Maithili : पटना. मैथिली की प्रसिद्ध साहित्यकार नीरजा रेणु का निधन हो गया है. 11 अक्टूबर 1945 में मधुबनी जिले के नवटोल में जन्मी निरजा रेणु का वास्तविक नाम कामाख्या देवी था. वो न्यायशास्त्र के प्रसिद्ध विद्वान डॉ किशोरनाथ झा की पत्नी थी. एक दर्जन से अधिक साहित्य पुस्तकों की रचना करनेवाली नीरजा रेणु को 2003 में उनकी पुस्तक ऋतम्भरा के लिए मैथिली भाषा के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत किया जा चुका है. ऋतंभरा, 18 लघुकथाओं का यह संग्रह छपने का साल था 2001 और वर्ष 2003 में उनकी इस पुस्तक को साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया और वो लिली रे के बाद अकादमी पुरस्कार प्राप्त करने वाली दूसरी मैथिल महिला बनी. उन्हें मैथिली भाषा साहित्य का दूसरा सबसे बड़ा प्रबोध सम्मान से भी नवाजा जा चुका है.
चार दशकों तक की साहित्य सेवा
मैथिली भाषा में एमए की डिग्री लेने से पहले ही नीरजा की कलम से साहित्य लेखन शुरू हो चुका था. उनकी पहली रचना 1976 में प्रकाशित हुई थी. 1979 से 1983 तक वो साहित्य अकादमी की परामर्शदात्री समिति की सदस्य भी रहीं. उनका कथा संग्रहक धार पियासल सबसे लोकप्रिय रचना कही जाती है. यह किताब 1996 में प्रकाशित हुई थी. नीरजा रेणु ने मैथिली के साथ साथ हिंदी भाषा में भी रचना की हैं. उनकी हिंदी कथा संग्रह प्रतिच्छवि काफी प्रसिद्ध है.
1982 में मिला पहला पुरस्कार
1982 में जब पहली बार मैथिली साहित्य लेखन हेतु लिली रे जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला उस वक्त निरजा रेणु जी ललित नारायण मिश्रा विश्वविद्यालय से अमरनाथ झा जी के अंदर पीएचडी कर रही थीं. बिहार विश्वविद्यालय से पढ़ीं अपने जमाने में बीए और एमए (मिथिला यूनिवर्सिटी) दोनों में मैथिली से टॉपर रही नीरजा जी ने जीवन का अधिकतर समय इलाहाबाद में अपने पति के साथ गुजारा.
साहित्य जगत में शोक
नीरजा रेणु के निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है. कथाकार अशोक ने नीरजा रेणु के निधन को मैथिली साहित्य के लिए बड़ी क्षति बताया है. साहित्यकार रमानंद झा रमन ने नीरजा रेणु के निधन पर श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि वो मैथिली भाषा में महिला विदूषी परंपरा की मजबूत हस्ताक्षर थी. मैथिली साहितय से जुड़े सुनील कुमार झा भानु ने नीरजा रेणु के निधन को भाषा साहित्य के लिए बड़ी क्षति बताया है. साहित्यकार रंजना मिश्रा ने नीरजा रेणु के निधन को मैथिली साहित्य में महिला लेखन की एक युग का समापन बताया है.
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