36.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पटना हाइकोर्ट से कुमारी अंजना को मिली राहत, प्रति कुलपति पद से हटाने का आदेश रद्द

Patna High Court: कोर्ट ने उपकुलपति को उनके पद से हटाने के कुलाधिपति के आदेश को निरस्त कर दिया. न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने पद से हटाये गये प्रति कुलपति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया.

Patna High Court: पटना. हाइकोर्ट ने आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति कुमारी अंजना को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने प्रति कुलपति को उनके पद से हटाने के कुलाधिपति के आदेश को निरस्त कर दिया. न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने पद से हटाये गये प्रति कुलपति की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया. कोर्ट ने आदेश में कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है और वह बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति की भूमिका निभाते हैं. कुलाधिपति को उनके आधिकारिक, विधायी, कार्यकारी, संवैधानिक तथा अर्ध-न्यायिक कार्यों के निर्वहन में सहायता के लिए प्रशासनिक तथा न्यायिक सेवाओं के अधिकारियों को राज्यपाल सचिवालय में प्रतिनियुक्त किया जाता है.

कुलाधिपति की सहायता करना बाध्यकारी कर्तव्य

राज्यपाल सचिवालय में पदस्थापित होने के बाद अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे विभिन्न मुद्दों पर सटीक तथ्य, सुसंगत संवैधानिक प्रावधान तथा विद्यमान न्यायिक सुझाव पेश करें ताकि राज्यपाल कानून के तहत अंतिम निर्णय ले आदेश जारी कर सकें. इस मामले में कोर्ट ने पाया कि विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) बालेंद्र शुक्ला और विशेष कर्तव्य अधिकारी (विश्वविद्यालय) महावीर प्रसाद शर्मा ने मूल रिकॉर्ड के साथ गड़बड़ी की है. वे कोर्ट द्वारा पूछे गये सवालों का संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे. उन्होंने इस मामले में कोर्ट से मौखिक माफी भी मांगी. कोर्ट ने कहा कि विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) और विशेष कर्तव्य अधिकारी (विश्वविद्यालय) की जिम्मेदारी काफी ऊंची है जिनका न्यायसंगत, निष्पक्ष और कानूनी आदेश या निर्देश पारित करने में कुलाधिपति की सहायता करना बाध्यकारी कर्तव्य है.

अधिकारियों ने नजरअंदाज की अपनी जिम्मेदारियां

हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारियों को न केवल नजरअंदाज किया, बल्कि उन्होंने जानबूझकर महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया है. जिससे कुलाधिपति को गलत आदेश पारित करने में गुमराह किया गया है. कोर्ट ने कहा कि दोनों अधिकारी विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) और विशेष कर्तव्य अधिकारी (विश्वविद्यालय) अपने-अपने पदों के लिए अनुपयुक्त हैं और उन्हें उचित प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना चाहिए. कोर्ट ने विशेष कर्तव्य अधिकारी (न्यायिक) बालेंद्र शुक्ला के खिलाफ उचित कार्रवाई के लिए हाइकोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने और विशेष कार्य अधिकारी (विश्वविद्यालय महावीर प्रसाद शर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्यपाल के प्रधान सचिव के समक्ष संचिका को पेश करने का आदेश दिया.

Also Read: देश को भाया नीतीश कुमार का बिहार मॉडल, स्कूली शिक्षा व्यवस्था में आया बुनियादी बदलाव

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें