जानवरों के व्यवहार, खान-पान और रहन-सहन को समझने का अवसर मिलता है. रोजाना करीब दो घंटे तक छात्र अलग-अलग जानवरों पर नजर रखते हैं और उससे जुड़ी एनालिटिकल रिपोर्ट तैयार करते हैं. यह सिर्फ देखने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि समझने और विश्लेषण करने की प्रक्रिया होती है.
वाइल्डलाइफ ओरिएंटेशन से करियर तक की राह
जू प्रशासन ने इंटर्नशिप के लिए एक मॉड्यूल तैयार किया है, जिसमें वाइल्डलाइफ ओरिएंटेशन, जानवरों के व्यवहार, प्रकृति से उनके संबंध और संरक्षण से जुड़ी जानकारी शामिल है. इंटर्नशिप के अंत में छात्रों को एक प्रोजेक्ट जमा करना होता है, जिसके आधार पर उन्हें जू की ओर से इंटर्नशिप पूरा करने का प्रमाण पत्र दिया जाता है.
यह अनुभव कई छात्रों को वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन को करियर के रूप में देखने के लिए प्रेरित कर रहा है.
कैसे करें इस इंटर्नशिप के लिए आवेदन
अगर आप भी इस अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो इसके लिए आपके कॉलेज के माध्यम से प्रक्रिया पूरी की जा सकती है. कॉलेज प्रशासन को पटना जू प्रशासन को एक ईमेल भेजकर छात्रों की संख्या और रुचि की जानकारी देनी होती है.
इसके बाद जू प्रशासन समूहों का निर्धारण करता है और छात्रों को ओरिएंटेशन के लिए आमंत्रित करता है. यदि आप वन्यजीव प्रेमी हैं और प्रकृति के रहस्यों को सुलझाना चाहते हैं, तो पटना जू का यह गेट अब आपके करियर के लिए भी खुला है.
तीन महीने में 165 छात्र, बढ़ती रुचि
पिछले तीन महीनों में पटना साइंस कॉलेज, बीएन कॉलेज और पटना वीमेंस कॉलेज के 165 छात्र-छात्राएं इस इंटर्नशिप का हिस्सा बन चुके हैं. फिलहाल एएन कॉलेज के 32 छात्र इंटर्नशिप कर रहे हैं. खास बात यह है कि इसमें स्टैटिस्टिक्स के छात्र भी शामिल हैं, जो जू में आने वाले पर्यटकों के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहे हैं और टूरिस्ट एनालिसिस रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं.
जू प्रशासन का कहना है कि आने वाले समय में इस प्रोग्राम का दायरा और बढ़ाया जाएगा. स्कूल के छात्र और जू वॉलेंटियर भी इसका हिस्सा बन सकेंगे, ताकि कम उम्र से ही जानवरों और प्रकृति के प्रति समझ और संवेदनशीलता विकसित हो सके.
पटना जू की यह पहल साबित करती है कि अगर सीखने का मंच बदला जाए, तो पढ़ाई बोझ नहीं बल्कि अनुभव बन जाती है. पिंजरों के उस पार की यह दुनिया अब छात्रों के लिए सिर्फ देखने की चीज नहीं, बल्कि समझने और संवारने की जिम्मेदारी भी बन रही है.
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