सात लाख 40 हजार 107 योजनाओं पर चल रहे हैं काम
मनोज कुमार, पटना
मनरेगा में बीते वित्तीय वर्ष 2024-25 में कुल 4 लाख 59 हजार 819 योजनाएं पूर्ण हुईं. मगर, मात्र 44 हजार 589 लोगों को ही सौ दिन काम मिला. इस वर्ष प्रति परिवार औसतन 49 दिन ही काम उपलब्ध करवाया गया. इसमें महिलाओं की बड़ी भागीदारी रही. मनरेगा से सृजित मानव दिवस में 55.13 फीसदी महिलाओं ने काम किया. इसमें 21.72 फीसदी एससी-एसटी परिवारों ने काम किया. जबकि 18 लाख 42 हजार 561 योजनाएं शुरू ही नहीं हो पायीं. वहीं, 7 लाख 40 हजार 107 योजनाओं पर कार्य चल रहे हैं. इनमें प्राकृतिक संसाधन जैसे नहर, गाद की सफाई, सामुदायिक सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं और एसएचजी के साथ-साथ बकरी, मुर्गी शेड जैसी व्यक्तिगत योजनाएं पूरी हुईं. इस तरह की योजनाएं अधूरी भी हैं. इन्हीं तरह की योजनाओं पर अभी कार्य चल रहे हैं. जल से संबंधित प्राकृतिक संसाधनों को दुरूस्त करने के लिए मनरेगा से नहरों व गाद की सफाई समेत अन्य निर्माण कार्य शुरू किये गये. इनमें 331880 योजनाएं शुरू ही नहीं की जा सकीं. भोजपुर में 10038, दरभंगाा में 11445, गया में 25648, मुजफ्फरपुर में 17872, पश्चिम चंपारण में 10745, पूर्वी चंपारण में 25079 योजनाओं पर कार्य शुरू नहीं हुआ. जबकि सारण में 12403, सीतामढ़ी में 15097, सीवान में 12842 और वैशाली में 11159 योजनाएं शुरू ही नहीं हुई.
सामुदायिक स्तर पर कराये जाने वाले 3 लाख 42 हजार 630 लाख योजनाओं पर भी कार्य नहीं किया गया. अररिया में 12742, दरभंगा में 15032, गया में 17648, कटिहार में 20297, पूर्वी चंपारण में 17740 योजनाओं पर कार्य शुरू ही नहीं हुआ. वहीं, पूर्णिया में 16449, सहरसा में 15448, समस्तीपुर में 13438, सीतामढ़ी में 25596 और वैशाली में 27140 योजनाओं पर कार्य शुरू नहीं हो पाया. राज्यभर में रूरल इन्फ्रास्ट्रक्चर के दो लाख 26 हजार 479 योजनाओं पर काम शुरू नहीं हुआ. जबकि इन कार्यों की स्वीकृति हुई थी. इसमें दरभंगा में 12888, गया में 11118, नवादा में 18495, पूर्वी चंपारण में 11564 योजनाओं पर कार्य शुरू नहीं हुआ.
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