Ramadan 2025. माह-ए-रमजान के चांद का दीदार शनिवार को हुआ. चांद का दीदार होते ही मस्जिदों में तरावीह की नमाज शुरू हो गयी. चांद देखे जाने का एलान होते ही लोगों ने एक-दूसरे को मुबारकबाद दी. घरों से निकल कर लोग सड़क पर आ गये. इसके साथ ही लोग सहरी की तैयारी में जुट गये. बाजार जाकर अपनी-अपनी पसंद की खरीदारी की जाने लगी. किसी ने नान रोटी की खरीदारी की, तो किसी ने सेवई-दूध की. इसको लेकर थोड़ी देर के लिए बाजार में चहल-पहल बढ़ गयी.
पहला रोजा 13 घंटे 7 मिनट व अंतिम 13 घंटे 50 मिनट का होगा
जामा मस्जिद के इमाम सइदुल्लाह कादिरी ने रविवार से रोजा रखने का एलान किया. इसके बाद सभी तरावीह की नमाज की तैयारी में जुट गये. घर की औरतें व बच्चियों ने कुरान की तिलावत शुरू कर दी. शनिवार से ही हर घर से पाक कुरान की तिलावत की आवाज आने लगी. बच्चे व नौजवान मस्जिद की तरफ चल पड़े. पिछली बार की तरह इस बार भी पहला रोजा करीब 13 घंटे 7 मिनट व अंतिम रोजा 13 घंटे 50 मिनट का होगा. शनिवार को लेकर मेन रोड, पुरानी चौक, बड़ी बाजार, थाना रोड में रमजान के लिए सामग्रियों की खरीदारी करने में जुटे नजर आये.
बाजार का हाल
बाजारों में सहरी और इफ्तार की सामग्री दिखाई देने लगी है. सहरी और इफ्तार के लिए कुछ अलग व्यंजन होते हैं. लोग दूध, फैनी, ब्रेड के साथ सहरी कर रोजे की शुरुआत करते हैं, वहीं खजूर, फल, चने की घुघनी, पकौड़े को इफ्तार के व्यंजनों में शामिल रखते हैं. इफ्तार के लिए अफजल (पवित्र) मानी जाने वाली खजूर की कई वेरायटियां भी शहर के मार्केट में दिखाई देने लगी हैं. इसके अलावा मौसमी फलों की बिक्री भी इस दौरान बढ़ने लगी है.
सहरी में इनका करें सेवन
सहरी में ज्यादा तला, मसालेदार, मीठा खाना न खाएं, क्योंकि ऐसे खाने से प्यास ज्यादा लगती है. सहरी में दूध, ब्रेड और फल सेहत के लिए बेहतर होता है. रमजान के महीने में ज्यादा-से-ज्यादा इबादत करें, अल्लाह को राजी करना चाहिए, क्योंकि इस महीने में हर नेक काम का सवाब बढ़ा दिया जाता है.
इफ्तार में इनका करें सेवन
खजूर फायदेमंद है, इसमें आयरन और दूसरे पोषक तत्व होते हैं. तला हुए खाने से बचें, दही का सेवन करें. केला आदि का खाएं. ज्यादा घी तेल का खाना खाने से प्यास ज्यादा लगती है. प्रोटीन का सेवन अधिक करें, इससे भूख भी कम लगती है और वज़न घटने में सहायक होते हैं.
सहरी का समय 4.52 बजे तक
इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक पहले रोजे के सहरी का समय भोर में चार बजकर 52 मिनट तक तथा इफ्तार शाम पांच बजकर 59 मिनट होगा. इसी तरह आखिरी रोजे की सहरी का समय होगा. अकीदतमंदों का कहना है कि लोगों के घरों में कूलर-पंखे नहीं थे, तब भी रोजे रखे गये हैं. रोजेदारों को चाहिए कि 10 मिनट पहले ही सहरी खत्म कर लें और इफ्तार के लिए दो मिनट और इंतजार कर लें.
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