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2026 से एक साल का होगा एमएड, टीचिंग संस्थानों से इसी वर्ष लिये जायेंगे आवेदन

एनसीटीइ के सूत्रों ने बताया कि एक वर्ष के मास्टर प्रोग्राम के लिए टीचिंग संस्थानों से 2025 में आवेदन आमंत्रित किये जायेंगे.

संवाददाता, पटना

अब एक साल का मास्टर ऑफ एजुकेशन (एमएड) प्रोग्राम भी शुरू होगा. नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीइ) ने कुछ समय पहले एक वर्ष के बैचलर ऑफ एजुकेशन (बीएड) कोर्स को फिर से शुरू करने का फैसला किया था. अभी तक एमएड कोर्स दो साल का होता है. एनसीटीइ के सूत्रों ने बताया कि एक वर्ष के मास्टर प्रोग्राम के लिए टीचिंग संस्थानों से 2025 में आवेदन आमंत्रित किये जायेंगे. उसके बाद 2026-27 के सेशन से यह कोर्स शुरू हो जायेगा. जब एक साल का एमएड कोर्स शुरू होगा, तो फिर दो साल के एमएड प्रोग्राम में एडमिशन 2026 से नहीं होंगे. एक वर्ष के प्रोग्राम के लिए सिलेबस तैयार होगा, जिसमें सबसे बड़ी प्राथमिकता गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए तय की जायेगी. नयी शिक्षा नीति के तहत एनसीटीइ अब टीचिंग प्रोग्राम को नया रूप दे रहा है, ताकि मौजूदा समय की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सिलेबस तैयार किया जा सके.

2026 से कोई भी कर सकता है एक साल का एमएड

एनसीटीइ ने कहा कि चाहे किसी कैंडिडेट ने एक साल का बीएड किया हो, दो साल का ग्रेजुएशन टीचिंग प्रोग्राम किया हो या फिर चार साल का इंटिग्रेटेड टीचर एजुकेशन प्रोग्राम (आइटीइपी कोर्स) किया हो, तीनों कैटेगरी में छात्र एक साल का एमएड करने के लिए एलिजिबल होंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के आधार पर यूजीसी ने जून 2024 में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज को शुरू करने के लिए नयी गाइडलाइंस जारी की थी. उन्हीं दिशा-निर्देशों के तहत एक साल का एमएड कोर्स शुरू किया जा रहा है.

नया करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए आठ सदस्यों वाली हाइ पावर कमेटी बनायी गयी है

एनसीटीइ अब 10 साल बाद एक साल का बीएड कोर्स शुरू कर रहा है. साथ ही आइटीइपी योगा एजुकेशन, आइटीइपी फिजिकल एजुकेशन, आइटीइपी संस्कृत, आइटीइपी परफॉर्मिंग आर्ट एजुकेशन स्पेशलाइज्ड स्ट्रीम भी शुरू कर रहा है. इन सभी कोर्सेज का नया करिकुलम फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए आठ सदस्यों वाली हाइ पावर कमेटी बनायी गयी है. कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि टीचिंग प्रोग्राम का करिकुलम देश की जरूरतों और ग्लोबल स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाये. कोर्सेज की गुणवत्ता बेहतर से बेहतर हो. प्रो अरोड़ा का कहना है कि चाहे छात्र एक वर्ष का कोर्स करे, दो साल का या फिर चार साल का, सभी बीएड प्रोग्राम की गुणवत्ता एक जैसी हो. कोर्सेज में समानता के सिद्धांत को भी ध्यान में रखा जाये.

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Prabhat Khabar News Desk
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