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पौधारोपण के बाद 1%पौधों की भी नहीं ली खोज-खबर

झारखंड अलग राज्य बनने के बाद बिहार में मात्र नौ फीसदी हरियाली रह गयी थी. तमाम कवायदों के बाद इसे अभी 17 फीसदी तक लाया गया है.

मनोज कुमार, पटना झारखंड अलग राज्य बनने के बाद बिहार में मात्र नौ फीसदी हरियाली रह गयी थी. तमाम कवायदों के बाद इसे अभी 17 फीसदी तक लाया गया है. इसमें पौधारोपण ने अहम रोल निभाया. इसी के भरोसे 18 फीसदी हरियाली का लक्ष्य बिहार ने तय किया है. इस कड़ी में इस वर्ष मनरेगा से एक करोड़ 93 लाख 27 हजार 200 पौधे लगाये जाने हैं. पौधों के रोपे जाने के बाद ये जिंदा हैं या उखड़ गये हैं, इसके लिए कम से कम पांच फीसदी पौधों की जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया. अप्रैल माह की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के सभी 30 जिले में से किसी भी जिले में एक फीसदी भी पौधों की जांच नहीं की गयी. इनमें सीवान, अरवल, गया, कटिहार, गोपालगंज, भागलपुर, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, पूर्णिया, पटना, वैशाली, अररिया, बेगूसराय, मधुबनी और खगड़िया में पौधों की जांच की रिपोर्ट ही नहीं की गयी. इन जिलों में पौधों की जांच की स्थिति न के बराबर रही. बक्सर में अधिकतम 0.41 फीसदी पौधों की हुई जांच : रोहतास में 0.8, भभुआ में 0.2, बक्सर में 0.41, भोजपुर में 0.1, बांका में 0.2, जहानाबाद में 0.8, लखीसराय में 0.4, शेखपुरा में 0.4, नालंदा में 0.1, मुंगेर 0.37, औरंगाबाद में 0.1, जमुई में 0.2, मुजफ्फरपुर में 0.7 फीसदी ही पौधों की जांच हुई.

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