संवाददाता, पटना पीएचइडी ने गर्मी में जल संकट से निबटने के लिए ठोस योजना बना ली है. मंत्री नीरज कुमार सिंह के कहा है कि चापाकलों की मरम्मति एवं रखरखाव के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. जिन पंचायतों में भू-जल स्तर नीचे चला गया है, वहां राइजर पाइप बढ़ाकर चापाकलों को क्रियाशील बनाए रखने की व्यवस्था की जा रही है. सिंह ने कहा कि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए कुल 1520 नए चापाकलों के निर्माण की स्वीकृति दी गयी है.साथ ही, चापाकलों के मरम्मति के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप राज्य में 1,20,749 चापाकलों की मरम्मति का कार्य शुरू कर दिया गया है. सभी चापाकलों की मरम्मति की रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज की जा रही है. वहीं, जियो टैगिंग फोटोग्राफ एवं आमलोगों से जानकारी ली जा रही है. विभाग के प्रधान सचिव पंकज कुमार ने राज्य के सुखाग्रस्त हिस्सों में सम्भावित भूजल स्तर में आने वाली गिरावट के कारण उत्पन्न पेयजल की समस्या से निबटने की तैयारियों पर पिछले दिनों सभी क्षेत्रीय कार्यपालक अभियंताओं के साथ बैठक भी की है. मंत्री ने दिया अधिकारियों को निर्देश गर्मी में पेय जलापूर्ति की चुनौती से निबटने के लिए मंत्री नीरज कुमार सिंह ने अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं. जिसमें अकार्यरत चापाकलों की तत्काल मरम्मति, जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में ””हर घर नल का जल”” संरचनाओं के अतिरिक्त टैंकरों के माध्यम से जल आपूर्ति कराने का प्राथमिकता है. सार्वजनिक स्थलों, विद्यालयों और महादलित टोलों में चापाकलों को प्राथमिकता के आधार पर दुरुस्त किया जा रहा है. साथ ही भूजल स्तर में संभावित गिरावट को देखते हुए पंचायत स्तर पर जल स्रोतों की स्थिति का दैनिक आधार पर आकलन किया जा रहा है. नियंत्रण कक्ष के माध्यम से शुरू हुई निगरानी विभाग ने पूरी व्यवस्था की निगरानी जिला स्तर पर बने नियंत्रण कक्ष से शुरू किया है. वहीं, विभाग के स्तर से जल गुणवत्ता को लेकर विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत उन जलस्रोतों को लाल रंग से चिह्नित किया जा रहा है, जिनमें आर्सेनिक,फ्लोराइड या आयरन की मात्रा मान्य सीमा से अधिक पाई गई है. वहीं,हर घर नल का जल योजना के तहत स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को जोड़ने का काम भी तेज कर दिया गया है. इसके अलावा गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने की विभाग द्वारा पहल की गई है. राज्य में 261 कैटल ट्रफ (पशु प्याऊ) का निर्माण किया गया है. जिसकी क्रियाशीलता सुनिश्चित करने के लिए इसका भौतिक सत्यापन भी किया जा रहा है.
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